घटिया निर्माण पर कलेक्टर ने उखड़वाई 3 किमी फोरलेन

Collector uprooted 3 km for poor construction on poor construction
घटिया निर्माण पर कलेक्टर ने उखड़वाई 3 किमी फोरलेन
घटिया निर्माण पर कलेक्टर ने उखड़वाई 3 किमी फोरलेन

अमृत पेयजल परियोजना के पाइप लाइन डालने के बाद ठेकेदार ने सडक़ की गुणवत्ता से किया था खिलवाड़
डिजिटल डेस्क  सिंगरौली (वैढऩ)।
डीएमएफ के 42 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन फोरलेन के घटिया निर्माण का भास्कर द्वारा खुलासा करने के बाद कलेक्टर ने खबर पर संज्ञान लेते हुये ठेकेदार और एमपीआरडीसी को झटका दिया है। फोरलेन के निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने सडक़ से गिट्टियों के बाहर झांकने की असलियत सामने आने के बाद 3 किलोमीटर मार्ग को खुदवाकर नये सिरे निर्माण कार्य करने के निर्देश दिये हैं। बताया जाता है कि नगर निगम द्वारा अमृत योजना की पाइप लाइन बिछाये जाने के बाद फोरलेन के ठेकेदार ने गुणवत्ता से खिलवाड़ करते हुये डामर की पतली परत चढ़ाकर सडक़ निर्माण की खानापूर्ति की थी। कलेक्टर के निरीक्षण के दौरान एमपीआरडीसी के अधिकारियों और ठेकेदार के सांठगांठ की कलई खुलने के बाद डीएम ने नये सिरे से सडक़ का निर्माण करने के निर्देश दिये हैं।
3 साल पूरे फिर भी नहीं बन पाई 9 किमी सडक़
कागजों में प्रोग्रेस दर्शाकर डीएमएफ से पैसा हथियाने के बाद भी ठेकेदार सिर्फ 9 किलोमीटर की सडक़ बनाने में 3 साल बाद भी कामयाब नहीं हो पाया है। जानकारों का कहना है कि ठेकेदार द्वारा कभी नगर निगम की पाइप लाइन तो कभी भूमि हैंडओवर नहीं होने लंबे समय से रोना रो रहा है। इसके चलते जनवरी 2017 में फोरलेन स्वीकृत होने के बाद अपना औचित्य साबित नहीं कर पाया है। जबकि तत्कालीन कलेक्टर अनुराग चौधरी ने हादसों पर ब्रेक लगाये जाने के उद्देश्य फोरलेन का डीएमएफ से डीपीआर तैयार कराया था।
डीएमएफ से निकले 36 करोड़
भले ही डीएमएफ से 36 करोड़ की राशि का एमपीआरडीसी के अधिकारियों के संरक्षण में ठेकेदार ने अंदर कर ली है, लेकिन अब भी फोरलेन का कार्य 70 फीसदी भी पूर्ण नहीं हो पाया है। जानकारों कहना है कि एमपीआरडीसी के अधिकारियों द्वारा आंकड़ों की बाजीगरी से तत्कालीन कलेक्टर केवीएस चौधरी को भी लगातार गुमराह किया था। बताया जाता है कि श्री चौधरी के तबादले के बाद अब एमपीआरडीसी के अधिकारी कलेक्टर श्री मीना को भी भ्रामक जानकारी देकर फोरलेन के निर्माण की असलियत और गुणवत्ता को लेकर गुमराह किया जा रहा है।
तय नहीं हो पाई निर्माण की डेडलाइन
जानकारी के अनुसार फोरलेन निर्माण के दिसंबर 19 की आखिरी डेडलाइन जारी की गई थी। इस अवधि के निकलने के बाद भी ठेकेदार अब तक 70 फीसदी भी कार्य पूर्ण नहीं कर पाया है। जबकि एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने कागजों में फर्जी वैल्युएशन कर डीएमएफ से 85 फीसदी से अधिक राशि का भुगतान ठेकेदार को करा दिया है। बताया जाता है कि डीएमएफ से 36 करोड़ का भुगतान होने के बाद ठेकेदार बेलगाम हो गया है। इसके चलते परसौना-निगाही फोरलेन अभी धरातल में नहीं उतर पाया है।
निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर उठे सवाल
फोरलेन के नये निर्माण के बाद भी सडक़ से गिटिट्यों के बाहर आने से गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। बताया जाता है कि डीएमएफ की राशि को अंदर करने के बाद ठेकेदार फोरलेन के निर्माण में खानापूर्ति कर रहा है। इसके चलते दो साल के अंदर फोरलेन के कंडम होने के कयास अभी से लगाये जा रहे हंै। तकनीकी जानकारों के अनुसार फोरलेन  का बेस कमजोर होने के कारण भारी वाहनों के धमाचौकड़ी से सडक़ के परखच्चे उडऩे आसार बन गये हंै। इसके बाद भी प्रशासन के अधिकारी फोरलेन के निर्माण की तकनीकी जांच कराये जाने से बच रहे हैं। प्रशासन द्वारा फोरलेन की जांच नहीं कराने से ठेकेदार आनन-फानन में सडक़ का निर्माण कर अपना पिंड छुड़ाने की तैयारी मे हंै।
इनका कहना है
अमृत योजना की पाइप लाइन बिछाने के बाद फोरलेन की सडक़ का निर्माण ठीक नहीं पाये जाने पर 3 किलोमीटर की रोड को उखड़वा दिया गया है। यदि ठेकेदार ने फोरलेन की गुणवत्ता से खिलवाड़ किया गया है तो इसकी जांच कराई जायेगी।
-राजीव रंजन मीना, कलेक्टर

Created On :   2 Dec 2020 11:48 AM GMT

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