हाईकोर्ट : अस्पतालों की लापरवाही से जान जाने पर कोरोना मरीज के परिजन को देना होगा मुआवजा

Compensation will have to be paid if corona patient dead due to negligence of hospitals
हाईकोर्ट : अस्पतालों की लापरवाही से जान जाने पर कोरोना मरीज के परिजन को देना होगा मुआवजा
हाईकोर्ट : अस्पतालों की लापरवाही से जान जाने पर कोरोना मरीज के परिजन को देना होगा मुआवजा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी व स्थानीय निकाय के अस्पतालों की लापरवाही व जानबूझ कर उपेक्षा के चलते जान गंवानेवाले कोरोना के मरीजों के परिजन को राज्य सरकार मुआवजे देने के लिए बाध्य है। हाईकोर्ट ने यह बात भारतीय जनता पार्टी के विधायक आशिष शेलार की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। याचिका में मुख्य रुप से कोरोना मरीज के शव के निस्तारण में बरती जा रही लापरवाही व नियमों के उल्लंघन को उजागर किया गया है। याचिका में सायन अस्पताल की उस घटना का उल्लेख किया गया है, जहां कोरोना मरीज का शव दूसरे मरीजों के बगल में पड़ा हुआ दिखा था। याचिका में ऐसी 11 घटनाओं का जिक्र किया गया है, जिसमें अस्पताल की लापरवाही को दर्शाया गया है। याचिका में कहा गया है कि ऐसी घटनाए सिर्फ मुंबई में ही नहीं हुई है, पूरे राज्य के कई अस्पतालों में हुई है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान जलगांव के सरकारी अस्पताल में 82 वर्षीय महिला का शव अस्पताल के शौचालय में मिलने के मामले को लेकर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। सोमवार को सरकारी वकील केदार दिघे ने कहा कि जलगांव मामले को लेकर औरंगाबाद खंडपीठ के सामने सुनवाई चल रही है। इस पर खंडपीठ ने जब 11 घटनाओं के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि सभी घटनाएं सरकारी अस्पताल में नहीं हुई है। कुछ अस्पताल ऐसे हैं जिन्हें मुंबई मनपा व दूसरे स्थानी निकाय चलाते हैं। राज्य सरकार की जवाबदारी सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक है। 

खंडपीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि सरकार कोई ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे अस्पतालों में लापरवाही से मरीज को जान न गवानी पड़े। वैसे यह सरकार की जिम्मेदारी है। हम सिर्फ सरकार को आगाह कर रहे हैं। याचिका में जिन 11 घटनाओं का जिक्र किया गया है, यदि वे सही है तो यह अस्पताल की सदोष लापरवाही का संकेत देते हैं। जहां तक बात जलगांव की घटना की है तो यह मामला औरंगाबाद खंडपीठ के सामने चल रहा है। इसलिए हम इस विषय पर कोई आदेश नहीं जारी करेंगे।

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजेंद्र पई  ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना मरीजो के शवों को लेकर कौन से दिशा-निर्देशों का पालन करती है। यह अब तक स्पष्ट नहीं है। इसके बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को शवों को लेकर केंद्र सरकार के निर्देशों को अपनाने का सुझाव दिया। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 23 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है और राज्य सरकार को याचिका में उल्लेखित घटनाओं के बारे में हलफनामा दायर करने को कहा है। 

Created On :   5 Oct 2020 3:43 PM GMT

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