- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- विपक्ष के सवाल पर मुख्यमंत्री का...
विपक्ष के सवाल पर मुख्यमंत्री का पलटवार, मोदी ने मंगाेलिया को सहायता दी, महाराष्ट्र को नहीं
डिजिटल डेस्क ,नागपुर। किसानों को राहत देने के मामले में केंद्र सरकार से सहायता मांगने को लेकर विपक्ष के सवाल पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगोलिया को 4 हजार करोड़ की सहायता की है। महाराष्ट्र को वे सहायता निधि क्यों नहीं देेंगे। विपक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि राज्य सरकार किसानों को राहत देने के मामले में अपने वादे को पूरा नहीं कर रही है। केंद्र सरकार से आर्थिक सहायता लेने की तैयारी है। राज्य को केंद्र से अपेक्षित सहायता मिलना आवश्यक नहीं है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने केंद्र सरकार से राज्य को मिली आर्थिक सहायता की वर्षवार जानकारी भी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जितनी निधि केंद्र से मांगती है, उसकी तुलना में अत्यल्प निधि मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी की छवि तो विश्व स्तर की है। अपेक्षा है कि महाराष्ट्र के बारे में वे अपनापन कायम रखेंगे।
विधायक निवास, रविभवन अंतिम दिन तक निकलती रहीं बॉटलें
विधानसभा के अधिवेशन में इस बार विधायक निवास की व्यवस्था खासी चर्चा में रही। विधायक निवास में रात के समय शराबियों द्वारा हंगामा मचाने को लेकर विधानसभा में दो बार मुद्दा उठा। यह मुद्दा उठाते हुए महिला विधायकों ने असुरक्षा की भावना जताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने संबंधित मंत्री को कार्रवाई के निर्देश भी दिए। कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने कार्रवाई का भरोसा भी दिलाया, लेकिन व्यवस्था पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिखा। विधायक निवास और रवि भवन अधिवेशन के अंतिम दिन तक शराब की बोतलें उगलते रहे। जगह-जगह शराब की बोतलें पड़ी मिलीं। कहीं विधायकों के कमरों के पीछे, तो कहीं कचरे में शराब की खाली बोतलें नजर आईं। रविभवन, जो मंत्रियों का निवास स्थान है, वहां भी शराब की बोतलें बिखरी मिलीं। संबंधित व्यवस्था संभालने वाले अधिकारी और कर्मचारी मौन दिखे। मामला मंत्रियों और विधायक के कॉटेज से शराब की बोतलें मिलने से वे भी बोलने से बचते दिखे। ऐेसे में जब शराब की बोतलें विधायकों के कमरे से निकल रही हैं, तो फिर भला कार्रवाई की हिम्मत कौन करे। इससे स्थानीय परिसर में शराब पीकर रात में हंगामा और मौज-मस्ती करने वालों को खुली छूट मिल रही है।
फरियाद लेकर आई आंदोलनकारी महिलाएं सुविधाओं से वंचित
शीतसत्र के चलते शहर में काफी संख्या में आंदोलकारी आए। जिसमें महिलाओं की संख्या भी रही। उनमें अनशनकारियों के लिए शहर के मध्य स्थित यशवंत स्टेडियम में ठहरने की व्यवस्था की गई। स्टेडियम में ठहरी हुई महिलाओं ने बताया कि यहां पर उनके लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा। सबसे बड़ी समस्या यह रही कि यहां पर महिलाओं और पुरुषों के लिए एक ही बाथरूम की व्यवस्था की गई। इससे हजारों की संख्या में आंदोलनकारी महिलाओं को घंटों इंतजार करना पड़ा। आंदोलनकारी महिलाओं का कहना है कि कम से कम महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए थी। इस असुविधा से न केवल आंदोलनकारी महिलाएं, बल्कि महिला पुलिसकर्मी भी परेशान हुईं। महिला पुलिस कर्मियों का कहना है कि सभी के लिए एक ही शौचालय की व्यवस्था रही, जिससे हमें भी बहुत परेशानी हुई है। ये सारी सुविधाएं बुनियादी हैं, कम से कम इनकी व्यवस्था तो अलग-अलग होनी चाहिए थी। बाथरूम में गंदगी होने से परिसर में बदबू फैलती रही। इससे बीमारियों का खतरा बना रहा।
