मुख्यमंत्री ने दुख जताते कहा - खो गईं अनाथों की मातृदेवता, पवार बोले - स्तब्ध करने वाला है सिंधुताई का निधन

Chief Minister Uddhav and sharad pawar expressing grief on death of Sindhutai
मुख्यमंत्री ने दुख जताते कहा - खो गईं अनाथों की मातृदेवता, पवार बोले - स्तब्ध करने वाला है सिंधुताई का निधन
शोक मुख्यमंत्री ने दुख जताते कहा - खो गईं अनाथों की मातृदेवता, पवार बोले - स्तब्ध करने वाला है सिंधुताई का निधन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सिंधुताई सपकाल के निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि अनाथों की मातृदेवता खो गई। उन्होंने कहा कि सिंधुताई मां की ममता से हजारों अनाथ बच्चों को संभालने वाली मातृदेवता थी। उनके अचानक जाने से हमने समाजसेवा का एक प्रेरणादायी व्यक्ति खो दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधुताई ने बेसहारा लोगों को आधार दिया। साथ ही शिक्षा के माध्यम से कई लोगों को अपने पैरों पर खड़ा किया। सिंधुताई के लड़कियों की शिक्षा और उन्हें स्वावलंबी बनाने के योगदान को महाराष्ट्र कभी भूल नहीं सकता। मुख्यमंत्री ने कहा कि डेढ़ साल पहले सिंधुताई ने खुद फोन पर मुझसे हालचाल लिया था और कोविड की लड़ाई लड़ने के लिए बल दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधुताई को महाराष्ट्र की मदर टेरेसा के रूप में संबोधित किया जाता था जो एकदम उचित था। इस बीच मुख्यमंत्री ने सिंधुताई का मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने के निर्देश भी दिए हैं। राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने कहा कि सिंधुताई के निधन से असंख्य बच्चे अनाथ हो गए। सिंधुताई ने अपने जीवन में काफी विपरित परिस्थिति के बावजूद खुद को संभाला। फिर हजारों अनाथ बच्चों की मां के रूप में उनके जीवन संवारा। 

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि सिंधुताई का असामयिक निधन स्तब्ध करने वाला है। उनका सामाजिक कार्य कई पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक रहेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि सिंधुताई के निधन से हजारों अनाथ बच्चों के सिर से साया उठ गया है। यह बच्चे दोबारा अनाथ हो गए हैं। पटोले ने कहा कि हजारों अनाथ बच्चों की माई सिंधुताई का जीवन काफी मुश्किलों भरा रहा। उन्होंने अनाथ बच्चों को अपने पेट से जन्मे बच्चों की तरह संभाला। उनके इस कार्यों के लिए महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें अहिल्याबाई होलकर और सावित्रीबाई फुले पुरस्कार देकर सम्मानित किया था। जबकि केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था। पटोले ने कहा कि सिधुंताई के निधन से महाराष्ट्र के सामाजिक क्षेत्र में न भरा जाने वाला खालीपन निर्माण हो गया है। वहीं प्रदेश के सार्वजनिक निर्माण कार्य मंत्री अशोक चव्हाण, राज्य के गृह मंत्री दिलीप वलसे-पाटील, राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे, राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर, विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की है।  


जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल का निधन, पुणे के अस्पताल में ली अंतिम सांस

अनाथ बच्चों की मां के रुप में पहचानी जाने वाली जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता सिंधुताई सपकाल का मंगलवार को पुणे के एक निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। यहां के गैलेक्सी अस्पताल में सिंधुताई डेढ़ महीने से भर्ती थी। रात 8 बजकर 10 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली। अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ शैलेश पुणतांबेकर के मुताबिक कुछ दिनों पहले उनका ऑपरेशन भी हुआ था। सिंधुताई के निधन की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में लोगों ने शोक संवेदनाएं प्रकट की। 74 वर्षीय सिंधुताई सपकाल वर्धा के नवरगांव में हुआ था। परिवार को बेटी नहीं चाहिए थी इसलिए जन्म के बाद उनकी उपेक्षा हुई। मराठी स्कूल में उन्होने चौथी कक्षा तक पढ़ाई की। नौ साल की होने पर ही उनका विवाह कर दिया गया। सिंधुताई ने 1994 में पुणे जिले के पुरंदर तालुका में कुंभारवलण गांव में ममता बाल सदन संस्था की शुरूआत की। इसके बाद उन्होंने कई अनाथ बच्चो को सहारा दिया और उन्हें सक्षम बनाया। सिंधुताई पद्मश्री से सम्मानित हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने भी उन्हें अहिल्याबाई होलकर, सावित्रीबाई फुले सम्मान प्रदान किया है। 
 

Created On :   5 Jan 2022 1:39 PM IST

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