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गर्मी में उबल रहे स्कूलों के बच्चे मोटी फीस के बाद भी सुविधाएं नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. मार्च माह के अंत से ही पारा 40 डिग्री पार कर रहा है। तेज धूप व भारी उमस के चलते बच्चों को परेशान होना पड़ रहा है। स्कूल से लौटते समय धूप इतनी अधिक होती है, कि बच्चे बीमार हो रहे हैं। साथ ही निजी स्कूल संचालक सुविधाओं के नाम पर बच्चों से मोटी फीस तो वसूल रहे हैं, लेकिन क्लास के पंखे भी भगवान भरोसे चल रहे हैं। शहर के नामी स्कूल एसी और कूलर होने का दावा तो करते हैं, लेकिन भीषण गर्मी में बच्चों को क्लासरूम में गर्म हवा उगलने वाले पंखे के भरोसे छोड़ दिया है। स्कूल की यूनिफॉर्म का मटेरियल भी मोटा होने से बच्चों को बहुत गर्मी होती है, साथ ही पंखे की स्पीड कम होने से बच्चे पसीने से तर-बतर हो जाते हैं। इसी तरह वाहनों में भी बच्चे इस गर्मी में पसीने से लथपथ होकर ही लौटते हैं। शहर के स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों को भीषण गर्मी में भी स्कूल भेजने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे कुछ विद्यार्थियों और अभिभावकों से चर्चा करने पर उन्होंने आपबीती बताई।
सरकारी स्कूलों की स्थिति और खराब : निजी स्कूलों का हाल तो बुरा है ही, उससे भी बुरा हाल सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों का है। क्लासरूम में लगे कवेलू से इतनी तेज धूप आती है, कि बच्चों का क्लासरूम में बैठना मुश्किल हो जाता है।
वॉटर कूलर भी बंद : कई स्कूलों में पंखे की समस्या के साथ पानी की भी समस्या है। वॉटर कूलर बंद होने से बच्चों को भीषण गर्मी मंे गर्म पानी पीना पड़ रहा है। कई स्कूल ऐसे हैं, जहां वॉटर कूलर नहीं है। ऐसे में विद्यार्थियों को पानी की टंकी का गर्म पानी ही पीना पड़ रहा है।
गर्मी के कारण पढ़ाई में भी मन नहीं लगता
एक छात्रा ने बताया कि उनकी परीक्षा 20 अप्रैल से शुरू होने वाली है। कोरोना के बाद से ऑफलाइन क्लास हो गई है। क्लासरूम का पंखा बहुत ऊपर लगा है, ऐसे में हवा ही नहीं आती है। क्लास में गर्मी के कारण पढ़ाई में मन भी नहीं लगता है, हमारा क्लासरूम टॉप फ्लोर में होने से बहुत ज्यादा गर्म होता है। अब तो स्कूल भी पूरे टाइम का हो गया है।
क्लास में तबीयत खराब हो गई
एक छात्र ने बताया कि क्लासरूम में बहुत गर्मी लगती है। सुबह के टाइम तो ठीक है, लेकिन 10 बजे के बाद के पीरियड अटैंड करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन मजबूरी है, कि पूरी क्लास अटैंड करनी पड़ेगी। एक दिन तो गर्मी के कारण मेरी तबीयत खराब हो गई थी, फिर पैरेंट्स को स्कूल लेने बुलाया गया था।
बच्चांे को केवल फीस वसूली का जरिया बनाया : अभिभावक
अनिता ने बताया कि मेरी बेटी आठवीं क्लास में पढ़ती है। कई अभिभावकों ने मिलकर स्कूल का टाइम बदलने के बारे में स्कूल प्रबंधन से बात की, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं। हमने तो यह भी कहा कि क्लासरूम में कूलर तो लगवा दें, ताकि बच्चे गर्मी से बच सकें। तो स्कूल वाले वो भी सुविधा मुहैया नहीं करवा रहे हैं। जब फीस की बात आती है, तो हमसे मोटी रकम वसूली जाती है। फिर बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने का क्या मतलब।
बेटी ने बताया कि पंखे की हवा तक नहीं लगती
उर्मिला ने बताया कि एक दिन स्कूल से आने के बाद बेटी बहुत बीमार हो गई। उसने बताया कि क्लासरूम का पंख की स्पीड बहुत कम है। क्लास में 30 बच्चे हैं, इतने सारे बच्चों के साथ धीरे-धीरे पंखा सिर्फ घूमते रहता है। हवा भी नहीं लगती है।
Created On :   20 April 2022 4:27 PM IST