सीएम को आया याद - हम भूले नहीं, ‘विदर्भ राज्य’ हमारा सैद्धांतिक एजेंडा

CM remembers - We have not forgotten, Vidarbha is our theoretical agenda
सीएम को आया याद - हम भूले नहीं, ‘विदर्भ राज्य’ हमारा सैद्धांतिक एजेंडा
सीएम को आया याद - हम भूले नहीं, ‘विदर्भ राज्य’ हमारा सैद्धांतिक एजेंडा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी से वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ही महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। गत पांच वर्षों के दौरान फडणवीस विपक्ष सहित अपनी पार्टी के प्रतिस्पर्धियों को भी मात देने में सफल रहे हैं। बतौर मुख्यमंत्री पांच साल के कार्यकाल, विपक्षी विधायकों को तोड़ने, उपमुख्यमंत्री पद और विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना युति की संभावनाओं आदि मसलों पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सवालों के जवाब दिए।     

सवाल : पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले आप महाराष्ट्र के दूसरे मुख्यमंत्री हैं। कैसा रहा यह पांच वर्षों का कार्यकाल?

जवाब : इन पांच वर्षों में हर दिन एक नई चुनौती रही। आए दिन कई तरह की संभावनाओं का जन्म दिया जाता रहा, लेकिन मैंने सभी आशंकाओं को गलत साबित किया। इस दौरान मैंने अड़चनों को मात देना सीखा। महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य का मुख्यमंत्री होना चुनौतीपूर्ण है, पर मैंने अपना एजेंडा नहीं छोड़ा। यह बात मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से सीखी है। इस दौरान मैं महसूस किया कि दिन-प्रतिदिन परिपक्व हुआ हूं।

सवाल : पर अलग विदर्भ राज्य का एजेंडा आपकी पार्टी क्यों भूल गई?

जवाब : यह मुद्दा हम भूले नहीं हैं। यह हमारा सैद्धांतिक एजेंडा है। इस बारे में कब फैसला लेना है, इसका निर्णय केंद्रीय नेतृत्व को करना है। राज्य गठन का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है। केंद्रीय नेतृत्व उचित समय पर इस बारे में फैसला लेगा। 

सवाल : विपक्ष का आरोप है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कश्मीर के अनुच्छेद 370 हटाने और बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक की बात करने का क्या तुक है?

जवाब : राकांपा अध्यक्ष शरद पवार सहित विपक्ष के नेता अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सवाल खड़े करते रहे हैं। राष्ट्रवाद हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, साथ ही हमने विकास की भी बात की है। चुनाव प्रचार के दौरान मैंने अपने भाषणों में पहले विकास की ही चर्चा की है। और कश्मीर व महाराष्ट्र दोनों भारत के हिस्से हैं। कांग्रेस-राकांपा ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध किया। इसलिए हम इस मसले पर हम कांग्रेस-राकांपा को बेनकाब करना चाहते थे। 

सवाल : -राज्य में फिर से सरकार बनाने को लेकर कितने आश्वस्त हैं? 

जवाब : पिछले कुछ महीनों में मैंने करीब 220 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया है। इस दौरान लोगों का प्रतिसाद देख कर पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि हमें दो तिहाई बहुमत मिलने जा रहा है। लोगों ने फिर से महायुति की सरकार बनाने का मन बना लिया है। राज्य की अगली सरकार हमारी ही होगी। 

सवाल : शिवसेना से गठबंधन पर भाजपा में एक मत नहीं था?

जवाब : पार्टी के बहुत से नेता चाहते थे कि भाजपा अपने बल पर अकेले चुनाव लड़े। हमारे आंतरिक सर्वे में भी यह बात आई थी कि हम अकेले चुनाव लड़ कर सरकार बना सकते हैं। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व और मैं भी चाहता था कि मित्र दलों के साथ चुनाव लड़ा जाए। मित्रों का साथ छोड़ना सही था। जैसे पंजाब में हमें पता था कि अकाली दल के खिलाफ एंटी एंकमबैंसी है। इसके बावजूद हम उनके साथ मिलकर चुनाव लड़े। हमें चुनाव परिणाम मालूम था, फिर भी साथ रहे। 

सवाल : कांग्रेस-राकांपा के दर्जनों नेता-विधायक भाजपा में शामिल हुए। आखिर दूसरे दलों से नेताओं का आयात करने की जरूरत क्यों पड़ी?

जवाब : राजनीति में अपनी शक्तियों का संचय जरूरी होता है। जहां हम थोड़े कमजोर हैं, वहां खुद को मजबूत करने की जरूरत होती है। वैसे तो कांग्रेस-राकांपा के सभी विधायक हमारे साथ आना चाहते थे। वे सब मुझसे मिले भी थे, लेकिन हमने सबको नहीं लिया। 

सवाल : शिक्षामंत्री विनोद तावडे, ऊर्जा मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे व पूर्व मंत्री प्रकाश मेहता का टिकट काट कर पार्टी ने क्या संदेश देने की कोशिश की है?

जवाब : इन नेताओं को उम्मीदवारी न देने का फैसला पार्टी की पार्लियामेंट्री बोर्ड का था। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने कुछ सोच कर इस तरह का फैसला लिया होगा। हो सकता है कुछ संदेश देने की कोशिश हो। नागपुर के पालकमंत्री बावनकुले ने अच्छा काम किया। नागपुर में हमारा सारा काम वही संभालते थे। टिकट कटने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने खुद बावनकुले से बात की। वे नाराज नहीं हैं। पूरे दमखम के साथ पार्टी का काम कर रहे हैं। 

सवाल : 2014 के विधानसभा चुनाव के वक्त आपने सिंचाई घोटाले के आरोपियों को जेल भेजने की बात कही थी। पांच साल बाद भी कुछ क्यों नहीं हो सका?

जवाब : जांच एजेंसी और पुलिस का काम आरोप-पत्र दाखिल करने तक का ही होता है। पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद आरोप-पत्र अदालत में दाखिल कर दिया है। अब मुकदमा चलाना अदालत का काम है, जिसमें सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती। अपने देश में न्यायिक प्रक्रिया बेहद धीमी है। लालू प्रसाद यादव का ही मामला देखिए। कितने वर्षों बाद उन्हें सजा हो सकी।

सवाल : आप फिर से सत्ता में आए तो क्या नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद होगा?

जवाब : नए मंत्रिमंडल में डिप्टी सीएम यानी उपमुख्यमंत्री का पद हो सकता है। इस बारे में तय कर लेंगे। इसमें कोई समस्या नहीं है। 

सवाल : सहकारी बैंक घोटाले में राकांपा अध्यक्ष शरद पवार सहित अन्य नेताओं के खिलाफ एफआईआर को विपक्ष राजनीतिक द्वेष की कार्रवाई बता रहा है।

जवाब : दरअसल को-ऑपरेटिव बैंक में भारी फ्रॉड हुआ है। आडिट रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी। चीनी मिलों को कौड़ियों के भाव बेचा गया। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने जांच शुरू की, तो कुछ लोग कोर्ट में चले गए। कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई। नियमानुसार इस तरह के मामलों में ईडी भी जांच शुरू करती है। इन सब में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। विपक्ष का आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद था।

Created On :   20 Oct 2019 9:52 AM GMT

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