दिव्यांगजनों की सम्पत्ति के बनेंगे कलेक्टर लीगल गार्जियन

Collector will be the guardian of assets of handicapped people
दिव्यांगजनों की सम्पत्ति के बनेंगे कलेक्टर लीगल गार्जियन
दिव्यांगजनों की सम्पत्ति के बनेंगे कलेक्टर लीगल गार्जियन

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश के ऐसे दिव्यांगजन जिनके पास काफी चल-अचल सम्पत्ति है तथा वे उनकी देखरेख करने में सक्षम नहीं हैं, उनके लीगल गार्जियन अब जिला कलेक्टर बनेंगे। दिव्यांगजनों के लिये बने केंद्रीय कानून में इसका प्रावधान है परन्तु इस पर अमल नहीं हो पा रहा था। दिव्यांगजनों के कल्याण हेतु वर्ष 1999 में बने नेशनल ट्रस्ट की राज्य स्तरीय समन्वय समिति ने हाल ही में अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि दिव्यांगजनों को लीगल गार्जियनशिप दी जाये। सामाजिक न्याय विभाग ने इस समिति के निर्णयों पर अमल हेतु अपने सभी संभागीय संयुक्त संचालकों एवं जिला उप संचालकों को भी निर्देश भी जारी किए हैं।

दरअसल लीगल गार्जियनशिप का निर्णय जिला स्तर पर बनी लोकल लेवल कमेटी करती है। राज्य स्तरीय समन्वय समिति की बैठक में यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश में सिर्फ दस जिलों यथा बैतूल, भोपाल, छिन्दवाड़ा, जबलपुर,  कटनी, मंदसौर, रीवा, सागर एवं उज्जैन में ही लोकल लेवल कमेटियों का गठन हुआ है तथा शेष 31 जिलों में इनका गठन नहीं हुआ है। बैठक में यह भी पाया गया कि मानसिक मंद एवं बहुविकलांग आर्थिक सहायता योजना के दिव्यांगजन जो 18 वर्ष या इससे अधिक आयु के हैं, उनके नियमानुसार लीगल गार्जियनशिप के प्रमाण-पत्र भी नहीं बने हैं।

खरीदी जायें राखियां एवं पेपर बैग
राज्य स्तरीय समन्वय समिति के इस निर्णय को भी क्रियान्वित करने के लिये कहा गया है कि दिव्यांगजनों के कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं में दिव्यांगजनों के द्वारा बनाये जाने वाली विभिन्न सामग्रियों जैसे दीपक, राखी, पेपर बैग आदि का विक्रय दिव्यांगजनों को प्रोत्साहित किए जाने के उद्देश्य से जिलों में संचालित शासकीय/अशासकीय संस्थाओं एवं कार्यालयों में किए जाने हेतु प्रोत्साहित किया जाये।

उक्त के अलावा सामाजिक न्याय विभाग ने यह भी कहा है कि नेशनल ट्रस्ट द्वारा संचालित दस योजनाओं यथा दिशा, समर्थ, घरौंदा, विकास, निरामय, सहयोगी, ज्ञानप्रभा, प्रेरणा, संभव और बढ़ते कदम जिनका पंजीकृत संस्थाओं के माध्यम से संचालन किया जा रहा है, के द्वारा दिव्यांगजनों से नियमों के अंतर्गत ही शुल्क लिया जाये और उन्हें प्रवेश व सुविधायें प्रदान की जायें, यह सुनिश्चित किया जाये। यदि ऐसा नहीं पाया जाता है तो उक्त संस्था के विरुध्द विभागीय मान्यता/पंजीयन समाप्त किए जाने की कार्यवाही की जाये। साथ ही इन पंजीकृत संस्थाओं का नियमित रुप से औचक निरीक्षण भी किया जाये।

इनका कहना है
‘‘कलेक्टरों को दिव्यांगजनों की सम्पत्ति का लीगल गार्जियन बनाने के लिये निर्देश भेजे गये हैं। राज्य स्तरीय समन्वय समिति द्वारा लिये गये निर्णयों का पालन प्रतिवेदन भी संयुक्त संचालकों एवं उप संचालकों से मांगा गया है।’’
कृष्ण गोपाल तिवारी, संचालक, सामाजिक न्याय विभाग मप्र

 

Created On :   7 Aug 2018 5:15 PM IST

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