कैग रिपोर्ट : सिंचाई परियोजनाओं की लागत 10 हजार करोड़ से बढ़ 80 हजार करोड़ तक पहुंची 

Cost of irrigation projects increased from 10 thousand crores to 80 thousand crores
कैग रिपोर्ट : सिंचाई परियोजनाओं की लागत 10 हजार करोड़ से बढ़ 80 हजार करोड़ तक पहुंची 
कैग रिपोर्ट : सिंचाई परियोजनाओं की लागत 10 हजार करोड़ से बढ़ 80 हजार करोड़ तक पहुंची 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग के विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल की 134 सिंचाई परियोजनाओं की मूल कीमत 10,231 करोड़ रुपए के मुकाबले अनुमानित कीमत बढ़कर 80,348 करोड़ रुपए हो गई है। संशोधित प्रशासनिक मंजूरी के बाद इन परियोजनाओं की लगात में इजाफा हुआ है। लेकिन मंजूर राशि में से 37,519 करोड़ रुपए ही खर्च हो सके हैं। मानसून अधिवेशन में विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के जरिए यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार सरकार के पांच सिंचाई महामंडलों की 345 सिंचाई परियोजनाओं की मूल कीमत 24,363 करोड़ रुपए थी, लेकिन कई सालों में संशोधित प्रशासनिक मंजूरी मिलने के बाद परियोजना की अनुमानित कीमत बढ़कर 1,98,103 करोड़ हो गई है। इन परियोजनाओं पर संशोधित प्रशासनिक मंजूरी के केवल 92,010 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इसके साथ ही सिंचाई परियोजनाओं का काम पूरा नहीं हो सका है। 211 सिंचाई परियोजनाओं का काम 15 सालों से प्रतिगतिपथ पर है, जबकि 69 सिंचाई परियोजनाओं का क्रियान्वयन 30 साल से अधिक समय से चल रहा है।  

कैग की रिपोर्ट के अनुसार गोदावरी मराठवाड़ा सिंचाई विकास महामंडल की 58 परियोजनाओं की कीमत 4,913 करोड़ रुपए से बढ़कर 35,654 करोड़ रुपए हो गई है। जबकि परियोजना पर 16,824 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। तापी सिंचाई विकास महामंडल की 50 सिंचाई परियोजनाओं की लागत 3341 करोड़ रुपए से बढ़कर 21,313 करोड़ रुपए हो चुकी है पर खर्च 6,556 करोड़ रुपए हुए हैं। महाराष्ट्र कृष्णा घाटी विकास महामंडल की 47 परियोजनाओं की लागत 4,082 करोड़ रुपए से बढ़कर 39,935 करोड़ रुपए हो गई है। वहीं इन परियोजनाओं पर 21,795 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। कोंकण सिंचाई विकास महामंडल की 56 परियोजनाओं की लागत 1,793 करोड़ रुपए से बढ़कर 20,850 करोड़ रुपए हुई है जबकि 9,314 करोड़ रुपए खर्च हो सके हैं। 

कैग की टिप्पणी और सिफारिश 

कैग ने कहा है कि सिंचाई परियोजनाओं के काम में देरी होने के कारण लागत में वृद्धि होने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा समय पर काम पूरा नहीं होने से परियोजना का लाभ लाभार्थियों तक नहीं पहुंच पाता। कैग ने प्रदेश सरकार को सिंचाई परियोजनाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने की दृष्टि से चालू परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए कदम उठाने की सिफारिश की है। 
 

Created On :   9 Sep 2020 2:46 PM GMT

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