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राज्य में सत्ता परिवर्तन से चतुर्वेदी की राजनीति को मिल सकता है बल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में सरकार गठन को लेकर चली राजनीतिक कवायद के बाद कई मायनों में सत्ता केंद्र बदलने के आसार जताए जा रहे हैं। ऐसे में जिले में पूर्व मंत्री सतीश चतुर्वेदी की राजनीति को एकाएक बल मिलने की भी संभावना जताई जा रही है। स्थानीय स्तर पर कांग्रेस में सतीश चतुर्वेदी को बड़े रणनीतिकार के तौर पर माना जाता है। हालांकि 2009 में विधानसभा चुनाव में पराजित होने के बाद उनका राजनीतिक प्रभाव प्रभावित होता रहा है। प्रदेश स्तर के नेतृत्व से उनकी टकराहट सामने आती रही है। उन्हें कांग्रेस से बाहर भी रहना पड़ा था। लेकिन विवादों के बीच भी चतुर्वेदी अपना प्रभाव दिखाते रहे हैं।
कांग्रेस में विदर्भ कांग्रेस की मांग का मामला हो या फिर प्रदेश अध्यक्ष व प्रभारी को बदलने की मांग का मामला। चतुर्वेदी की रणनीति चर्चा में रही है। अब वे दो तरह से लाभ में रह सकते हैं। एक तो उनके पुत्र दुष्यंत के लिए शिवसेना में क्षेत्रीय स्तर पर नेतृत्व का मार्ग खुलने जा रहा है। विधानसभा चुनाव के पहले दुष्यंत शिवसेना में शामिल हुए। उन्होंने युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे का संवाद कार्यक्रम आयोजित करके शिवसेना को क्षेत्रीय स्तर पर नए रूप में पेश किया था। शिवसेना के नेतृत्व में सरकार बनने जा रही है। उद्धव ठाकरे दुष्यंत के माध्यम से इस क्षेत्र में अपने संगठन की ताकत बढ़ाने का संकेत पहले ही दे चुके हैं। उधर जिला कांग्रेस में नितीन राऊत व सुनील केदार जैसे विधायक चतुर्वेदी के समर्थक ही हैं। पार्टी से बाहर किए जाने के बाद भी चतुर्वेदी के साथ राऊत व केदार रहे। विधानसभा चुनाव में जिले में रणनीति कुछ ऐसी चली कि राकांपा ने भी उस पर ध्यान दिया। राकांपा विधायक अनिल देशमुख ने विधायकों को मिलन कार्यक्रम आयोजित करके चतुर्वेदी व अन्य बड़े कांग्रेस नेताओं को मिलवाया। हाल ही में शरद पवार उत्तर नागपुर में आदिवासी सम्मेलन कार्यक्रम में पहुंचे तो मेजबानों में नितीन राऊत के साथ चतुर्वेदी प्रमुखता से शामिल थे।
नाना पटोले को सौंपी जा सकती है महाराष्ट्र कांग्रेस की कमान
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए विधायक नाना पटोले का नाम चर्चा में हैं। हालांकि पटोले राज्य मंत्रिमंडल में स्थान पाने के इच्छुक हैं। माना जा रहा है कि गुरुवार को राज्य सरकार के गठन के बाद ही प्रदेश कांग्रेस में पुनर्गठन के बारे में स्थिति साफ हाेने लगेगी। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस के पुनर्गठन का मामला लंबित है। लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण को हटाया गया। बालासाहब थोरात को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उस दौरान भी पटोले का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में था। उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई थी। वे कांग्रेस किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। अब अशोक चव्हाण व बालासाहब थोरात राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होने जा रहे हैं। थाेरात के बारे में तो यह तक चर्चा है कि उनका उपमुख्यमंत्री बनना तय है। चव्हाण मुख्यमंत्री रहे हैं। लिहाजा उन्हें भी किसी महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बनाया जाएगा। एेसे में कांग्रेस के सत्ता समन्वय में मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिलने की स्थिति में पटोले को प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
Created On :   28 Nov 2019 12:58 PM IST