स्टेट प्रतियोगिता खेलने गए स्कूली खिलाडिय़ों को छोड़ आया कोच, भूखें-प्यासे भटकते रहे

coach left the players of badminton in state champion ship
स्टेट प्रतियोगिता खेलने गए स्कूली खिलाडिय़ों को छोड़ आया कोच, भूखें-प्यासे भटकते रहे
स्टेट प्रतियोगिता खेलने गए स्कूली खिलाडिय़ों को छोड़ आया कोच, भूखें-प्यासे भटकते रहे

डिजिटल डेस्क मंडला। मंडला से बैंडमेंटन शालेय राज्यस्तरीय खेल  प्रतियोगिताओं में शामिल बुरहानपुर गए दो खिलाड़ी मुसीबत में फंस गए। यहां संभागीय टीम के मैनेजर और कोच फाइनल होने के पहले ही खिलाडिय़ों को छोड़कर भाग आए। जिसके बाद मंडला के दो खिलाड़ी भूखे प्यासे भटकते रहे। बालाघाट के टीचर की मदद से घर आ पाए है। प्रशासन, स्कूल प्रबंधन और टीम स्टाफ की लापरवाही के कारण छात्रों में रोष व्याप्त है। इस मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक शालेय खेल प्रतियोगिताओं में हद दर्जे की लापरवाही सामने आ रही है। हालही में एक हैंडबाल खिलाड़ी स्कूल शिक्षा विभाग और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के कारण जान गंवा चुकी है। इसके बावजूद सुधार नहीं आया है। बैडमेंटन राज्य स्तरीय शालेय प्रतियोगिता में जबलपुर की टीम से मंडला भारत ज्योति के छात्र यश भांगरे निवासी उदयचंद्र वार्ड मंडला और कुसाग्र चौबे भगतसिंह वार्ड मंडला शालेय बैंडमेंटन राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए 9 अक्टूबर को बुरहानपुर गए। यहां जबलपुर की टीम से खिलाडिय़ों ने अच्छा प्रदर्शन किया। जिससे टीम फाइनल में पहुंच गई। फाइनल मैच के पहले ही टीम की जिम्मेदार मैनेजर और कोच का 12 अक्टूबर की शाम रेलवे का रिजर्वेशन होने के कारण नरसिंहपुर के एक शिक्षक के भरोसे छोड़ आए। यहां प्रतियोगिता का फाइनल के साथ नेशनल के लिए ट्रायल भी था, जिससे यश के साथ कुसाग्र को भी रूकना पड़ा।
प्रतियोगिता के बाद नरसिंहपुर के शिक्षक ने हाथ खड़े कर दिये। शिक्षक ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि लिखित में कुछ दिया नहीं तो खिलाडिय़ों के खाने,रहने और आने के किराए के लिए मदद नहीं कर सकता। जिसके बाद कुसाग्र और यश को दिन भर भूखा रहना पड़ा। दोनो टीम के कोच और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के कारण मुसीबत में फंस गए। कठिन समय में बेटे को साथ लेकर गए बालाघाट के शिक्षक ने मदद की। छात्रों को जबलपुर तक साथ लेकर आए। यहां रात होने के कारण दोनो मुसीबत पड़ गए। यहां भी शिक्षक रंजीत चाहील को दोनो पर दया आ गई। दोनो को घर ले गए। खिलाडिय़ों के रात शिक्षक के घर में काटी और 14 अक्टूबर को जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे है।
कलेक्टर से शिकायत के बाद नहीं मिल रही मदद
शिक्षा विभाग को शालेय खेल प्रतियोगिताओं ने लिये प्राईवेट स्कूलों से शुल्क मिलता है। लेकिन विभाग आबंटन का रोना रो रहा है। प्राइवेट स्कूल के खिलाडिय़ों को खुद खर्च उठाना पड़ रहा है। छिंदवाड़ा संभीगीय प्रतियोगिता में शामिल होने के दिन खिलाड़ी कलेक्टर के पास समस्या लेकर गए थे। जिस पर आश्वासन दिया गया था कि शिक्षा विभाग के आने के बाद भुगतान कराया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में खिलाडिय़ों को मुसीबत झेलने पड़ी। जिससे खिलाडिय़ों में रोष है।
स्कूल प्रबंधन को भी मतलब नहीं
प्राइवेट स्कूल में हर माह विद्यार्थियों खेल शुल्क लिया जाता है। सभी विद्यार्थी प्रतियोगिताओं और खेल में हिस्सा नहीं लेते लेकिन शुल्क वकायदा देते है। लाखों रूपए खेल शुल्क लेने के बाद टीम में बाहर जा रहे खिलाडिय़ों को शिक्षा विभाग के भरेासे छोड़ देते है। जिससे खिलाडिय़ों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले में भी प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
इनका कहना है
इस संबंध ने संयुक्त संचालक से चर्चा की जाएगी, जांच करायेगे,लापरवाही होने पर कार्रवाई होगी।
उदयभान पटेल, डीईओ मंडला

 

Created On :   18 Oct 2017 4:49 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story