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टीचर ने स्टूडेंट को पीटा तो प्रिंसिपल भी जिम्मेदार
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सत्र न्यायालय ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की संपूर्ण जिम्मेदारी मुख्याध्यापक/प्राचार्य की होती है, क्योंकि मुख्याध्यापक/प्राचार्य स्कूल प्रबंधन का अंग होते हैं। यदि स्कूल का कोई शिक्षक विद्यार्थियों की पिटाई कर देता है तो उस शिक्षक के साथ-साथ मुख्याध्यापक/प्राचार्य को भी उतना ही जिम्मेदार माना जाएगा। मुख्याध्यापक/प्राचार्य को जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम धारा 75 के तहत ट्रायल से गुजरना होगा। इस निरीक्षण के साथ न्या.पी.वाय.लाडेकर ने शहर के हुडकेश्वर स्थित सुयश कान्वेंट के मुख्याध्यापक अनुराग पांडे (38) की याचिका पर फैसला दिया है। 30 नवंबर 2016 को स्कूल के डांस टीचर मनीष राऊत ने विद्यार्थियों की बेदम पिटाई कर दी थी। 7वीं कक्षा की एक छात्रा के पिता ने पुलिस को सौंपी अपनी शिकायत में बताया कि स्कूल में डांस सिखाते वक्त डांस टीचर मनीष राऊत ने उनकी बेटी की लोहे की रॉड से पिटाई कर दी, जिससे छात्रा को गंभीर चोटें आई। पुलिस ने डांस टीचर के खिलाफ भादवि धारा 324 के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस को जांच में पता चला कि इस घटना के पूर्व भी कुछ पालकों ने डांस टीचर के बर्ताव को लेकर पांडे से शिकायत की थी, लेकिन पांडे ने डांस टीचर पर कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे में पुलिस ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत पांडे को भी मामले में आरोपी बनाया।
जिम्मेदार माना जाएगा
मुख्याध्यापक ने स्वयं को मामले से मुक्त करने के लिए अदालत की शरण ली। पांडे के अधिवक्ता तेजस देशपांडे ने कोर्ट में दलील दी कि कि घटना के वक्त मुख्याध्यापक माैके पर उपस्थित नहीं थे, न ही विद्यार्थियों को पीटने की उनकी मंशा थी। लेकिन सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने माना कि यह बात सही है कि मुख्याध्यापक ने न तो स्वयं विद्यार्थियों को पीटा और न ही बच्चों की पिटाई हो, उनकी ऐसी कोई मंशा थी। लेकिन चूंकि मुख्याध्यापक स्कूल का इंचार्ज होता है, लिहाजा स्कूल के विद्यार्थियों के लिए वही जिम्मेदार माना जाएगा। अदालत ने भादवि धारा 324 और 34 से तो मुख्याध्यापक को बरी कर दिया, लेकिन जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मुख्याध्यापक को ट्रायल से गुजरने का फैसला कायम रखा। मामले मंे सरकार की ओर से सरकारी वकील पंकज तपासे ने पक्ष रखा।
काटोल मुख्याधिकारी समेत अन्य को अग्रिम जमानत
वहीं दूसरे मामले में सत्र न्यायालय ने गुरुवार को काटोल नगर परिषद के मुख्याधिकारी अशोक घराटे, अध्यक्ष समेत 19 पदाधिकारियों को अग्रिम जमानत प्रदान की है। उन पर वर्ष 2002 से 2020 के बीच आपसी सांठ-गांठ से क्षेत्र में 73 अवैध भूखंडों को नियमित करने का आरोप है। काटोल पुलिस में इनके खिलाफ भादवि 420, 409, 166, 167 व 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपियों ने सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। अदालत में घराटे के अधिवक्ता कमल सतुजा और कैलाश डोडानी ने दलील दी कि अधिकारी-पदाधिकारियों को झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। ये सभी वर्ष 2017 से नगर परिषद में हैं, जबकि उन्हें वर्ष 2002 से शुुरू हुए मामले में आरोपी बनाया गया है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने सबूतों से छेड़छाड़ न करने की हिदायत के साथ आरोपियों को अग्रिम जमानत दी है।
Created On :   13 Aug 2021 1:59 PM IST