चार सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करे मेलघाट के लिए बनाई कमेटी, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर भी हाईकोर्ट सख्त

Committee created for Mailghat to be present progress report in four weeks - HC
चार सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करे मेलघाट के लिए बनाई कमेटी, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर भी हाईकोर्ट सख्त
चार सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करे मेलघाट के लिए बनाई कमेटी, सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट को लेकर भी हाईकोर्ट सख्त

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मेलघाट इलाके में कुपोषण व स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में होनेवाली मौतों को रोकने के लिए शुरु किए गए मिशन मेलघाट की योजना के अमल के लिए बनाई गई कमेटी को चार सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि सरकार की योजनाएं कागज पर तो अच्छी दिखती है लेकिन उन पर अमल बड़ी समस्या है। इसलिए सरकार मिशन मेलघाट के तहत आने वाली योजनाओं पर अमल के लिए कमेटी व टास्क फोर्स बनाए। यह टास्क फोर्स इस बात का रिकार्ड रखे कि मेलघाट में कौन से अधिकारियों ने कब दौरा किया। किन योजनाओं का मेलघाटवासियों को लाभ मिला और वहां पर कब स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई गई। कितने डाक्टर वहां पर नियुक्त किए गए? हाईकोर्ट में मेलघाट व अन्य आदिवासी इलाकों में कुपोषण से होनेवाली मौत व अन्य मुद्दों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता पूर्णिमा उपाध्याय व अन्य लोगों की ओर से दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। शुक्रवार को यह याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील नेहा भिडे ने कहा कि मिशन मेलघाट योजना के तहत शुरु की गई योजनाओं पर अमल को देखने के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, आदिवासी विकास विभाग, ग्राम विकास विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग, महिला व बाल विकास विभा व राजस्व विभाग के प्रधान सचिवो सहित 13 विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया है। 28 मार्च 2019 को कमेटी के गठन को लेकर शासनादेश जारी किया गया है। सरकारी वकील की ओर से पेश किए गए शासनादेश की प्रति पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान हमारे मिशन मेलघालट को लेकर कमेटी की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट पेश की जाए। यह कहते हुए खंडपीठ ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है। 

दूसरे देशों में मिनटों तुरंत सोशल मीडिया से हटते हैं आपत्तिजनक पोस्ट : हाईकोर्ट 

बांबे हाईकोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को सोशल मीडिया में वायरल होनेवाली आपत्तिजनक व फर्जी संदेशों को जल्द से जल्द हटाने की दिशा में एक सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने न्यूजीलैंड में मस्जिद में फायरिंग से जुड़ी घटना के मद्देजनर सुनवाई के दौरान पाया कि दूसरे देशों में वायरल होने वाली फर्जी पोस्ट व खबरों को 15 मिनट में हटा दिया जाता है। लेकिन यहां पर फेसबुक, यूट्यूब व सोशल मीडिया के अन्य माध्यम में वायरल होनेवाली आपत्तिजनक समाग्री को निकालने में 3 घंटे का समय लगता है। जो की चुनाव की निष्पक्षता व पारदर्शिता को प्रभावित करता है। इसलिए चुनाव आयोग सोशल मीडिया पर वायरल होनेवाले संदेशों को तीन घंटे से कम समय में निकालने की दिशा में एक सप्ताह में निर्णय ले। मुख्य न्यायाधीश नरेश पाटील व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने सोशल मीडिया पर मतदान के 48 घंटे पहले राजनीतिक विज्ञापनों को हटाने के संबंध में लिए गए फैसले को स्वीकार कर लिया है। जिसके तहत आयोग ने इंटरनेट मोबाइल एसोसिएशन द्वारा तैयार की गई संहिता (वालेंटरी कोड आफ इथिक) को स्वीकार किया है। खंडपीठ ने इस मामले में राजनीतिक विज्ञापनों के नियंत्रण के लिए फेसबुक व यूट्यूब की नीति को स्वीकार कर लिया है। जिसके तहत कहा गया है कि सिर्फ भारतीय व्यक्ति को ही विज्ञापन देने का अधिकार होगा और विज्ञापन की रकम भारतीय मुद्रा में ली जाएगी और चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद ही विज्ञापन प्रसारित किए जाएगे। चुनाव आयोग की ओर से जारी होनेवाले निर्देशों का पालन किया जाएगा। 
 

Created On :   29 March 2019 9:37 PM IST

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