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डॉक्टरों के खिलाफ रोकने में नाकाम है मौजूदा कानून, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने डॉक्टरों व अस्पतालों को मरीजो के परिजन की हिंसा से बचाने के लिए राज्य सरकार को दिशा निर्देश बनाने आदेश जारी करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सरकार से जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने याचिका में उठाए गए मुद्दे को बेहद महत्वपूर्ण बताया है और सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। इस विषय पर डॉक्टर राजीव जोशी ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका के मुताबिक मेडिकल प्रोफेशनल व अस्पतालों को हिंसा से बचाने के लिए महराष्ट्र मेडिकेयर सर्विस पर्सन एंड मेडिकेयर सर्विस इस्टीट्यूशन एक्ट 2010 है। लेकिन इसके प्रावधान डॉक्टरों व अस्पतालों को हिंसा से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसलिए सरकार को इस विषय पर दिशा निर्देश बनाने व उसे प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया जाए। क्योंकि उपरोक्त कानून में सिर्फ नौ ही धाराए हैं। इसलिए मेडिकल प्रोफेशनल की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश बनाना जरूरी है।
याचिका में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के हवाले से कहा गया है कि 75 प्रतिशत मेडिकल प्रोफेशनल अपने कैरियर के किसी न किसी पडाव पर हिंसा का अनुभव करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मेडिकल प्रोफेशनल की हिंसा का ज़िक्र किया है। इसलिए इस मामले को लेकर विशेषज्ञों की एक कमेटी भी बनाई जाए। जो इस विषय का अध्ययन करें। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने को कहा है। सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने खंडपीठ से जवाब देने के लिए समय की मांग की। इसके बाद खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई 13 अक्टूबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी।
Created On :   23 Sept 2020 7:11 PM IST