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आतंकवाद और अहंवाद का निराकरण शंकराचार्य के एकात्मवाद से संभव: शिवराज
डिजिटल डेस्क शहडोल । एकात्म यात्रा के जनसंवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पहली बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक भी राजनीतिक बात नहीं की। यात्रा के संकल्प और उद्देश्य पर ही बोलते रहे। उनका 40 मिनट का पूरा भाषण सभी को साधने और लोगों को जोडऩे पर केंद्रित रहा। यहां न कोई घोषणा हुई न आश्वासन दिया गया। अंत में लोगों के बीच से होते हुए मुख्यमंत्री ने ज्ञापन जरूर लिए।
स्थानीय टेक्निकल स्कूल ग्राउंड में हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री यह यात्रा नहीं निकाल रहा है, यह तो परमात्मा का विचार है। पत्रकार लोग मुझसे पूछते हैं कि पहले नर्मदा यात्रा और अब एकात्म यात्रा। सरकार का काम तो स्कूल खोलना, अस्पताल बनाना, सड़कें बनाना है। मैंने कहा, यह काम तो हम कर ही रहे हैं, लेकिन हमारा काम जनता की जिंदगी बनाना भी है। सभी को जोडऩे के लिए आदि शंकराचार्य के विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए यह यात्रा निकाली जा रही है। कब तक एक-दूसरे से लड़ेंगे, सारे भेद भूल जाओ, सब एक हो जाओ। न कोई छोटो है न कोई बड़ा। हम सबमें एक ही आत्मा है, एक ही अंश है। यह सदियों से हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए यह यात्रा निकली है। मैं अपने में और जनता में भी भेद नहीं करता हूं। इसी भावना के साथ प्रदेश आगे बढ़ेगा तो देश आगे बढ़ेगा और हम दुनिया को भी आगे बढ़ाएंगे। मंच से ही मुख्यमंत्री ने लोगों को दोनों हाथ ऊपर करके संकल्प भी दिलाया कि मैं जीव, जगत और जगदीश के मूलभूत एकात्म भाव को आत्मसाद करके स्वयं को उन्नत बनाऊंगा और एकात्मकता के जरिए एक बेहतर राज्य, देश और विश्व को निर्मित करने में योगदान दूंगा।
कन्या पूजन से कार्यक्रम की शुरुआत
हमेशा की तरह मुख्यमंत्री ने आते ही सबसे पहले कन्या पूजन किया। इसके बाद संतों का पूजन, ध्वजा पूजन, चरण पादुका का पूजन किया। अपने भाषण की शुरुआत भी मुख्यमंत्री ने भारत माता की जय से किया। मंच से ही उन्होंने धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों को सदभावना हो, विश्व का कल्याण हो जनता से दोहरवाया। मंच पर महामंडलेश्वर सुखदेव नंद महाराज, संस्कृत विद्वान बसंत गाडगिल और सर्वसमाज के लोग मौजूद रहे।
बिन्दु और हिन्दू का एकत्रीकरण
इससे पहले अटल पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर सुखदेव नंद महाराज ने मंच यात्रा का बखान किया। उन्होंने कहा कि शहडोल बहुत ही पवित्र भूमि है। यह सौभाग्यपुरम है। यहां की कंगाली देवी चंडिका हैं। यह संतों की भूमि है। अमरकंटक का दरवाजा है शहडोल। यह मां नर्मदा का द्वार है। उन्होंने यह भी कहा कि एकात्म यात्रा बिन्दु और हिन्दू का एकत्रीकरण है। जब तक ओम में बिन्दु रहेगा, तब तक विश्व में हिन्दू रहेगा। उनसे पहले संस्कृत विद्वान बसंत गाडगिल ने कहा कि गुजरात में सरदार पटेल की विशाल मूर्ति बनाई जा रही है, महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की मूर्ति की स्थापना की जा रही है। मध्य प्रदेश एकलौता राज्य है जहां आदि शंकराचार्य की 108 फीट की मूर्ति बनाई जा रही है और उनके एकात्मवाद को आत्मसाद किया जा रहा है। अन्य राज्यों को भी इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।
Created On :   23 Dec 2017 12:56 PM IST