शिवसेना को कांग्रेस-राकांपा भी समर्थन- दांव पर उद्धव की प्रतिष्ठा, हिंदीभाषी मतदाता निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका   

Congress-NCP also support Shiv Sena - Uddhavs reputation at stake
शिवसेना को कांग्रेस-राकांपा भी समर्थन- दांव पर उद्धव की प्रतिष्ठा, हिंदीभाषी मतदाता निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका   
अंधेरी पूर्व सीट उपचुनाव शिवसेना को कांग्रेस-राकांपा भी समर्थन- दांव पर उद्धव की प्रतिष्ठा, हिंदीभाषी मतदाता निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका   

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा की अंधेरी पूर्व (मुंबई) सीट पर होने वाले उपचुनाव में शिवसेना और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला होगा। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा व शिंदे गुट के लिए यह उपचुनाव लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के अपनी सीट बचाना प्रतिष्ठा विषय बन गया है। आगामी मुंबई मनपा चुनाव से पहले होने वाला यह उपचुनाव सेमीफाइनल माना जा रहा है। यदि भाजपा ने उपचुनाव में जीत हासिल की तो पार्टी इतिहास रच देगी। अंधेरी पूर्व सीट पर अभी तक भाजपा को कभी जीत नहीं मिली है। हिंदीभाषी इस सीट पर निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। फिलहाल शिवसेना उम्मीदवार का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।  

शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन से रिक्त हुई सीट पर उद्धव ठाकरे गुट ने रमेश लटके की पत्नी ऋतुजा लटके को उम्मीदवारी दी है। जबकि भाजपा ने पूर्व नगरसेवक गुजराती भाषी मुरजी पटेल को अपना उम्मीदवारी बनाया है। पटेल की छवि इलाके के बिल्डरों के लिए काम करने वाले नेता की रही है। शिवसेना उम्मीदवार लटके को कांग्रेस-राकांपा ने भी समर्थन दिया है।  

साल 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार रमेश लटके को 62 हजार 773 वोट मिले थे। जबकि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे मुरजी पटेल को 45 हजार 808 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अमीन कुट्टी को 27 हजार 951 वोट मिले थे। लटके ने पटेल को 17 हजार 858 वोटों के अंतर से हराया था। इस उपचुनाव में शिवसेना को कांग्रेस और राकांपा ने समर्थन दिया है। इससे शिवसेना को जीत की राह आसान नजर आ रही है। कांग्रेस के समर्थन के चलते शिवसेना को मुस्लिम और हिंदी भाषियों के वोट पाने की उम्मीद है। इसके पहले रमेश लटके साल 2014 के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की थी। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन टूटने के चलते शिवसेना और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। जिसमें शिवसेना उम्मीदवार लटके को 52 हजार 817  मत मिले थे। जबकि भाजपा उम्मीदवार सुनील यादव को 47 हजार 338 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश शेट्टी को 37 हजार 929 वोट मिले थे।

लटके ने 5 हजार 479 मतों से भाजपा के सुनील यादव को हराया था। वहीं साल 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सुरेश शेट्टी ने शिवसेना-भाजपा उम्मीदवार रमेश लटके को पराजित किया था। जिसमें शेट्टी को 55 हजार 990 वोट मिले थे। जबकि लटके ने 50 हजार 837 वोट हासिल किए थे। शेट्टी ने लटके को 5 हजार 153 वोटों से हराया था। अंधेरी सीट पर अधिकांश समय शिवसेना और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। पिछले तीन विधानसभा चुनाव में शिवसेना लगातार दो बार और कांग्रेस ने एक बार अंधेरी पूर्व सीट जाता है। पूर्व में भाजपा-शिवसेना में गठबंधन के समय अंधेरी पूर्व सीट पर शिवसेना ही लड़ती रही है। इस सीट पर अब तक शिवसेना का सीधा मुकाबला कांग्रेस से होता रहा है।

इस सीट कांग्रेस का रहा है दबदबा

साल 2009 से पहले विधानसभा की इस सीट का नाम अंधेरी था। साल 2004 के विधानसभा चुनाव में अंधेरी सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार रहे सुरेश शेट्टी ने शिवसेना प्रत्याशी रवींद्र वायकर को 9 हजार 69 वोटों से हराया था। साल 2004 में शेट्टी को 96 हजार 514 वोट मिले थे। जबकि वायकर ने 87 हजार 445 वोट हासिल किए थे। 

साल 1999 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश शेट्टी ने शिवसेना उम्मीदवार सीताराम दलवी को 14 हजार 157 वोटों को पराजित किया था। साल 1999 में शेट्टी को 80 हजार 588 वोट मिले थे। जबकि सीताराम ने 66 हजार 431 मत प्राप्त किए थे। 
साल 1995 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी सीताराम दलवी ने कांग्रेस के उम्मीदवार रमेश दूबे को 26 हजार 141 मतों से हराया था। उस चुनाव में सीताराम को 89 हजार 566 वोट और दुबे को 63 हजार 425 मत मिले थे। 
साल 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रमेश दुबे ने शिवसेना के उम्मीदवार रमेश मोरे को 1 हजार 12 मतों से हराया था। उस चुनाव में दुबे ने 62 हजार 276 वोट हासिल किए थे। जबकि मोरे को 61 हजार 264 वोट मिले थे। 
साल 1985 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवार रमेश दुबे ने 28 हजार 333 मतों से जीत हासिल की थी। उस चुनाव में दुबे को 47 हजार 346 वोट और भाजपा जनता पार्टी के प्रत्याशी 19 हजार 13 मत मिले थे। 

अंधेरी पूर्व सीट पर कब किसको मिली जीत  

साल 2019  - रमेश लटके  (शिवसेना)
साल 2014 -  रमेश लटके (शिवसेना)
साल 2009 -  सुरेश शेट्टी   (कांग्रेस)
साल 2004 - सुरेश शेट्टी     (कांग्रेस)  
साल 1999-  सुरेश शेट्टी      (कांग्रेस) 
साल 1995 - सीताराम दलवी  (शिवसेना)  
साल 1990 - रमेश दुबे        (कांग्रेस)  
साल 1985 - रमेश दुबे       (कांग्रेस) 
 

Created On :   7 Oct 2022 8:57 PM IST

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