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1 जून के बाद भी जारी रहेगा मौजूदा लॉकडाउन, रात 11 बजे तक मांगी होटल-रेस्टोरेंट खोलने की इजाजत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में कोरोना महामारी की श्रृंखला को तोड़ने के लिए लागू की गई लॉकडाउन जैसी पाबंदियों में चरण बद्ध तरीके से ढील दिया जाएगा। राज्य सरकार एक साथ में पूरे राज्य में लॉकडाउन को खत्म नहीं करेगी। लेकिन राज्य में जीवनावश्यक वस्तुओं के अलावा अन्य दुकानों को खोलने और दुकानों को शुरू रखने की मौजूदा चार घंटे की अवधि को बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने यह संकेत दिए हैं। राज्य सरकार ने फिलहाल मौजूदा लॉकडाउन को 1 जून से बढ़ाने का फैसला किया है। गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक मेंलॉकडाउन को एक साथ हटाने के बजाय चरण बद्ध तरीके से आवश्यक गतिविधियों की पाबंदी में ढील देने पर चर्चा हुई। इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस संबंध में संबंधित विभाग को निर्देश दिए हैं। मंत्रालय में पत्रकारों से बातचीत में टोपे ने कहा कि वर्तमान लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाकर गतिविधियों को शुरू करने के लिए थोड़ी शिथिलता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जीवनावश्यक वस्तुओं के अलावा अन्य दुकानों को खोलने की अनुमति देने के संबंध में टॉस्क फोर्स से चर्चा की जाएगी। इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस पर अंतिम फैसला करेंगे।
21 जिलों में है अधिक पॉजिटिविटी दर
टोपे ने कहा कि प्रदेश की कोरोना की औसत पॉजिटिविटी दर के मुकाबले 21 जिलों में पॉजिटिविटी दरअधिक है। इसलिए जिन जिलों में पॉजिटिविटी दर अधिक है वहां पर अस्पताल में बिस्तर उपलब्धता और कोरोना के नए वेरिएंट को ध्यान में रखकर लॉकडाउन में ढील देने के बारे में फैसला लेना होगा। जबकि प्रदेश के नगर विकास मंत्री नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्य के ग्रामीण अंचल में कई जगहों पर कोरोना के आंकड़े दो से तीन गुना बढ़े हैं। राज्य के लिए यह चिंता की बात है।
अभी टला नहीं है खतरा
राज्य में कोरोना के मरीजों की संख्या कम हो रही है लेकिन 10 से 15 जिलों में कोरोना मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ रही है। इसके अलावा म्यूकर माइकोसिस का खतरा बढ़ रहा है। पिछले साल सितंबर महीने में मरीजों की संख्या सबसे अधिक थी। प्रदेश में मरीजों की संख्या कम होने के बावजूद फिलहाल पिछले साल के सिंतबर महीने के जितना आंकड़ा है। इसलिए अभी सावधानी बरतनी होगी।
टीके लिए चार कंपनियों ने भरा टेंडर
टोपे ने कहा कि कोरोना के टीके के लिए सरकार की ओर से जारी वैश्विक टेंडर में फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन, स्पुतनिक-वी और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन कंपनी ने टेंडर भरा है। इसमें कुछ कंपनियों ने टेंडर में टीके का रेट नहीं बताया है जबकि कुछ कंपनियों द्वारा आपूर्ति की समय सीमा का उल्लेख नहीं होने के कारण अनिश्चितता है। इसलिए यह सभी सवाल संबंधित कंपनियों से पूछे जा रहे हैं। टोपे ने कहा कि स्पुतनिक-वी और फाइजर वैक्सीन की कीमत 750 रुपए से लेकर 1800 रुपए तक है। टोपे ने कहा कि फाइजर कंपनी ने पंजाब सरकार को पत्र लिखा है कि वह प्रदेश के बजाय केंद्र सरकार को टीका उपलब्ध कराएगी। इसलिए केंद्र सरकार को कोरोना टीका आयात के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए। टोपे ने कहा कि राज्य में 45 साल से अधिक आयु वाले जिन नागरिकों का कोरोना टीके की दूसरी खुराक बाकी है उन्हें टीका उपलब्ध कराने का फैसला लिया गया है। जिन जिलों को अब तक टीका का वितरण कम हुआ है उन जिलों में टीका अधिक उपलब्ध कराया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में 3 लाख 15 हजार कोरोना के सक्रिय मरीज हैं। इसमें से 60 प्रतिशत कोरोना के मरीज होम आइसोलेशन में हैं। इसलिए इन मरीजों को कोविड केयर सेंटर में लाने के निर्देश दिए गए हैं। हमें उम्मीद है कि इसके सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे। इसके लिए नागरिकों को सहयोग करना चाहिए।
