कोरबे वैक्स का क्लीनिकल ट्रायल अधूरा, 75 बच्चों का लक्ष्य, 4 ही मिले

Clinical trial of Korbe wax incomplete, target of 75 children, only 4 met
कोरबे वैक्स का क्लीनिकल ट्रायल अधूरा, 75 बच्चों का लक्ष्य, 4 ही मिले
कोरोना के खिलाफ लड़ाई कोरबे वैक्स का क्लीनिकल ट्रायल अधूरा, 75 बच्चों का लक्ष्य, 4 ही मिले

डिजिटल डेस्क, नागपुर. कोरोना की पहली लहर में बच्चों को खतरा कम था, लेकिन दूसरी लहर के दौरान बच्चों को ज्यादा खतरा होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा था। तीसरी लहर के दौरान यह आशंका और गहराई। इस आशंका के मद्देनजर हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई-कंपनी द्वारा तैयार कोरबे वैक्स नामक टीके के परीक्षण की मंजूरी दी गई थी। डीसीजीआई ने देश के दस शहरों में से प्रदेश के दो शहरों में इसका मानवी परीक्षण करने की अनुमति दी थी। इसमें पुणे और नागपुर शामिल था। इसके लिए 5 से 18 साल के 75 बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल करना था, लेकिन यहां केवल 4 ही बच्चों पर ट्रायल हो पाया। अधिकतर बच्चों में एंटीबॉडी तैयार होने से निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। अब यह ट्रायल बंद हो चुका है।

एंटीबॉडी होने से लक्ष्य अधूरा : तीन महीने पहले हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल ई-कंपनी द्वारा तैयार कोरबे वैक्स के टीके को मानवी परीक्षण को मंजूरी मिली थी। इसके लिए मेडिकल को 75 लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल करना था। इन लोगों को दो आयु वर्ग में विभाजित किया गया था। इसमें 5 से 12 साल और 13 से 18 साल आयुवर्ग शामिल था। दोनों समूह के 35-40 बच्चों को शामिल करना था। दो महीने पहले मेडिकल में इसके लिए तैयारी की गई थी। लोगों तक यह संदेश पहुंचाया गया था। पालकों को पंजीयन करने के लिए कहा गया। पहले तो इसके लिए लोग ही सामने नहीं आये। बाद में जैसे-तैसे 100 से अधिक लोगाें ने स्वीकृति दी थी। लेकिन जो भी ट्रायल के लिए आते थे, उनमें से अधिकतर में एंटीबॉडी पाई गई। सूत्रों के अनुसार 80 फीसदी से अधिक में एंटीबॉडी मिलने से उन पर ट्रायल नहीं किया गया। अंतत: केवल 4 बच्चों पर ही ट्रायल हो पाया। एक महीने तक क्लीनिकल ट्रायल जारी रहा।

आदेश नहीं आया है

क्लीनिकल ट्रायल के दौरान टीके का 0.5 एमएल का पहला डोज इंजेक्शन के माध्यम से दिया गया। बाद में 28 दिनों बाद दूसरा डोज देना था, लेकिन अभी तक कोई आदेश नहीं आया है। तीसरी लहर का असर कम होने से डीसीजीआई द्वारा रुचि ली जाएगी या नहीं, इस पर भी प्रश्नचिह्न लगा है। मेडिकल द्वारा संबंधितों को क्लीनिकल ट्रायल के पहले डोज की सारी रिपोर्ट भेज दी गई है। जब तक वहां से कोई मार्गदर्शक सूचनाएं प्राप्त नहीं होती, तब तक आगे की प्रक्रिया नहीं की जाएगी। बता दें कि इसके पहले शहर में बच्चों पर कोवैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल हुआ था। इसी तर्ज पर मेडिकल के रोगप्रतिबंधक व सामाजिक औषधिशास्त्र विभाग को क्लीनिकल ट्रायल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सरकार के कोरोना प्रतिबंधक टीकाकरण अभियान अंतर्गत कोविशिल्ड, कोवैक्सीन व स्पूतनिक के टीके लगाए जा रहे हैं। इसमें कोवैक्सीन, जॉयडस के अलावा काेरबे वैक्स भारत में बना तीसरा टीका है। 

Created On :   18 Feb 2022 3:47 PM IST

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