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पोषण आहार में भ्रष्टाचार से बढ़ रहा है कुपोषण
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार प्रदेश को कुपोषण मुक्त करना चाहती है। बालकों को कुपोषण से बचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है, लेकिन नागपुर जिले में स्थिति विपरीत है। निकृष्ट गुणवत्ता का पोषण आहार दिया जा रहा है, जिससे जिले में कुपोषण बढ़ रहा है। जिला परिषद के पदाधिकारी इस विषय पर गंभीर नहीं हैं। उनकी खामोशी इस योजना में भ्रष्टाचार के संकेत दे रही है। जिप में नेता प्रतिपक्ष अनिल निधान ने यह गंभीर आरोप लगाए हैं।
13 महीने में 46% वृद्धि
जून-2019 में जिले में मध्यम तीव्र कुपोषित और अति तीव्र कुपोषित बालकों की संख्या 848 थी। जुलाई-2020 में बढ़कर 1846 हो गई, जिसमें मध्यम तीव्र कुपोषित 1417 और अति तीव्र कुपोषित 429 बालक हैं। 13 महीने के अंतराल में 46% वृद्धि जिप अधिकारी और पदाधिकारियों के इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेने का परिणाम है।
सत्ता परिवर्तन के बाद बदली स्थिति
राज्य और जिला परिषद में सत्ता परिवर्तन हुआ। दोनों जगह महाविकास आघाड़ी सत्ता में आई। इसके बाद जिले में कुपोषण की स्थिति बदल गई है। मार्च महीने से कोरोना संक्रमण के कारण आंगनवाड़ियां बंद हैं। पोषण आहार सामग्री चना दाल, मसूर दाल, मिर्च, हल्दी, तेल, गेहूं आदि बालकों के घर पहुंचाई जा रही है। सामग्री पहुंचाने का ठेका राज्य सरकार में एक बड़े नेता के करीबी को दिया गया है। निकृष्ट गुणवत्ता की पोषण आहार सामग्री वितरण करने की अधिकारी और पदाधिकारियों को जानकारी है।
ठेकेदार के राजनीतिक घनिष्ट संंबंध रहने से उसे विरोध करने की कोई हिम्मत नहीं दिखा रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की खामोशी से साफ झलकता है कि दाल में कुछ काला है। प्रशासन का दावा है कि कुपोषित बालकों को ग्राम बाल विकास केंद्र के माध्यम से एनर्जी डेंस न्यूट्रिशन फूड (ईडीएनएफ) देकर कुपोषण का प्रमाण कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। कुपोषण के बढ़ते आंकड़ों ने प्रशासन के दावे की पोल खोलकर रख दी है।
Created On :   4 Oct 2020 5:32 PM IST