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कोरोना : मेयो-मेडिकल के अस्थायी डॉक्टर को कब मिलेगा न्याय, फ्रंट लाइन में रहकर कर रहे है काम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना की बिकट परिस्थिति में शहर के दोनों मेडिकल कॉलेजों के अस्थायी डॉक्टर फ्रंट में रहकर काम में जुटे हुए है लेकिन वह कब स्थायी होंगे फिलहाल अभी उनको नहीं पता है। विशेष बात यह है कि इस दौरान यदि उनको किसी भी प्रकार की परेशानी आती है तो सरकार से मिलने वाली योजनाओं का लाभ उनको मिलेगा क्या ? यह भी स्पष्ट नहीं है हालांकि वह स्थायी करने को लेकर काफी समय से मांग कर रहे है। महाराष्ट्र में 572 और मेयो में 28 व मेडिकल में कुल 32 है।
यह है स्थिति महाराष्ट्र में 572 अस्थायी डॉक्टर है जिसमें मेडिकल ऑफिसर के अलावा मेडिकल अधीक्षक और उपअधीक्षक भी शामिल है। शहर के इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेयो) में करीब 28 है विशेष बात यह है कि इसमें कुछ तो काफी सालों से है। वहीं, शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) में भी 28 है जबकि 4 सावनेर में पदस्थ है जिससे कुल संख्या 32 है। इसमें उनकी मांग है कि जिन लोगों को 1 साल से अधिक का समय हो गया है उनको नियमित कर देना चाहिए। नियमित करने की प्रक्रिया को वर्ष 2016 में भी किया गया था।
इसलिए है जरुरी
इनको अस्थायी करना इसलिए भी जरुरी है कि सरकारी अस्पताल में वह कोरोना संदिग्ध मरीजों से डायरेक्टर कांटेक्ट में आकर काम कर रहे है। एेसे में यदि किसी भी प्रकार की कोई घटना होती है तो उनको उससे सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके। नागपुर की भले ही स्थिति फिलहाल सामान्य बनी हुई है लेकिन युद्धास्तर पर तैयारी की जा रही है जिससे कोरोना को जड़ से खत्म किया जा सके। इसमें अस्थायी डॉक्टर भी लगातार जुटे हुए है।
हम अभी मांग नहीं कर पा रहे
एक अस्थायी डॉक्टर ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि हम कोरोना की वजह से स्थायी करने की मांग नहीं कर पा रहे है लेकिन सरकार को सोचना चाहिए। यदि यह सामान्य समय होता तो हम निश्चित रूप से मांग करते पर फिलहाल स्थिति विपरित है इस वजह से हम काम कर रहे है।
Created On :   6 April 2020 3:29 PM IST