हाईकोर्ट की नसीहत : सोशल मीडिया पर आलोचना निष्पक्ष और रचनात्मक होनी चाहिए

Criticism on social media should be fair and constructive - High court
हाईकोर्ट की नसीहत : सोशल मीडिया पर आलोचना निष्पक्ष और रचनात्मक होनी चाहिए
हाईकोर्ट की नसीहत : सोशल मीडिया पर आलोचना निष्पक्ष और रचनात्मक होनी चाहिए

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि लोग बोलने की आजादी व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल अनुशासित होकर करें और स्वयं खुद पर तर्कसंगत पाबंदी लगाए। खास तौर से सोशल मीडिया में पोस्ट करते समय इसका ध्यान जरूर रखें। क्योंकि मौजूदा समय हमारी परीक्षा की घड़ी है, इस अधिकार का इस्तेमाल दो धार्मिक समुदायों के बीच नफरत का बीज बोने के लिए नहीं होना चाहिए। क्योंकि भड़काऊ पोस्ट और संदेश सार्वजनिक शांति भंग करने की क्षमता रखते हैं। आलोचना निष्पक्ष व रचनात्मक होनी चाहिए। विशेष तौर से भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में दूसरों के विश्वास को आहत नहीं करना चाहिए। 

शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खड़पीठ ने यह बातें एक याचिकाकर्ता इमरान खान की ओर से दायर याचिका को समाप्त करते हुए कही है। याचिका में दावा किया गया था कि एमआईएम समर्थक अबु फैजल फेसबुक व सोशल मीडिया में भड़काऊ व आपत्तिजनक पोस्ट कर रहा है। जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने कहा कि फैजल के खिलाफ पुलिस में शिकायत की गई। लेकिन पुलिस इस मामले में पूरी तरह निष्क्रिय है। फेसबुक की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता डी. खम्बाटा ने कहा कि अदालत के आदेश पर अथवा केंद्र सरकार के आदेश पर फैजल के सोशल मीडिया एक्सेस को ब्लॉक किया जा सकता है। 

इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत नोडल अधिकारी के पास अपनी शिकायत रखने को कहा। इसके साथ ही कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का इस्तेमाल संविधान के तहत तर्कसंगत तरीके से करना चाहिए। 
 

Created On :   21 Aug 2020 8:19 PM IST

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