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लकड़ी का विकल्प - गोबर से बना गौकाष्ठ , पर्यावरण बचाने नगर के धेनु सेवा संस्थान ने दिखाई नई राह
डिजिटल डेस्क शहडोल । पर्यावरण को बचाने के लिए दुनियाभर में लकड़ी के विकल्प पर काम हो रहा है, ताकि लकड़ी पर हमारी निर्भरता कम हो और वनों को सुरक्षित किया जा सके। नगर के धेनू सेवा संस्थान ने भी इस दिशा में एक नई राह दिखाई है। सतगुरु मिशन द्वारा संचालित संस्थान में गाय के पवित्र गोबर से लकड़ी का अधिक बेहतर विकल्प तैयार किया जा। इसे कम लागत में बहुत ही आसानी से तैयार किया जा सकता है।
घायल, बीमार गायों की सेवा के कार्य में जुटे धेनू सेवा संस्थान गौ पालन को पर्यावरण संरक्षण से जोडऩे का प्रयास कर रहा है। संस्था से जुड़े आनंद मिश्रा, अरिमर्दन द्विवेदी, विनय पाण्डेय, वसुराज शुक्ला, अमन द्विवेदी, श्रेष्ठा द्विवेदी, शौर्य तथा सुबोध मिश्रा की टीम गोबर से गौ काष्ठ बनाने मे मदद कर रही है। इसके निर्माण के लिए संस्थान में एक मशीन भी लगाई गई है। अब तक करीब चार हजार गौकाष्ठ का निर्माण किया जा चुका है। जरूरत पडऩे पर इसे कोई भी ले सकता है।
निर्माण की लागत अधिक नहीं, पर्यावरण का संरक्षण भी
आनंद मिश्रा कहते हैं लकडिय़ों की तुलना में गौकाष्ठ उसके बराबर या उससे थोड़ी महंगी लग सकती है, लेकिन इसके फायदे भी हैं। लकडिय़ों की तुलना मे गौकाष्ठ से कम धुंआ निकलता है, जिसका लाभ व्यक्ति के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण को संरक्षित करने में होता है। बारिश के दिनों में जब लकडिय़ां गीली होती है तो उसे जलाने में दिक्कत होती है। गौकाष्ठ सूखी होने के कारण तेजी से आग पकड़ती है तथा तेज गर्मी पैदा करती है। सांचे की मदद से इसे आसानी से तैयार किया जा सकता है। गौकाष्ठ लकड़ी का सुलभ विकल्प बन सकता है। इसके कारण गोबर की कीमत बढऩे से गौपालक गायों को सड़कों पर आवारा नहीं छोड़ेंगे। वर्तमान में यह शहडोल, अनूपपुर सहित चुनिंदा स्थानों पर उपलब्ध है। इसके लिए बस लागत का खर्च देना होता है।
गांवों में होता है उपयोग
गाय के गोबर से बने कंडों से आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन बनाया जाता है। हवन आदि के कार्य में भी कंडों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर गोबर को लकड़ी में कनवर्ट कर दिया जाए तो लकड़ी की खपत को काफी हद तक बचाया जा सकता है। जहां-जहां लकड़ी का उपयोग होता है उसका उपयोग किया जा सकता है। शवदाह भी लकडिय़ों से न करके गाय के गोबर से बने गौ काष्ठ से किया जा सकता है। इसी तरह यदि लकडिय़ों की जगह गौ काष्ठ की स्वीकार्यता बना ली जाए तो आश्रम, होटलों की धूनी एवं भ_ियों में गौ काष्ठ का उपयोग होने लगेगा। इससे प्रतिवर्ष हजारों पेड़ों को जीवनदान मिलने से पर्यावरण अधिक स्वच्छ व स्वस्थ हो जाएगा।
Created On :   5 Oct 2020 6:25 PM IST