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अदालत का सवाल - क्या सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए अलग पाठ्यक्रम को दी जा सकती है मंजूरी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि क्या महाराष्ट्र के विभिन्न कॉलेजों में कक्षा 11 वीं में प्रवेश के लिए ली जाने वाली सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) के लिए आईसीएसई व सीबीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए अलग पाठ्यक्रम की अनुमति दी जा सकती हैं। यदि यह अनुमति देना संभव नहीं है तो क्या राज्य सरकार अपनी उस शर्त को खत्म करने को राजी है, जिसके तहत सीईटी देने वाले विद्यार्थियों को जूनियर कॉलेज में प्रवेश में प्राथमिकता देने की बात कही गई है। कोर्ट ने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि अब तक कितने विद्यार्थियों ने सीईटी परीक्षा के लिए आवेदन किया है। इससे पहले सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने कहा कि 21 अगस्त 2021 को सीईटी परीक्षा आयोजित की जाएगी। 26 जुलाई तक परीक्षा के लिए आवेदन किया जा सकेगा। विद्यार्थियों ने 21 जुलाई से परीक्षा के लिए आवेदन भेजने की शुरुआत कर दी है। उन्होंने खंडपीठ की ओर से पूछे गए सवाल पर जवाब देने के लिए समय की मांग की।
हाईकोर्ट में कक्षा 11 वीं में एडमिशन के लिए राज्य सरकार द्वारा सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) को भेदभावपूर्ण बताने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही है। आईसीएसई बोर्ड कि एक छात्रा की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया है कि सीईटी का पाठ्यक्रम पूरी तरह से महाराष्ट्र के एसएससी बोर्ड के पाठ्यक्रम पर आधारित है। जबकि आईसीएसई बोर्ड का पाठ्यक्रम व विषय एसएससी बोर्ड के पाठ्यक्रम से बिल्कुल भिन्न है। इस लिहाज से देखा जाए, तो सीईटी का आयोजन भेदभावपूर्ण है। इसलिए याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक सरकार की ओर से सीईटी की परीक्षा के विषय में राज्य सरकार की ओर से 28 मई 2021 को जारी अधिसूचना पर रोक लगाई जाए। क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मिले समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
गुरुवार को यह याचिका न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति रियाज छागला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने सीबीएसई व आईसीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए सीईटी परीक्षा के खातिर अलग पाठ्यक्रम की बात कही। और याचिका में सीबीएसई बोर्ड को पक्षकार बनाने व जवाब देने को कहा, जबकि राज्य सरकार को इस मामले में 28 जुलाई 2021 तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
याचिका के मुताबिक आईसीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों को कक्षा दसवीं में विज्ञान व गणित छोड़ने की छूट होती है। जबकि एसएसई बोर्ड मे ऐसा नहीं है। इस लिहाज से भी आईसीएसई बोर्ड़ के विद्यार्थियों को सीईटी की परीक्षा में दिक्कत आएगी। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने कोरोना संकट का हवाला देकर कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द की है। और सीईटी की परीक्षा प्रत्यक्ष रुप से आयोजित करने की तैयारी हो रही है। जबकि कोरोना की तीसरी लहर की भी आशंका व्यक्त की जा रही। जिसमें बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका है। क्योंकि परीक्षा के दौरान काफी भीड़ होगी। इसी भीड़ को रोकने के लिए कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द की गई है तो फिर सीईटी का प्रत्यक्ष आयोजन क्यों किया जा रहा है।
याचिका के मुताबिक कक्षा दसवीं में एसएससीई बोर्ड़ में 16 लाख विद्यार्थी है। सीईटी परीक्षा को लेकर सरकार की अधिसूचना के मुताबिक कॉलेज सीटें पहले उन विद्यार्थियों को आवंटित की जाएगी। जो विद्यार्थी सीईटी देंगे। इस तरह से यदि एसएससी बोर्ड के 16 लाख में से आधे विद्यार्थी भी सीईटी देगे तो सारी सीटे एसएससी बोर्ड़ के विद्यार्थियों को मिल जाएगी। बची सीटों पर दूसरे विद्यार्थियों को एडमिशन मिलेगा। इसलिए सीईटी की परीक्षा से जुड़े आदेश पर रोक लगाई जाए।
Created On :   22 July 2021 8:59 PM IST