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रातापानी जंगल से लगी बेशकीमती जमीन पर रिसॉर्ट एवं होटल्स बनाने को चुनौती
डिजिटल डेस्क जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर रातापानी जंगल से लगी करीब 50 लाख वर्गफीट की बेशकीमती जमीन पर रिसॉर्ट एवं होटल्स बनाने को चुनौती दी गई है। मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रवि मलिमठ एवं जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव राजस्व, वन व पर्यटन विभाग, सीहोर कलेक्टर, मप्र पर्यटन बोर्ड के मैनेजिंग डायरेक्टर और केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब माँगा है।
ग्राम लावाखेड़ी जिला सीहोर निवासी अचल सिंह की ओर से जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश पंचोली ने कोर्ट को बताया कि लावाखेड़ी में रातापानी के जंगलों से लगी करीब 50 लाख वर्गफीट जमीन 2019 में पर्यटन विभाग को दी गई थी। इस जमीन पर हजारों सागौन के पेड़ हैं, जिनकी कीमत लगभग 500 करोड़ रु. है। यह जमीन राज्य सरकार ने पहले सीलिंग में ली थी। 2002-2003 में इसे निस्तार की भूमि के रूप में गाँव के निवासियों के उपयोग के लिए सुरक्षित कर दिया गया। लेकिन 2019 में यह जमीन पर्यटन विभाग को टूरिस्ट एक्टिविटी के लिए आवंटित कर दी गई। 2021 में पर्यटन विभाग ने इसके 3 हिस्से कर कई होटल, स्विमिंग पूल, एम्यूजमेंट पार्क, फि़ल्म स्टूडियो, मसाज पार्लर, रिसोर्ट आदि के लिए निविदा आमंत्रित की। इस निविदा की ऑफसेट कीमत 2 करोड़ रु. रखी गई। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सीलिंग एक्ट के तहत सीलिंग की जमीन गरीब एससी, एसटी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कृषक सोसाइटी आदि को दी जा सकती है। मप्र भू राजस्व संहिता की धारा 237 के तहत भी ऐसी जमीन पब्लिक युटिलिटी सर्विसेज के लिए ही दी जा सकती है।
कमिश्नर ने एक आदेश में कहा था कि सीहोर जिले में स्कूल, अस्पताल, कार्यालय के लिए पर्याप्त सरकारी जमीन नहीं है। तर्क दिया गया कि इन सबके बावजूद गरीबों के उपयोग की बेशकीमती जमीन धनवानों के मनोरंजन के साधनों के लिए दी जा रही है। यह अनुचित और अवैध है। इस पर रोक लगाई जाए।
Created On :   15 March 2022 11:11 PM IST