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शहडोल में नहीं थम रहा बच्चों की मौतों का सिलसिला - 5 दिन में 8 मौतें ,आज और दो मौत , 2 गंभीर , सीएम ने जांच बैठाई
डिजिटलय डेस्क शहडोल/भोपाल । शहडोल.जिला चिकित्सालय में बच्चों की मौत का सिलसिला नहीं रुक रहा है। सोमवार देर रात बाल गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू) में इलाजरत दो और शिशुओं की मौत हो गई है. दोनों की उम्र 3 माह थी और हालत गंभीर बनी हुई थी, 26 नवंबर की रात से अब तक जिला चिकित्सालय में एक नवजात सहित 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. वही अभी भी 2 बच्चों की हालत नाजुक बताई जा रही है बच्चों की लगातार हो रही मौत से शहडोल से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा हुआ है. मौत के कारणों की जांच के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज की टीम सुबह शहडोल जिला चिकित्सालय पहुंच चुकी है. टीम एसएनसीयू में व्यवस्थाओं को देख रही है, साथ ही चिकित्सा अधिकारियों से चर्चा भी कर रही है. टीम में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पवन घनघोरिया और डॉक्टर अखिलेंद्र शामिल है. सोमवार देर रात जीने दो बच्चों की मौत हुई है, वे दोनों अनूपपुर से रेफर होकर यहां आए । अनूपपुर जिले के ठाड़पाथर निवासी शिवदास ने पांच दिन पहले अपनी तीन माह की बच्ची को भर्ती कराया था। हालत में सुधार नहीं होने पर सोमवार को उसे जबलपुर रेफर किया गया, परिजन जब जबलपुर जाने के लिए एंबुलेंस में बैठे तो बच्ची की सांसें बंद होने लगी। तुरंत एंबुलेंस से उतारकर पीआईसीयू में वापस भर्ती कराया गया। देर रात उसकी सांसें थम गई। इसी तरह अनूपपुर जिले के हर्राटोला निवासी शिवप्रसाद ने शनिवार को अपने तीन माह के बच्चे को भर्ती कराया था। हालत गंभीर होने पर उसे भी जबलपुर रेफर किया गया, लेकिन परिजन जबलपुर ले जाने की स्थिति में नहीं थे. उसका भी जिला चिकित्सालय के पीआईसीयू में ही इलाज चल रहा था. देर रात बच्चे की मौत हो गई. इस तरह जिला चिकित्सालय में अब तक एक नवजात शिशु सहित 8 बच्चों की मौत हो चुकी है. डॉक्टरों के अनुसार बच्चों की मौत का कारण सांस लेने में दिक्कत यानी निमोनिया जैसे लक्षण है.
सोमवार को मुख्यमंत्री सुबह गोंदिया गए थे और दोपहर में उन्हें भोपाल वापस आकर दतिया रवाना होना था। उन्होंने कार्यक्रम में थोड़ा बदलाव करते हुए अधिकारियों को सीएम हाउस बुला लिया। बैठक में उन्होंने पूछा कि बच्चों की मृत्यु लापरवाही के कारण तो नहीं हुई है। विभाग के अधिकारी देखें कि वहां वेंटिलेटर व अन्य साधनों का प्रबंध हो। विभाग के अधिकारी देखें कि वहां वेंटिलेटर व अन्य साधनों का प्रबंध हो। यदि जरूरत पड़े, तो जबलपुर से विशेषज्ञ डॉक्टर भेजकर अन्य बच्चों का इलाज कराया जाए। कोरोना के अलावा अन्य रोगों से ग्रस्त रोगियों विशेषकर बच्चों की स्थिति पर नजर रखें। इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो।
Created On :   1 Dec 2020 2:01 PM IST