सहकारी बैंक महाप्रबंधक ने निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने कर दी खाद की सीधे सप्लाई

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सहकारी बैंक महाप्रबंधक ने निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने कर दी खाद की सीधे सप्लाई

डिजिटल डेस्क छतरपुर । जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा किसानों के साथ आए दिन गड़बड़ी की जाती है। ऐसा ही एक और गंभीर मामला सामने आया है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महाप्रबंधक ने खाद कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए सहकारी समितियों में खाद की सप्लाई सीधे करा दी, जबकि शासन के नियमानुसार खाद की सप्लाई बैंक जिला विपणन संघ के माध्यम से ही कर सकता है। समितियों के माध्यम से जो खाद किसानों को दी गई वह बेहद घटिया थी, इससे किसानों की फसलों को कोई लाभ नहीं हुआ। इस मामले की जानकारी लगने पर सहकारिता आयुक्त ने उपायुक्त से जांच कराई। जांच में पूरी तरह से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महाप्रबंधक को दोषी बताया गया है। अब इस जांच पर कार्रवाई लंबित है।
क्या है मामला 
जिले की 113 सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को करीब आठ माह पहले देवपुत्र और सागरिका कंपनियों द्वारा बनाए गए जैविक खाद की सप्लाई की गई थी। इन कंपनियों द्वारा बनाई गई 50 किलोग्राम जैविक खाद की बोरी का मूल्य करीब 675 रुपए निर्धारित किया गया था। इस जैविक खाद की सप्लाई के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महाप्रबंधक द्वारा समितियों पर खरीदने के लिए दबाव बनाया गया। इसके लिए महाप्रबंधक केएल रैकवार द्वारा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सभी शाखा प्रबंधकों को पत्र लिखे गए। इन पत्रों के बाद शाखा प्रबंधकों ने सहकारी समितियों के प्रबंधकों को पत्र लिखकर खाद खरीदने और किसानों को जैविक खाद खरीदने के लिए प्रेरित करने के लिए लिखा गया। इस तरह से महाप्रबंधक के दबाव में शाखा प्रबंधकों और समिति प्रबंधकों ने किसानों को यह खाद बेच दी। समिति प्रबंधकों द्वारा किसानों को बताया गया कि यह खाद अच्छा उत्पादन देने वाली है। तमाम विशेषताएं बताने के साथ ही किसानों पर दबाव बनाकर इसे जबरन बेचा गया। 
क्या हुआ गलत 
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महाप्रबंधक द्वारा शाखा प्रबंधकों को पत्र लिखकर खाद समितियों तक भिजवाने और किसानों को वितरित कराने के लिए लिखा। जबकि सहकारिता अधिनियम के मुताबिक सहकारी बैंक व सहकारी समितियों को खाद का उठाव जिला विपणन संघ के माध्यम से ही करना होगा। नियमानुसार चाहे जैविक हो या रासायनिक खाद सप्लाई के लिए विपणन संघ को दी जाएगी। विपणन संघ ही इसे सहकारी बैंक और सहकारी समितियों तक पहुंचाएगा। जिला में देवपुत्र और सागरिका जैविक खाद को महाप्रबंधक द्वारा सीधे समितियों तक भिजवाकर किसानों को थमा दिया। इधर किसानों को जैविक खाद के लाभ बताकर इस खाद को खरीदने के लिए प्रेरित किया और काफी महंगे दामों पर इसे बेच  दिया गया। जिले में जैविक खाद बनाने का काम कर रहे चितरंतन चौरसिया सहित अन्य लोगों ने बताया कि जैविक खाद की 50 किलोग्राम की बोरी का मूल्य अधिक से अधिक 300 रुपए ही होता है, जबकि जिले में जो खाद दी गई वह दोगुने दामों पर दी गई। जबकि खाद की गुणवत्ता भी खराब है।
जांच में दोषी, कार्रवाई लंबित 
देवपुत्र और सागरिका जैविक खाद की जिले में सीधे सप्लाई होने का मामला सामने आने के बाद सहकारिता आयुक्त ने जांच का आदेश दिया। उन्होंने पीआर काबड़कर उपायुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया। पीआर काबड़कर ने करीब डेढ माह पहले जांच रिपोर्ट सहकारिता आयुक्त को भेज दी है। इसमें इन्होंने पाया कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महाप्रबंधक ने सहकारिता नियमों की अनदेखी कर जैविक खाद सप्लाई के लिए शाखा प्रबंधकों को पत्र लिखे हैं। जबकि खाद की सप्लाई जिला विपणन संघ के माध्यम से होना चाहिए थी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद सहकारिता आयुक्त ने प्रशासन को कार्रवाई के लिए लिखा है। फिलहाल महाप्रबंधक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
 

Created On :   20 April 2020 6:43 PM IST

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