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मनपा चुनाव में होंगे बदलाव , वार्डों की नए सिरे से की जाएगी पुनर्रचना
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनपा का आगामी वर्ष 2022 में होने वाला सार्वजनिक चुनाव वार्ड पद्धति से होगा। एक वार्ड से एक नगरसेवक चुना जाएगा। प्रभाग पद्धति रद्द हो जाएगी। यह निर्णय शीतसत्र में सरकार ने लिया है। राज्य के सभी मनपा तथा नगरपालिका क्षेत्रों में यह नियम लागू होगा। नई पद्धति से चुनाव के लिए नए सिरे से वार्ड पुनर्रचना की जाएगी। इससे नगरसेवकों की जिम्मेदारी भी तय होगी। चुनाव क्षेत्र सीमित होने से सामान्य नागरिकों की चुनाव लड़ने की राह आसान हो जाएगी।
नहीं लेते हैं रुचि
वर्ष 2017 में प्रभाग पद्धति से मनपा चुनाव कराए गए थे। 4 वार्ड जोड़कर एक प्रभाग बना। प्रभाग से 4 नगरसेवक चुने गए। सभी नगरसेवक प्रभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रभाग का दायरा बड़ा रहने से नगरसेवक अपने-अपने क्षेत्र को प्राथमिकता देते हैं। नगरसेवकों ने अपनी सीमा तय कर रखी है। इसलिए अपनी सीमा से बाहर के नागरिकों की समस्या सुलझाने में रुचि नहीं लेते हैं। वार्ड पद्धति में एक वार्ड से एक नगरसेवक चुने जाने पर नगरसेवक की जवाबदेही तय होगी। विकास का संतुलन भी बना रहेगा।
2022 में होगा अगला चुनाव
प्रभाग पद्धति में 38 प्रभाग हैं। एक प्रभाग का 4 नगरसेवक प्रतिनिधित्व करते हैं। वार्ड पद्धति में 151 वार्ड रहेंगे। नए सिरे से वार्ड का गठन किया जाएगा। शहर की जनसंख्या 30 लाख के ऊपर है। चुनाव वर्ष 2022 में होगा। 18 से 20 हजार जनसंख्या पर एक वार्ड बनेगा।
चार बार हुआ बदलाव
मनपा का पहला चुनाव एक वार्ड एक सदस्य पद्धति से हुआ था। वर्ष 2002 में प्रभाग पद्धति लागू कर 3 सदस्यों का प्रभाग बनाया गया। वर्ष 2007 में इसे रद्द कर फिर एक सदस्य पद्धति लागू की गई। इसके बाद वर्ष 2012 में दो सदस्यों का प्रभाग बनाया गया। वर्ष 2017 में इससे भी आगे जाकर एक प्रभाग में 4 वार्ड जोड़कर 4 सदस्यों का निर्वाचन किया गया। अब पुन: एक वार्ड एक सदस्य चुनाव पद्धति लागू कर दी गई है।
जनसंख्या के आधार पर होगा आरक्षण
शहर की जनंसख्या के आधार पर मनपा सीटों का आरक्षण तय किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित रखी जाएगी।
प्रभाग पद्धति का बड़े दलों को मिला लाभ
वर्ष 2012 के चुनाव में दो वार्ड का प्रभाग बनाया गया था। वर्ष 2017 में इसे और विस्तारित कर 4 वार्ड का प्रभाग बनाया गया। राजनीतिक बड़े दलों को इसका लाभ मिला। उनके उम्मीदवारों का चुनाव निशान एक रहने से प्रचार में आसानी रही, वहीं निर्दलियों का चुनाव निशान निश्चित नहीं रहने से उन्हें लोगों तक पहुंचने में परेशानी होती रही। प्रभाग का दायरा बड़ा रहने से सभी मतदाताओं तक पहुंचना निर्दलियों के लिए संभव नहीं है। वार्ड पद्धति में चुनाव क्षेत्र सीमित हो जाने पर सामान्य उम्मीदवार की मतदाताओं तक पहुंचने की राह आसान हो जाएगी।
आगामी जनजगणना पर आधारित होगी वार्ड रचना
वर्ष 2020 में होने वाली जनगणना के आधार पर वार्ड पुनर्रचना की जाएगी। नई पुनर्रचना में मनपा के जोन की सीमा में भी परिवर्तन किया जाएगा। फरवरी 2017 में चुनाव के लिए की गई प्रभाग रचना में जोन की सीमा बदली गई थी। 38 प्रभाग के अनुसार जोन कार्यालयों की सीमा तय कर 8 अगस्त 2018 से जोन कार्यालयों का नए सिरे से कामकाज शुरू हुआ था। अब वार्ड रचना में फिर एक बार जोन की सीमा बदली जाएगी।
Created On :   27 Dec 2019 11:16 AM IST