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कांग्रेस को 2002 के दिन लौटने की उम्मीद, प्रभाग रचना ने राजनीतिक समीकरण बदले
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मंगलवार को जारी हुई प्रभाग रचना ने राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने का काम किया है। दूसरी बार तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति से यह चुनाव होने जा रहा है। 2002 में पहली बार तीन सदस्यीय प्रभाग पद्धति से चुनाव हुआ था और कांग्रेस की सत्ता बनी थी। ऐसे में कांग्रेस को फिर वह दिन लौटने की उम्मीद जागी है। कई कांग्रेसी नेता इसे लेकर उत्साही दिखे। भविष्य को लेकर अनेक बड़े दावे भी किए गए। इसके पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कांग्रेस के इन दावों से भाजपा नेताओं की शंकाओं से भी बल मिलता दिखा। भाजपा नेताओं को शंका है कि सरकार ने प्रशासन पर दबाव बनाकर प्रभाग रचना अपने हिसाब से तय की है। इसे लेकर नेताओं को दिन भर कार्यकर्ताओं से शिकायतों के फोन आते रहे। इसे लेकर अब भाजपा ने अपने स्तर पर अध्ययन कर आगे बढ़ने का निर्णय लिया है।
सरकार के घटक दलों को होगा फायदा : फिलहाल प्रभाग रचना के बाद अनेक नेता अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। जो शांत बैठे थे, प्रभाग रचना को देखकर उनमें भी उत्साह नजर आने लगा है। चर्चा है कि जिस तरह से प्रभागों की रचना हुई है, वह सरकार के अनुकूल है। करीब 25 ऐसे प्रभाग हैं, जहां दलित आबादी 10 हजार या उससे कहीं अधिक है। ज्यादातर प्रभागों में दलित और अल्पसंख्यक समुदायों की बस्ती एक साथ जुड़ रही है। इसके अलावा कुछ अन्य कारण भी है कि जिसका फायदा सरकार के घटक दलों को होने का दावा किया गया है। प्रभाग रचना ने भाजपा की मुसीबतों को बढ़ाने का काम किया है। हालांकि कई प्रभाग भाजपा के बड़े नेताओं के लिए सुरक्षित भी हुए हैं। महापौर दयाशंकर तिवारी, सत्तापक्ष नेता अविनाश ठाकरे समेत अनेक नेताओं के लिए प्रभाग सुविधाजनक माना जा रहा है। हालांकि पहले की तरह स्थिति अभी नहीं रहेगी। जितना आसान माना जा रहा था, वह नहीं है।
आसार...भाजपा के लिए राह नहीं होगी आसान
जानकारों ने विधानसभा क्षेत्र अनुसार प्रभाग रचना का विश्लेषण करते हुए बताया कि दक्षिण पश्चिम नागपुर में भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है। प्रभाग रचना भी उनकी अनुकूलता के आसपास है। करीब 8 प्रभाग हैं। फिर भी 4 प्रभागों में कड़ा संघर्ष हो सकता है। पिछले चुनाव में उत्तर नागपुर में भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी। पालकमंत्री के इस क्षेत्र में नई रचना कांग्रेस के लिए अनुकूल मानी जा रही है। जिन प्रभागों में भाजपा जीती थी, नई रचना से वहां चुनौती बढ़ गई है। कांग्रेस और बसपा दोनों को उत्तर नागपुर से ज्यादा उम्मीदें हैं। वोट आधार एक होने से दोनों को अन्य वोट के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। पश्चिम नागपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रभागों में भी बड़ा फेरबदल हुआ है। कांग्रेस, भाजपा में सीधा मुकाबला हो सकता है। मध्य नागपुर में मिला-जुला असर दिख रहा है। पूर्व नागपुर भाजपा गढ़ है। यहां कांग्रेस के लिए अभी भी संघर्ष के दिन बताए जा रहे हैं। दक्षिण नागपुर में कांग्रेस को कुछ बढ़त मिल सकती है। हालांकि भाजपा इसे अपने लिए ज्यादा सुविधाजनक मानकर चल रही है। जानकारों का दावा है कि जितना आसान माना जा रहा था, उतना आसान दोनों के लिए नहीं है।
गलत हुआ है तो आपत्ति दर्ज करा सकते हैं
चुनाव आयोग ने प्रभाग रचना के नियम बनाए हैं। चुनाव आयोग के निर्देशानुसार प्रशासन काम करता है। फिर भी किसी को लगता है कि इसमें छेड़छाड़ हुई है या कुछ गलत हुआ है तो वह आपत्ति दर्ज करा सकता है।
-विकास ठाकरे, विधायक व अध्यक्ष शहर कांग्रेस
अध्ययन करने के बाद निर्णय
प्रभाग रचना को लेकर हमारा अध्ययन जारी है। कई कार्यकर्ताओं के फोन आ रहे हैं। कार्यकर्ताओं में चर्चा हैै। इसलिए अध्ययन करने के बाद लगता है कि आपत्ति दर्ज कराना चाहिए तो उस संदर्भ में भी निर्णय लिया जाएगा।
-प्रवीण दटके, विधायक व अध्यक्ष शहर भाजपा
Created On :   3 Feb 2022 2:38 PM IST