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अधिकारी-जनप्रतिनिधि के बीच अस्तित्व की लड़ाई, अध्यक्ष के आदेश पर अमल नहीं
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद की आमसभा में विभाग प्रमुखों के प्रति सदस्य के वक्तव्य से अधिकारी, जनप्रतिनिधि के बीच अस्तित्व की लड़ाई शुरू हो गई है। अध्यक्ष ने अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे सामान्य प्रशासन के डिप्टी सीईओ का दो दिन में प्रभार हटाने व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग कार्यकारी अभियंता की कार्यप्रणाली पर लगे आरोपों की जांच करने के आदेश दिए थे। इन आदेशों पर प्रशासन ने अमल नहीं किया। सभी विभाग प्रमुख एकजुट होकर कार्रवाई रोकने के लिए सीईओ पर दबाव बना रहे हैं। पदाधिकारी का आदेश और विभाग प्रमुखों के दबाव से सीईओ पेंच में फंस गए हैं। सूत्रों से जानकारी मिली कि सीईअो से मिलने गए विभाग प्रमुखों को समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन विभाग प्रमुख मानने को तैयार नहीं हैं।
यह है मामला
18 नवंबर को जिला परिषद की आमसभा हुई। नवनिर्वाचित सदस्य कुंदा राऊत ने सदस्यों को आमसभा के नोटिस नहीं मिलने पर विभाग की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा किया। सामान्य प्रशासन के प्रभारी डिप्टी सीईओ अनिल कीटे पर निशाना साधकर पद के लायक नहीं कहा। अध्यक्ष रश्मि बर्वे ने कीटे का दो दिन में प्रभार हटाने के निर्देश दिए। उसी के साथ नानक कंस्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैकलिस्टेड करने का राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजने के बावजूद काम देने पर ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता संजीव हेमके की कार्यप्रणाली की जांच के आदेश दिए। एक सप्ताह हो गया, लेकिन अध्यक्ष के आदेश पर अमल नहीं हुआ।
आमसभा के तत्काल बाद सभी विभाग प्रमुख लामबंद हो गए। उन्होंने सीईओ के कक्ष में मीटिंग बुलाई। कीटे के प्रति सदस्य ने दिए वक्तव्य का विरोध किया गया। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दीपक सेलोकर को भी कटघरे में खड़ा कर खरी-खोटी सुनाई गई। असंसदीय शब्द आमसभा की कार्यवाही से हटाने तथा भविष्य में अधिकारियों के खिलाफ असम्मानजक शब्दों का प्रयोग करने पर कामबंद आंदोलन करने की चेतावनी दी गई। सोमवार को विभाग प्रमुखों का प्रतिनिधिमंडल सीईओ और अध्यक्ष से मिला। अधिकारियों के प्रति सदस्यों ने किए वक्तव्य पर रोष प्रकट किया। दूसरी ओर अध्यक्ष के आदेश पर सप्ताहभर में कार्रवाई नहीं हुई। विभाग प्रमुखों के दबाव बनाने से कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाले जाने की जानकारी मिली है।
आमसभा में अध्यक्ष ने दिया आदेश सभागृह का आदेश माना जाता है। प्रशासन को सभागृह के आदेश का पालन करना बंधनकारक है। अध्यक्ष ने दो दिन में कार्रवाई करने के आदेश दिए। सप्ताहभर में आदेश का पालन नहीं हुआ, यह सभागृह की अवमानना है। दूसरी तरफ सभी अधिकारी एकजुट होकर कार्रवाई रोकने के लिए दबाव बनाने से अधिकारी, पदाधिकारियों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है। इस पेंच को सुलझाने की सीईओ के सामने बड़ी चुनौती है।
Created On :   24 Nov 2021 6:10 PM IST