डोर-टू-डोर की लगातार मिल रहीं शिकायतों से निगम अधिकारी आर या पार के मूड में 

Corporate officials are in the mood for constant complaints of door-to-door
डोर-टू-डोर की लगातार मिल रहीं शिकायतों से निगम अधिकारी आर या पार के मूड में 
डोर-टू-डोर की लगातार मिल रहीं शिकायतों से निगम अधिकारी आर या पार के मूड में 

एस्सेल और अवार्डा दोनों की होगी निगम में पेशी, काम सँभालो या तो नमस्ते करो
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
डोर-टू-डोर कचरा परिवहन में लापरवाही का मामला अब बेहद जटिल हो गया है। शहर के हर हिस्से से निगम में शिकायतें पहुँच रही हैं कि इस कार्य में घोर लापरवाही हो रही है और अधिकांश क्षेत्रों में तो कचरा गाडिय़ाँ पहुँच ही नहीं रही हैं और जहाँ पहुँचती भी हैं तो समय पर नहीं पहुँचती। इसे लेकर नगर निगम अधिकारियों में अब आक्रोश नजर आ रहा है क्योंकि स्वच्छ सर्वेक्षण का समय है और यदि ऐसा ही होता रहा तो सर्वे पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। यही कारण है कि अगले 2-3 दिनों के अंदर ही निगम में एस्सेल और अवार्डा कम्पनी के प्रतिनिधियों की एक साथ पेशी होगी। इसमें आर या पार का निर्णय होगा। या तो अवार्डा डोर-टू-डोर का काम सँभाल लेगी या फिर टेंडर ही निरस्त कर दिया जाएगा।  अक्टूबर 2016 से डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का कार्य शुरू किया गया। इस कार्य के लिए नगर निगम ने कठौंदा में पॉवर प्लांट बनाने वाली एजेंसी एस्सेल का चयन किया। शहर में पहले जिस व्यवस्था के तहत कचरा उठाया जाता था उस पर निगम को केवल 320 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान करना होता था, जबकि एस्सेल को इसी कार्य के लिए 1470 रुपए प्रति टन के हिसाब से भुगतान करने का निर्णय लिया गया था। अब शहर की यह हालत है कि डोर- टू-डोर कचरा कलेक्शन बहुत ही कम क्षेत्रों में हो रहा है और बाकी में लोग खुले में या घरों के आसपास ही कचरा फेंक रहे हैं। 
प्लांट का हो गया हस्तांतरण
एस्सेल कम्पनी ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का हस्तांतरण दुबई की अवार्डा कम्पनी को कर दिया है। कोरोना के कारण  अवार्डा ने अभी तक काम नहीं सँभाला है, जिसके लिए निगम ने 3 बार एक्सटेंशन दिया है। एक तरफ एस्सेल के प्रतिनिधि इस बात को लेकर काम नहीं कर रहे हैं कि अब काम उनसे छिनने वाला है तो कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में शहर की जनता को परेशान किया जा रहा है। यही कारण है कि निगम ने इस बार दोनों ही कम्पनी के प्रतिनिधियों की एक साथ बैठक बुलाई है और निर्णय करने का फैसला किया है। अधिकारियों का कहना है कि या तो अवार्डा से काम सँभालने कहा जाएगा या फिर एस्सेल का टेंडर ही निरस्त कर दिया जाएगा ताकि किसी अन्य कम्पनी से यह कार्य कराया जा सके। 
निगम खुद कर सकता है कचरा परिवहन
भोपाल और इंदौर में डोर-टू-डोर कचरा परिवहन का कार्य निगम खुद अपने कर्मचारियों से करवाता है। इसके लिए संविदा के आधार पर कर्मचारियों की तैनाती की गई है। ऐसा ही निर्णय शहर के लिए भी किया जा सकता है। निगम के पास करीब 200 ट्रिपर वाहन हैं और कॉम्पेक्टर भी निगम के ही हैं। ऐसे में केवल कर्मचारियों को ही लगाना होगा जिससे बहुत ही कम दामों पर कचरा परिवहन हो सकता है। अब निगाहें आगामी दिनों होने वाली बैठक पर टिक गई हैं।
 

Created On :   19 Jan 2021 3:37 PM IST

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