रत्नागिरी से आई आंदोलनकारियों महिलाओं ने बताया कि सैनेटरी नैपकिन फेंकने के लिए भी इंतजाम नहीं किया गया था। एक महिला ने बताया कि रात को किसी महिला ने सैनेटरी नैपकिन मैदान में ही फेंक दिया था। इससे गंदगी तो होती है, साथ ही बीमारियों का भी खतरा होता है। कम से कम कचरा आदि फेंकने के लिए डस्टबिन रखे जाने चाहिए थे। बाहर स्थित सुलभ शौचालय का उपयोग करने में पांच रुपए लगते हैं। महिलाओं ने नाराजगी जताते हुए कहा कि महिलाओं की बुनियादी समस्या को ध्यान में रखते हुए इंतजाम किए जाने चाहिए थे। एक ही बाथरूम होने से पंडाल के पीछे भी गंदगी हुई। हमें उन्ही पंडालों में सोना पड़ा, जिनके पीछे गंदगी रही। इससे पूरे परिसर में बदबू और गंदगी रही है।
सरकार का खींचा ध्यान, समाज शर्मसार, व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न
कलमेश्वर के लिंगा में पांच वर्षीय बालिका से दुष्कर्म व नृशंस हत्या और भंडारा-गोंदिया में युवती पर एसिड हमले का मामला शनिवार को विधानपरिषद में गर्माया। गिरीश व्यास और परिणय फुके ने क्रमश: मुद्दे उठाते हुए पीड़ित परिवार को न्याय देने और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। नियम 93 अंतर्गत स्थगन प्रस्ताव व चर्चा की मांग करते हुए गिरीश व्यास ने कहा कि कलमेश्वर तहसील के लिंगा गांव में 5 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म के बाद नृशंस तरीके से हत्या की गई। शहर के पारडी क्षेत्र में भी इसी उम्र की बालिका के साथ दुष्कर्म की घटना घटी। उन्होंने कहा कि सरकार पीड़ित परिवार को त्वरित संरक्षण दे। पीड़ित परिवार से मुलाकात कर उन्हें 10-10 लाख रुपए की आर्थिक मदद करें। आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। नागरिकों की मांग है कि उन्हें फांसी की सजा दी जाए। गिरीश व्यास ने कहा कि नागरिकों द्वारा इसके लिए आंदोलन भी किया गया। लेकिन पुलिस अधीक्षक ने जनप्रतिनिधि और जनता के साथ अपमानजनक बर्ताव किया। इसकी जांच व संज्ञान लिया जाए।
उम्रकैद या मृत्युदंड की सजा हो
विधानपरिषद सदस्य डॉ. परिणय फुके ने औचित्य के मुद्दे के तहत युवती पर एसिड से हमले का विषय रखा। डॉ. फुके ने कहा कि गोंदिया जिले में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही युवती पर एसिड से जानलेवा हमला किया गया। गोंदिया के खलबांधा गांव में रहने वाली 20 वर्षीय युवती पर दो अज्ञात लोग एसिड फेंककर भाग गए। नागपुर के मेडिकल अस्पताल में उसका उपचार शुरू है। गंगाझरी पुलिस ने दो अज्ञातों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है। सरकार इसका संज्ञान लेकर पीड़ित को त्वरित न्याय दिलाए। इसके लिए समयसीमा तय की जाए। उन्होंने कहा कि एसिड से हमला अत्यंत घृणित अपराध है। आरोपी को उम्रकैद या मृत्युदंड की सजा हो।
भारी अव्यवस्था है मेयो, मेडिकल अस्पताल का मुद्दा गर्माया
विधानपरिषद में शहर के मेयो, मेडिकल और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अव्यवस्था और असुविधा का मुद्दा गर्माया। प्रा. अनिल सोले, प्रकाश गजभिये ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये अस्पतालों में डॉक्टरों के रिक्त पद, जैविक कचरा, गंदगी सहित तमाम मुद्दों को सदन के सामने रखा। वैद्यकीय शिक्षण मंत्री बालासाहब थोरात ने इस पर जवाब देने की कोशिश की, लेकिन उनके जवाब से सदस्य असंतुष्ट दिखे। इसके बाद उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने इस संबंध में 7 दिन में विषयों की जांच कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
