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बाबा साहेब स्मारक शिलान्यास समारोह टालने पर विवाद दलित नेताओं ने जताई नाराजगी, आंबेडकर बोले- वहां बने रिसर्च सेंटर
डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर के दादर स्थित इंदू मिल में बनने वाले भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक के शिलान्यास समारोह को टाल दिया गया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में दोपहर तीन बजे स्मारक की संशोधित परिकल्पना के तहत चबूतरे और प्रतिमा के शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया था लेकिन इस समारोह का निमंत्रण नहीं मिलने से आंबेडकर आंदोलन से जुड़े नेताओं समेत विपक्षी दल के नेताओं ने कड़ी नाराजगी जताई। वहीं समारोह को लेकर सत्ताधारी तीनों दलों के बीच भी तालमेल का अभाव साफ नजर आया। इसके बाद स्मारक निर्माण करने वाली मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने समारोह को टालने का फैसला लिया।
वहीं मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि एमएमआरडीए ने समारोह के आयोजन की तैयारी की थी लेकिन ऐसे महत्वपूर्ण समारोह में सभी का सहभागी होना जरूरी है। मैंने एमएमआरडीए को यह बात ध्यान में दिलाई है। मैंने सभी आवश्यक मान्यवरों को निमंत्रित कर अगले कुछ दिनों में शिलान्यास समारोह को आयोजित करने के निर्देश एमएमआरडीए को दिए हैं। सभी के सहयोग से अगले कुछ दिनों में इंदू मिल में स्मारक शिलान्यास समारोह आयोजित होगा। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर राजनीति न करने का आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदू मिल में आंबेडकर स्मारक बनाने की सभी की इच्छा है। इसमें किसी पार्टी और संगठन के रूप में भेदभाव नहीं हो सकता है। इस मुद्दे पर कोई राजनीति न करे।
आयोजन को लिए हुई चूकः मलिक
राकांपा प्रवक्ता व प्रदेश के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि स्मारक के शिलान्यास समारोह के आयोजन को लेकर थोड़ी चूक हुई है। मैं मंत्री हूं लेकिन मुझे भी निमंत्रण नहीं दिया गया। हमारी भूमिका है कि इतना छोटा समारोह आयोजित नहीं किया जाना चाहिए। मलिक ने कहा कि तीनों दलों के नेताओं को मिलकर समारोह के आयोजन के बारे में फैसला करना चाहिए।
हमें नहीं बुलाना चाहती थी सरकारःआठवले
आरपीआई अध्यक्ष तथा केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि मुझे और दलित नेताओं को शिलान्यास समारोह में बुलाया जाना था लेकिन सरकार जानबूझकर राजनीति कर रही है। पुणे में वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि मुझे समारोह के लिए निमंत्रण नहीं मिला है। मेरे मुख्यमंत्री से रिश्ते अच्छे हैं लेकिन कांग्रेस और राकांपा से मेरे रिश्ते कैसे हैं यह सभी को पता है। रिपब्लिकन सेना के अध्यक्ष आनंदराज आंबेडकर ने कहा कि मुझे निमंत्रण नहीं दिया गया था लेकिन मीडिया में खबरें आने के बाद एमएमआरडीए ने मुझे न्यौता दिया। आनंदराज ने कहा कि राज्य में कोरोना और मराठा आरक्षण का मुद्दा गरम है। ऐसी स्थिति में समारोह का आयोजन करने की जरूरत नहीं थी। आनंदराज ने कहा कि इंदू मिल में स्मारक के लिए खराब गुणवत्ता का काम चल रहा है। गुणवत्ता की निगरानी के लिए सरकार को एक समिति गठित करना चाहिए।
स्मारक की बजाय इंदूमिल में बने रिसर्च सेंटरः आंबेडकर
वीबीए के अध्यक्ष व बाबा साहेब आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर ने कहा है कि इंदू मिल की जमीन पर बाबासाहब आंबेडकर का स्मारक बनाने के बजाय उनके नाम से अंतरराष्ट्रीय रिसर्च-सेंटर बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आंबेडकर के नाम से अंतरराष्ट्रीय रिसर्च- सेंटर बनाने के लिए ही इंदू मिल की जगह को मंजूरी दी थी। इसके लिए वाजपेयी ने एक फाइल पर नोट तैयार किया था। उसमें बाबासाहब के स्मारक का समावेश नहीं था। बाबासाहब का स्मारक बनाने का खेल राज्य की कांग्रेस सरकार में खेला गया था। इसलिए मुख्यमंत्री को कांग्रेस और राकांपा के नेताओं का कहना नहीं मनाना चाहिए। मुख्यमंत्री को मंत्रालय से वाजपेयी की फाइल का नोट मंगाकर पढ़ाना चाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री वाजपेयी के नोट के अनुसार रिसर्च-सेंटर बनाने का फैसला करें। आंबेडकर ने दावा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अक्टूबर 2015 में स्मारक के भूमिपूजन के लिए आए थे तब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से पूछा था कि वाजपेयी के नोट के अनुसार यहां पर क्या काम किया जा रहा है, वह बताइए। आंबेडकर ने कहा कि मेरा स्मारक बनाने को लेकर विरोध है। मैं छह साल से यही बात कह रहा हूं। मैं अपनी भूमिका पर कायम हूं। सरकार स्मारक की निधि का इस्तेमाल कोरोना महामारी से निपटने में इस्तेमाल करें। आंबेडकर ने कहा कि भारत को सीमा विवाद पर चीन से चर्चा के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को रूस में जाना पड़ा। यदि मुंबई में यह सेंटर होता तो भारत को रूस में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। आंबेडकर ने कहा कि शिवसेना को कांग्रेस और राकांपा की जरूरत नहीं है बल्कि कांग्रेस और राकांपा को शिवसेना की जरूरत है। इसलिए शिवसेना को अपना एजेंडा लागू करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस और राकांपा के नेता केवल चिल्लाएंगे उसके अलावा कुछ नहीं कर सकते।
स्मारक के निर्माण के लिए 1089.95 करोड़ रुपए होंगे खर्च
प्रधानमंत्री द्वारा स्मारक के भूमिपूजन किए जाने के पांच साल पूरे होने वाले हैं लेकिन अभी तक स्मारक की नींव नहीं रखी जा सकी है पर स्मारक की लागत में 326 करोड़ 90 लाख रुपए का इजाफा हो गया है इससे अब स्मारक के लिए 1089.95 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है।
Created On :   18 Sept 2020 6:21 PM IST