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रिकॉर्ड में 10305 मौतें दर्ज, मुआवजे के लिए 14 हजार से ज्यादा आवेदन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। जिला प्रशासन के मुताबिक 9 फरवरी 2022 तक (तीनों लहर में) कोरोना से कुल 10,305 लोग मौत के शिकार हुए हैं। लेकिन मृतकों के परिजनों द्वारा मुआवजे के लिए किए गए आवेदन का आंकड़ा प्रशासन द्वारा जारी मौत के आंकड़ों पर सवाल खड़ा कर रहा है। जिला प्रशासन को अब तक 14 हजार 200 से अधिक आवेदकों ने दावा किया है कि उनके परिजनों की नागपुर में कोरोना से मौत हुई। इनमें से 1900 आवेदकों को मुआवजे की रकम आवंटित की जा चुकी है, जबकि 2800 आवेदन इसलिए निरस्त हुए हैं कि उनके पास कोरोना से मौत होने का सार्टिफिकेट नहीं है। इसमें अधिकांश वे लोग हैं, जिनका दावा है कि उनके परिजनों की मौत घर में हुई है, ऐसे में से अस्पताल का सार्टिफिकेट कैसे लाएं। जबकि प्रशासन भी मानता है कि अभी बहुत से लोगों ने मुआवजे के लिए आवेदन नहीं किया है।
अब तक बांटा 9.50 करोड़ : कोरोना की चपेट में आकर मौत के शिकार हुए व्यक्ति के परिजन को शासन द्वारा मुआवजे के रूप में 50 हजार रुपए देने की घोषणा की गई है। अब तक मंजूर 1900 आवेदकों को कुल 9 करोड़ 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है, जबकि निरस्त 2800 आवेदनों को छोड़ शेष 11 हजार 400 आवेदकों को कुल 57 करोड़ रुपए देना है। जिला प्रशासन मात्र 10,305 लोगों की ही कोरोना से मौत हुई, ऐसा मान रहा है। इनमें से 1900 मृतकों के परिजनों को मुआवजा दे दिया गया है। ऐसे में करीब 1100 मृतकों के परिजनों को मुआवजे से वंचित रहना पड़ सकता है। अर्थात करीब 5 करोड़ 50 लाख रुपए देने से प्रशासन पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है।
दस्तावेज सही नहीं, इसलिए अनेक आवेदन निरस्त हुए हैं : आवेदनों को निरस्त करने के कई कारण बताए जा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक कुछ आवेदन में मृतक का मृत्यु प्रमाणपत्र संलग्न नहीं है, तो कुछ ने आधार कार्ड अथवा बैंक खाते की जानकारी नहीं दी है। प्रशासन यह भी मान रहा है कि निरस्त आवेदनों के साथ आवश्यक दस्तावेज संलग्न किए गए तो यह आवेदन पुन: मुआवजे के लिए संज्ञान में लिए जाएंगे। अर्थात 14 हजार 200 से अधिक लोगों की मौत को झुठलाया नहीं जा सकता। फिर क्या कारण है, जो जिला प्रशासन कोरोना से मरने वालों की संख्या 10,305 ही बता रहा है। पूछताछ में अधिकारी इस प्रश्न का जवाब देने में स्वयं को असमर्थ बता रहे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक जिन लोगों की कोरोना से घर में ही मौत हो गई, ऐसे लोगों को कदाचित जिला प्रशासन के रिकॉर्ड में समाहित नहीं किया गया। इस दलील से यह तो स्पष्ट हो गया है कि जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों और प्रत्यक्ष में हुई मौत में तकरीबन 4 हजार या उससे अधिक का अंतर हो सकता है। यह अंतर और बढ़ सकता है। अधिकारी स्वयं स्वीकार कर रहे कि अनेक मृतकों के परिजनों ने मुआवजा पाने के लिए जिला प्रशासन के समक्ष आवेदन पेश ही नहीं किए हैं।
मौत का कारण कोरोना नहीं
डॉ संजय चिलकर, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक माना जा रहा है कि कुछ लोगों द्वारा मुआवजा पाने के लिए मृत्यु का कारण कोरोना निरुपित करते हुए आवेदन पेश कर दिए गए हैं। इस वजह से भी आवेदनों की संख्या व मृत्यु के आंकड़ों में अंतर नजर आ रहा है। कुछ ऐसे भी मामले हो सकते हैं जिसमें कोरोना से मौत के बावजूद मुआवजे के लिए आवेदन हीं नही किए गए हैं। इस स्थिति में भी कोरोना से मरनेवालों का आंकड़ा स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। दूसरे जिले में हुई मौत के मामले में भी कुछ लोगों ने मुआवजे के लिए आवेदन किए हैं, जबकि कुछ ऐसे भी मामले हैं, जिनमें मृतक के दो-तीन परिजनों ने अलग-अलग तरह से आवेदन पेश किए हैं। कुछ ऐसे भी मामले हो सकते हैं, जिसमें मौत की वजह कोरोना न होकर अन्य बीमारी है। मुआवजे के लिए पेश किए गए आवेदनों की जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नागपुर जिले में 9 फरवरी 2022 तक 10, 305 लोगों की कोरोना से माैत हुई है।
400 से अधिक लोगों ने अपील की है
विमला आर. जिलाधिकारी के मुताबिक कोरोना से मौत का प्रमाण-पत्र कुछ लोगों के पास नहीं होने की वजह से आंकड़ों में अंतर नजर आ रहा है। कुछ आवेदनों के नामंजूर होने का कारण अपेक्षित दस्तावेजों का संलग्न नहीं किया जाना है। रिजेक्ट किए गए आवेदनों के लिए पुन: अपील की जा सकती है। जिलाधिकारी कार्यालय में इस तरह 400 से अधिक लोगों ने अपील की है। अपील में पेश दस्तावेजों के आधार पर इन आवेदनों को संज्ञान में लिया जाएगा। जिनकी घर में मौत हुई व आवेदक द्वारा मौत काेरोना से होने का प्रमाण-पत्र पेश नहीं किया जा सका, ऐसे मामलों में मुआवजा देने संबंधी निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया जाएगा। घर में हुई मौत का कारण कोरोना है, यह साबित करने संबंधी यंत्रणा फिलहाल नहीं है।
Created On :   10 Feb 2022 5:03 PM IST