रखी महत्वपूर्ण मांगें
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के तहत प्रा. अनिल सोले ने मुद्दा उपस्थित करते हुए कहा कि मेयो, मेडिकल, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में गंदगी का साम्राज्य है। बाह्यरुग्ण विभाग के समय में सभी तरफ अस्वच्छता रहती है। वार्ड से जैविक कचरा समय पर नहीं उठाए जाने से दुर्गंध फैलती है। प्रकाश गजभिये ने तीनों अस्पताल में डॉक्टरों की कमी होने की जानकारी दी। उन्होंने इसकी समीक्षा करने और वर्ग-1,2,3 के रिक्त पद भरने की मांग की। सफाई कामगारों की ठेका पद्धति से नियुक्ति करने के बजाय सीधी सेवा भर्ती से नियुक्ति करने की मांग की। खाने की जांच वैद्यकीय अधिकारी मार्फत की जाती है। मरीजों को पोषक आहार आवश्यक होने वाली कैलरी अनुसार दिया जाता है। फिर भी नागरिक और जनप्रतिनिधियों को इस बाबत शंका है, तो संबंधितों की जल्द बैठक ली जाएगी। चर्चा में डॉ. रणजीत पाटील, रामदास आंबटकर, नागोराव गाणार, गिरीश व्यास, जोगेंद्र कवाडे, निलय नाईक आदि ने हिस्सा लिया।
फडणवीस के भाषण का वीडियो वायरल करने वाले की होगी जांच
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस के दिए भाषण को सोशल मीडिया पर अलग तरह से वायरल करनेवाले पर कार्रवाई की जाएगी। गृहमंत्री एकनाथ शिंदे ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। भाजपा सदस्य देवयानी फरांदे ने विधानसभा में यह मामला उठाया। फरांदे ने कहा कि फडणवीस के विधानसभा में दिए गए भाषण की क्लीपिंग को अशोभनीय तरीके से सोशल मीडिया पर वायरल की है। क्लीपिंग वायरल करनेवाले सुशील कुमार वर्मा के विरुद्ध कार्रवाई करने का निवेदन किया गया। भाजपा सदस्य सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि यह मामला गंभीर है। आघाड़ी सरकार के समय गृहमंत्री आर.आर पाटील ने डांस बार पर पाबंदी लगायी थी, तब मंजीत शेट्टी ने विधायकों को लेकर अशोभनीय बात कही थी। मुनगंटीवार ने कहा कि उस मामले के विधानसभा में उठाने पर शेट्टी के विरुद्ध कार्रवाई की गई थी। वर्मा पर भी तत्काल कार्रवाई होना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने इस मामले को गंभीर कहा।
बाहर गूंजे नारे
शनिवार को विविध 10 संगठनों के मोर्चे सड़क पर उतरे। यवतमाल जिले से गुरुदेव युवा संघ का मोर्चा गुंडी (पानी का बर्तन) बजाते हुए विधानभवन पहुंचा। अन्य संगठनों के मोर्चे "ये अंदर की बात है, पुलिस हमारे साथ है' जैसे गगन भेदी नारे लगाते हुए आए। सभी ने तीव्र, लेकिन शांति से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। शीतसत्र का आखिरी दिन होने के कारण पुलिस थोड़ी सुस्त नजर आई। खाली सड़कों पर बच्चे क्रिकेट खेलते हुए दिखे।
गुरुदेव युवा संघ के मोर्चे में महिला प्रदर्शनकारियों की भारी भीड़ रही। मोर्चे में शामिल प्रदर्शनकारी पानी के बर्तन साथ लेकर आए थे। यह मोर्चा यवतमाल जिले के जामवाड़ी, चकनी, मोझर और उमरेठ गांव से आया था। उनका कहना था कि आजादी के वर्षों बाद भी उनका गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। गांव में बिजली, पानी, स्कूल की व्यवस्था नहीं है। गांव के किसानों का मुख्य व्यवसाय खेती और मजदूरी है। मजदूरों को भी काम नहीं मिल रहा है। पूर्व सरकार और वर्तमान सरकार में शामिल जनप्रतिनिधियों ने गांव का कोई विकास नहीं किया। हालात यह है कि गंाव में पीने का पानी तक नहीं है। मोर्चा मांगें पूरी नहीं होने पर जेल भरो आंदोलन भी करने के मूड़ में था। इस बीच शिष्टमंडल को संबंधित मंत्री से िमलने ले जाया गया।
25 हजार वेतन लागू करें, संगठन के लोगों की आर्थिक मदद करें
