जीनियरिंग कॉलेज के लिये कलेक्टर ने पीएस को भेजा प्रस्ताव

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जीनियरिंग कॉलेज के लिये कलेक्टर ने पीएस को भेजा प्रस्ताव

कलेक्टर ने वर्क प्लान समेत निर्माण कार्य की भेजी डिटेल, मंजूरी मिलने के साथ शुरू हो जायेगा निर्माण कार्य
डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (वैढऩ)।
माइनिंग कॉलेज को लेकर कलेक्टर ने तकनीकि शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को प्रस्ताव भेजा है। कलेेेक्टर ने बताया कि पीएस द्वारा इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण के लिये ब्यौरा मांगा गया है। उन्होंने बताया कि माइनिंग कॉलेज के निर्माण के लिये जमीन की उपलब्धता समेत खर्च की जानकारी पीएस ने मांगी थी। कलेक्टर ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण से जुड़े हर पहलू की डिटेल तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दी गई है। कलेक्टर ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज की मंजूरी मिलने के साथ निर्माण कार्य शुुरू हो जायेगा। उन्होंने बताया कि कॉलेज के लिये पूर्व भूमि आरक्षित है। 
174 करोड़ का डीपीआर तैयार
जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के लिये प्रशासन ने 174.73 करोड़ का डीपीआर यानी विस्तृत कार्ययोजना प्रतिवेदन तैयार किया है। बताया जाता है कि इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण में 163.38 करोड़ खर्च आयेगा। जबकि कॉलेज के संचालन में 11.35 करोड़ प्रतिवर्ष खर्च आने की संभावना जताई गई है। प्रशासन ने डीपीआर ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि कॉलेज की स्थापना के साथ निर्माण कार्य में शासन से अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है। डीपीआर तैयार करने के साथ प्रशासन ने कॉलेज के निर्माण की पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली है।
इकोनामी का हब है ऊर्जाधानी
पूर्व कलेक्टर केवीएस चौधरी ने इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना को लेकर जिले की पूरी भौगोलिक स्थिति से पीएस को अवगत कराया था। उन्होंने पत्र में इस बात का उल्लेख किया था कि सिंगरौली इकोनामी का हब होने के कारण जिले को ऊर्जाधानी के नाम से जाना जाता है। श्री चौधरी ने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया था कि 24 मई 2008 को सिंगरौली जिले का गठन होने के बाद यहां की जनसंख्या 12 लाख के करीब है। जिले में बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयों के संचालित होने के बाद भी इंजीनियरिंग कॉलेज की दरकार है। ऐसे में यहां के स्थानीय छात्र-छात्राएं तकनीकी शिक्षा से वंचित हो रहे है। तकनीकी शिक्षा के अभाव के कारण उन्हें स्थानीय कंपनियों में रोजगार उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
सीएसआर और डीएमएफ का विकल्प
जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के लिये सीएसआर और डीएमएफ मद का विकल्प खुला हुआ है। इससे इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण पर शासन पर आर्थिक भार नहीं आयेगा। कलेक्टर ने पत्र में यह भी कहा है कि कॉलेज के निर्माण के लिये कंपनियों द्वारा अंशदान दिये जाने के साथ वित्तीय संसाधनों की सुगमता संभव है। ऐसी स्थिति में कॉलेज का निर्माण सुगमता के साथ होने की पूर्ण संभावना है। यदि जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना होती है तो छात्र-छात्राओं के लिये तकनीकी शिक्षा के द्वार खुल जायेंगे। इससे यहां बेरोजगारी कम होने के साथ जिले का तेजी से विकास होने की प्रबल संभावना है।
पीएस से मंजूरी के लिये की चर्चा
कलेक्टर ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज की मंजूरी के लिये तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से चर्चा की गई है। उन्होंने बताया कि निर्माण में खर्च समेत संचालन को लेकर भी स्थिति को स्पष्ट कर दिया गया है। कलेक्टर ने बताया कि पीएस को सीएसआर और डीएमएफ से राशि की उपलब्धता के संबंध में भी जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेज की मंजूरी मिलने के साथ ही कंपनियों के प्रतिनिधियों से चर्चा कर अंशदान के लिये सैद्धांतिक सहमति ली जायेगी।
इनका कहना है
इंजीनियरिंग कॉलेज के निर्माण कार्य की मंजूरी के लिये तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से विस्तृत चर्चा की गई है। पीएस को कार्ययोजना का डीपीआर भेजा गया है। कॉलेज के लिये भूमि आरक्षित है। निर्माण कार्य के लिये मंजूरी मिलने के साथ अन्य औपचारिकताओं का पूरा कर लिया जायेगा।
-राजीव रंजन मीना, कलेक्टर
 

Created On :   25 July 2020 12:53 PM GMT

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