बनी हुई है चुनौती, जिले में 174 बालक कुपोषित

Challenge remains, 174 children are malnourished in the district
बनी हुई है चुनौती, जिले में 174 बालक कुपोषित
नागपुर बनी हुई है चुनौती, जिले में 174 बालक कुपोषित

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुपोषण की समस्या जिले में कम भले ही हुई, लेकिन पूरी तरह कुपोषण से मुक्ति नहीं मिली। वर्तमान स्थिति में जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 174 बालक अति तीव्र कुपोषित हैं, जबकि 901 बालक मध्यम तीव्र कुपोषण की श्रेणी में हैं। कुपोषण की समस्या जिले के महिला व बाल विकास विभाग के सामने बड़ी चुनौती है। कुपोषण की समस्या को मात देने के लिए आंगनवाड़ी में शून्य से 6 आयुवर्ग के बालकों को पोषण आहार देने की योजना है। इस योजना में गर्भवती माता और किशोरियों को भी पोषण आहार दिया जाता है। हर महीने आंगनवाड़ी में बालकों का वजन और स्वास्थ्य जांच की जाती है। वजन के अनुसार बालकों की वर्गीकरण कर कम वजन के बालकों को मध्यम तीव्र और अति तीव्र कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है। अति तीव्र कुपोषण की श्रेणी में 174 बालक पाए गए हैं।

विलेज होम में विशेष उपचार की जाती है

अति तीव्र कुपोषित बालकों को 12 सप्ताह  विलेज होम में रखा जाता है। इस कालावधि में बालकों को अतिरिक्त पोषण आहार तथा अौषधोपचार दिया जाता है। इस अवधि में उनकी समय-समय पर स्वास्थ्य जांच की जाती है। अति तीव्र कुपोषण की श्रेणी से बालक बाहर आने पर उनके स्वास्थ्य की लगातार निगरानी रखी जाती है। उनके पालकों का मार्गदर्शन किया जाता है। 

काेविडकाल में भी चालू रहा पोषण आहार

कोविडकाल में आंगनवाड़ियां बंद थीं। उस कालावधि में लाभार्थियों को घर में पोषण आहार बनाने के लिए आहार सामग्री दी गई। संकट की स्थिति में भी पोषण आहार देकर कुपोषण कम करने का विभाग का दावा है। कुपोषित बालकों के आंकड़े सामने आने पर विभाग का दावा खोखला साबित हुआ है। दरअसल, सामान्य स्थिति में आंगनवाड़ी में पकाया हुआ पोषण आहार दिया जाता है।

 

Created On :   10 Feb 2022 5:27 PM IST

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