सुप्रीम कोर्ट मामले में गुरुवार को फिर करेगा सुनवाई

Crisis in Shiv Sena - Supreme Court will hear the matter again on Thursday
सुप्रीम कोर्ट मामले में गुरुवार को फिर करेगा सुनवाई
शिवसेना में संकट सुप्रीम कोर्ट मामले में गुरुवार को फिर करेगा सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शिवसेना के भीतर दरार से उत्पन्न विवाद से संबंधित मामलों में दोनों पक्षकार उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे की ओर से पेश हुए वकीलों की प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद मामले की सुनवाई को कल तक के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने एकनाथ शिंदे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को अधिक स्पष्टता के साथ लिखित प्रस्तुतियां फिर से प्रस्तुत करने के लिए कहा।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ के समक्ष आज विधायकों की अयोग्यता और निष्कासन के साथ इस मामले से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान शिंदे गुट की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने उनसे कहा कि आपकी ओर से जो लिखित प्रस्तुति दी गई है उसकी भाषा से कानूनी मुद्दे अधिक स्पष्ट नहीं हो रहे है। लिहाजा वे उसे ठीक से ड्राफ्ट कर कल तक हमें सौंपे।

एक व्यक्ति या नेता पूरी पार्टी नहीं हो सकता

साल्वे ने अपनी दलील में कहा कि अगर बड़ी संख्या में ऐसे विधायक है जो मुख्यमंत्री के कामकाज से संतुष्ट नहीं है और बदलाव चाहते हैं। इस पर सीजेआई ने पूछा कि क्या पार्टी नेता नहीं मिलने की बात पर आप अलग दल बना सकते है? साल्वे न कहा कि हम शिवसेना ही है। सवाल इतना है कि राजनीतिक दल का नया नेता कौन हो। एक व्यक्ति या नेता पूरी पार्टी नहीं हो सकता है। साल्वे ने कहा कि शिवसेना में कोई विभाजन नहीं है, बल्कि इसके नेतृत्व पर विवाद है, जिसे दलबदल के दायरे में नहीं आने वाला अंतर-पक्षीय विवाद कहा जा सकता है। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें चुनाव आयोग जाने का उद्देश भी पूछा। इस पर साल्वे ने कहा कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कई राजनीतिक गतिविधियां हुई है। मुंबई महापालिका के चुनाव भी करीब आ रहे है।

बागी समूह मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते

सुनवाई शुरु होते ही सबसे पहले दलीलें ठाकरे गुट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और डॉ एएम सिंघवी ने रखी। उन्होंने तर्क दिया कि बागी समूह ने चीफ व्हिप का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें 10वीं अनुसूची के अनुसार अयोग्य घोषित कर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अनुसूची के पैरा 4 के तहत सुरक्षा उन्हें उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उनका किसी अन्य राजनीतिक दल में विलय नहीं हुआ है। सिब्बल ने कहा कि बागी समूह ने पार्टी की सदस्यता छोड़ दी। वे मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते। पैरा 4 एक पार्टी के 2/3 सदस्यों को किसी अन्य पार्टी के साथ विलय या एक नई पार्टी के गठन की अनुमति नहीं देती है।

राज्यपाल की ओर से पेश एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अदालत को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या 10वीं अनुसूची का पार्टी के भीतर लोकतंत्र पर अंकुश लगाने और बहुमत के सदस्यों को पार्टी के भीतर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने से रोकने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। 

Created On :   3 Aug 2022 7:27 PM IST

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