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अपराधियों की कांप जाये रूह...हत्याकांड के आरोपी को फांसी की दोहरी सजा
डिजिटल डेस्क सिंगरौली(वैढऩ)। दोहरे हत्याकांड के फैसले ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर न्यायपालिका ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है। एडीजे ने समाज के लोगों को राहत देने के लिये जघन्य हत्या के आरोपी को फांसी की दोहरी सजा सुनाकर अपराधी को सबक दिया है। कोर्ट के इस फैसले ने सिंगरौली जिले के इतिहास में दूसरी सजा का रिकार्ड बनने के साथ यह संदेह दिया है कि ऐसा अपराध करने से पहले अपराधी रूह जरूर कांप जाये। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र मेश्राम ने फैसले से यह बात सामने आई है कि पीडि़तों को राहत देने न्यायपालिका सख्त है। कोर्ट के फैसला सामने आते ही न्यायालय परिसर में मौजूद मृतक के परिजनों की आंखें नम हो गई।
अंधे कत्ल की कडिय़ां ऐसे जुड़ीं
कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले में अपराध में प्रयुक्त कुल्हाड़ी से अपराध की कड़ी जुडऩे की जानकारी सामने आई है। मोरवा के तत्कालीन थाना प्रभारी अखिलेश गोस्वामी, एसआई महेन्द्र पांडेय और प्रधान आरक्षक राजकुमार दुबे ने आरोपी को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया था। मोरवा पुलिस की पूछताछ में यह बात सामने आई की आरोपी ने अंधे कत्ल की वारदात को अंजाम देने के अपराध में प्रयुक्त कुल्हाड़ी को घर में छिपा रखा था। पुलिस ने आरोपी रामजग बिंद के घर हत्या में उपयोग की गई कुल्हाड़ी को जब्त किया था। कुल्हाड़ी के जब्त होने के बाद आरोपी ने जमीन विवाद की रंजिश में पति-पत्नी की हत्या का जुर्म कुबूल किया था। इस मामले में अभियोजन के सरकारी गवाहों के बयान भी फैसले की अहम कड़ी बने। शासन की तरफ से मामले में डीपीओ महेन्द्र सिंह गौतम, एडीपीओ आशीष गरवाल, लोक अभियोजक हरिओम वैश्य, अर्चना पटेेल ने मामले में सशक्त पैरवी की है।
तत्थात्मक विवेचना बनी सजा का आधार
अंधे कत्ल के इस मामले में पुलिस की तत्थात्मक विवेचना ने फांसी की सजा में अहम रोल निभाया है। तत्कालीन मोरवा टीआई श्री गोस्वामी ने वारदात की सूचना मिलने के साथ आरोपी को ट्रेस करना शुरू कर दिया था। अभियोजन के अनुसार पुलिस की कड़ी दर कड़ी विवेचना और उनके समर्थन में जुटाये गये सबूत कोर्ट के फैसले का आधार बने हैं।
8 साल पहले हुई थी पहली फांसी
सिंगरौली के जिला बनने के तीन साल बाद तत्कालीन एडीजे पीसी गुप्ता दोहरे हत्याकांड के मामले में आरोपी संतोष नामक युवक को फांसी की पहली सजा सुनाई थी। जानकारों के मुताबिक आरोपी ने निगाही के एक अल्पसंख्यक के घर में डबल मर्डर की वारदात को अंजाम दिया था। इस वारदात में मां और बेटे ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। जबकि दो बालिकायें कोमा में चली गई थीं। सनकी युवक द्वारा जिस तरीके से वारदात को अंजाम दिया था, इस अपराध को कोर्ट ने विरल से विरलतम माना था।
दुस्साहसी के चेहरे पर शिकन नहीं
पहले से ही फांसी की सजा से दंडित आरोपी रामजग बिंद को एडीजे कोर्ट द्वारा दोहरे मृत्युदंड से दंडित करने के बाद भी दुस्साहसी के चेहरे पर शिकन तक देखने को नहीं मिली। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कोर्ट रूम से बाहर निकले के बाद न्यायालय परिसर में गहमागहमी का माहौल रहा। कोर्ट से सजायाफ्ता कैदी को पुलिस सुरक्षा में पचौर जेल भेज दिया गया है।
7 मर्डर के बाद भी पछतावा नहीं
सीधी के जिला न्यायालय द्वारा आरोपी को 24 फरवरी 99 को पहली बार फांसी की सजा सुनाये जाने के बाद भी सनकी के आचरण में सुधार नहीं हुआ। आरोप है कि आरोपी ने 31 मई 97 को हत्या की वारदात को अंजाम देते हुये एक ही परिवार के पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
Created On :   24 Nov 2019 11:08 PM IST