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पूर्व गृहमंत्री के पास तबादले और तैनाती को लेकर चार सौ से अधिक सिफारिशो पर 33 सिफारिशों में बदलाव
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के कार्यकाल में पुलिल इस्टेबलिसमेंट बोर्ड की ओर से पुलिस महकमे में अधिकारियों के तबादले व तैनाती को लेकर 400 से अधिक सिफारिश भेजी गई थी लेकिन इसमें से सिर्फ 33 सिफारिशों में ही बदलाव किया गया था। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरिस खंबाटा ने न्यायमूर्ति नीतिन जामदार व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ के सामने कहा कि जिस अनुपात में सिफारिशे भेजी गई थी उस हिसाब से बदली गई सिफारिशों का आकड़ा सिर्फ 7.6 प्रतिशत होता है। खंडपीठ के सामने राज्य सरकार की ओर से सीबीआई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में राज्य सरकार ने सीबीआई की ओर से राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे व राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडे को भेजे गए समन को रद्द करने की मांग की है। कोर्ट में फिलहाल इस मामले की बहस पूरी हो चुकी है और खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
इससे पहले खंडपीठ ने सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अमन लेखी से पूछा कि देशमुख(जब गृहमंत्री थे) ने तबादले व तैनाती से जुड़ी कितनी सिफारिशों में बदलाव किया था। इस पर श्री खंबाटा ने कहा कि सीबीआई के पास इसका उत्तर नहीं होगा। इसका जवाब मेरे पास है। जिसका सीबीआई अपनी जांच के लिए इस्तेमाल कर सकती है। श्री खंबाटा ने कहा कि पुलिस इस्टेबलिसमेंट बोर्ड की ओर से पुलिस महकमे में तैनाती व तबादले को लेकर 434 सिफारिशे भेजी गई थी इसमे से सिर्फ 33 सिफारिशों में बदलाव किया था। जो की महज 7.6 फीसदी है। उन्होंने कहा कि राज्य के पुलिस महानिदेशक संजय पांडे का देशमुख मामले से कोई संबंध नहीं है। वे एक अच्छे अधिकारी और सरकार से पक्षपात के मुद्दे पर लड़ते रहे है। उन्होंने कहा कि सीबीआई निदेशक सबकुछ देशमुख पर मंढने का प्रयास कर रहे है।
सीबीआई को दस्तावेज सौपने की दी इजाजत
इस दौरान उन्होंने खंडपीठ से आग्रह किया कि सीबीआई से कोई दस्तावेज सील बंद लिफाफे में न लिए जाए। वहीं सीबीआई की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अमन लेखी ने कहा कि सीबीआई देशमुख के खिलाफ दुर्भावना के तहत जांच नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सीबीआई मामले की जांच को लेकर दस्तावेज देना चाहती है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सीबीआई मामले की जांच से जुड़े दस्तावेज सील बंद लिफाफे में कोर्ट को दे सकती है। ताकि कोर्ट उन्हें अपनी तसल्ली के लिए देख सके। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि जब हम दस्तावेजों को देख ले तोउन्हें फिर से सील बंद कर दिया जाए। इस दौरान खंडपीठ ने दस्तावेज सौपने को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी.चिंदबरम मामले में दिए गए फैसले का भी जिक्र किया।
Created On :   26 Nov 2021 9:53 PM IST