पदवीधर अंशकालीन संगठन महाराष्ट्र प्रदेश का मोर्चा नारे लगाते हुए विधानभवन पहुंचा। इस मोर्चे का नेतृत्व अनिता मेश्राम खोब्रागडे ने िकया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि गत 19 वर्ष से वह अपनी प्रलंबित मांगों को लेकर सड़क पर उतर रहे हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने उनके साथ न्याय नहीं किया, जबकि 11 दिसंबर 2018 को कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि संगठन के लोगों को ठेकेदारी के तौर पर शासकीय सेवा में लिया जाएगा, लेकिन अभी तक इस पर अमल नहीं िकया गया। प्रदर्शनकारियों में सरकार के प्रति रोष जताया।
"ये अंदर की बात है, पुलिस हमारे साथ है'
सत्र के पहले दिन उत्साह के साथ अपनी मांगों लेकर बैठे अनशनकारी अंतिम दिन मायूस नजर आए। शनिवार की दोपहर कोई आश्वासन की उम्मीद लेकर वापस गया, तो कोई मायूस ही लौटा। धरने में उम्मीद लगाए बैठे प्रदर्शनकारी दिन ढलने तक किसी के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई नहीं आया। भले ही उनकी उम्मीद टूटी, लेकिन जिद नहीं। अपनी मांगों की लड़ाई लड़ने का जज्बा साथ लिए उन्होंने यहां से वापसी की। नागपुर में 16 दिसंबर से शीतसत्र का आगाज हुआ था। ऐसे में राज्यभर से कई हैरान-परेशान लोग अपनी-अपनी मांगों को लेकर सरकार की दहलीज पर आए थे। किसी ने मोर्चे के माध्यम से सरकार तक अपनी मांग पहुंचाई, तो किसी ने यशवंत स्टेडियम में धरने देकर ध्यान खींचने की कोशिश की। हालांकि एक सप्ताह धरना देने के बाद भी सरकार का ध्यान नहीं गया। जिनकी ओर गया उन्हें आश्वासन के कुछ अलावा कुछ और नहीं मिला। शनिवार को शीतसत्र का आखिरी दिन होने से दोपहर तक बहुत से अनशनकारी लौट गए।
बीते 6 दिन, कोई नहीं आया
गत 19 वर्ष से अखिल भारतीय अनुसूचित तथा परिगणित जाति सेवक समाज की ओर से विभिन्न मांगों को लेकर धरना देने वाले ओम प्रकाश कहाटे ने बताया कि वह यहां 6 दिन से धरना दे रहे हैं, लेकिन कोई भी मिलने नहीं आया। न ही किसी तरह का कोई आश्वासन मिला। समाज की महिलाओं काे आरक्षण दें, समाज के लिए आरक्षित नौकरियों का निजीकरण बंद करें आदि उनकी मांगें हैं। फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिकल कांट्रैक्टर एसोसिएशन ऑफ महाराष्ट्र की ओर से गत 6 दिन से राज्यभर के कांट्रैक्टर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। द इलेक्ट्रिकल कांट्रैक्टर नागपुर के सचिव अनिल मानापुर ने बताया उन्हें ठीक से आश्वासन भी नहीं दिया गया। मुद्दा यह है कि राज्य में लगभग 40 हजार इलेक्ट्रिक कांट्रैक्टर हैं, जो रजिस्टर्ड हैं। वहीं इनके पास लाइसेंस भी हैं। इसी के भरोसे वह सरकारी काम हासिल करते थे, लेकिन हाल ही में सरकार ने नया जीआर निकाला, जिसमें उक्त इलेक्ट्रिकल कांट्रैक्टर को सिविल में शामिल किया है। ऐसे में अब सिविल इंजीनियर के अंतर्गत इन्हें काम करना पड़ेगा। इससे उनके काम पर फर्क पड़ेगा और कई लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
जवाब के इंतजार में बैठे रहे
लहुजी शक्ति सेना की ओर से शनिवार शाम तक अनशनकारियों ने सरकार के जवाब का इंतजार किया। उनकी मांगों में अनुसूचित जाति गट के 13 प्रतिशत आरक्षण को अ.ब.क.ड. के अनुसार बांटने का प्रस्ताव विधि मंडल में सहमति से पारित कर केंद्र सरकार के पास भेजने, बिहार की तरह महाराष्ट्र राज्य में अतिशोषित आयोग बनाकर सरकार के अ.जा. की सभी योजनाओं को अ.ब.क.ड. के अनुसार बांटा जाए, साहित्यरत्न अण्णाभाऊ साठे का नाम मुंबई विद्यापीठ को देने आदि मांग की। इसके अलावा प्रेस एसोसिएशन की ओर से भी धरना प्रदर्शन किया गया।
Created On :   22 Dec 2019 4:59 PM IST