रात 11 बजे तक मिले होटल-रेस्टोरेंट खोलने की इजाजत
उधर द होटल एंड रेस्टारेंट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया (एचआरएडब्ल्यूआई)ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से एक बार फिर हास्पिटैलिटी इंडस्ट्री को राहत देने की गुहार लगाई है। संगठन ने कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते लगे लॉकडाउन के बाद बंद पड़े होटल, रेस्टारेंट और बारों को फिर से कम से कम रात 11 बजे तक खोलने की इजाजत देन की मांग की है। इसके अलावा सरकार से संपत्तिकर, पानी, बिजली की दरों में राहत देने और एक्साइज फीस, एसजीएसटी हालात सामान्य होने तक पूरी तरह माफ करने की मांग की गई है। एचआरएडब्ल्यूआई की मांग है कि कर्ज के भुगतान, किश्तों को आसान बनाने और 12 महीने तक ब्याज वसूलने पर रोक लगाए जाने जैसे कदम भी उठाए जाने चाहिए। एचआरएडब्ल्यूआई के अध्यक्ष शेरी भाटिया के कहा कि सरकार द्वारा लगाए गए सख्त लॉकडाउन के चलते हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ा है और राज्य के 2 लाख रेस्टारेंट में से 50 हजार पूरी तरह बंद हो गए हैं। पिछले साल 7 महीने के लॉकडाउन के चलते इंडस्ट्री से जुड़े 50 फीसदी लोगों का रोजगार चला गया। भाटिया ने कहा कि सरकार अगर होटल, रेस्टारेंट खोलने की इजाजत देती है तो कोरोना संक्रमण से जुड़े दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन किया जाएगा।
होम डीलीवरी से सिर्फ 10 फीसदी कमाई
एचआरएडब्ल्यूआई के उपाध्यक्ष प्रदीप शेट्टी ने कहा कि फिलहाल हम लोगों के घरों में खाना पहुंचाकर थोड़ा बहुत कमाई कर पा रहे हैं। लेकिन यह हमारी आय का 8 से 10 फीसदी ही है। फिलहाल कमाई नहीं हो रही है इसलिए सरकार को लाइसेंस फीस में भी छूट देनी चाहिए। बिजली और पानी के बिल वास्तविक इस्तेमाल के आधार पर वसूले जाने चाहिए। एचआरएडब्ल्यूआई ने कहा कि केरल सरकार की तरह महाराष्ट्र सरकार को भी अगले दो महीने तक बकाया वसूली के लिए संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई पर रोक लगाने, बिजली के लिए जुर्माना न वसूलने जैसे आदेश देने चाहिए।
पदोन्नति में आरक्षण पर मंत्रिमंडल बैठक में नहीं हो सका फैसला
पदोन्नती में आरक्षण को लेकर गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा हुई पर इस पर अंतिम फैसला नहीं हो सका। अब उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल उप समति की मंगलवार को होने वाली बैठक में इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। इस मसले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने सरकार से बाहर होने की चेतावनी दी है। पदोन्नती में आरक्षण रद्द करने के फैसले को लेकर मुखर राज्य के ऊर्जामंत्री नितिन राऊत ने बताया कि गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक में पदोन्नती में आरक्षण समाप्त करने वाले शासनादेश को रद्द करने की बाबत चर्चा हुई। अब इसको लेकर 1 जून, मंगलवार को होने वाली मंत्रीमंडल की उपसमिति की बैठक होगी। गौरतलब है कि राज्य मंत्रिमंडल की पिछली बैठक में भी कांग्रेस के मंत्री नितिन राउत, वर्षा गायकवाड और विजय वडेट्टीवार यह मसला उठाया था। इसको लेकर उपमुख्यमंत्री पवार से कांग्रेसी मंत्रियों की बहस होने की भी खबरे आई थी। राज्य के एसटी-एससी व पिछड़े वर्ग के सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के पदोन्नति में आरक्षण को रद्द करने के लिए 7 मई 2021 को शासनादेश जारी किया गया था। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है इस लिए राज्य सरकार इस बारे में कोई फैसला लेने से हिचक रही है। पर महा विकासस आघाडी सरकार में उपेक्षित चल रही कांग्रेस इस मसले को उठा कर राजनीतिक लाभ हासिल करने की फिराक में है।
चंद्रपुर से खत्म हुई शराब बंदी - राज्य मंत्रिमंडल का फैसला
प्रदेश की महाविकास आघाड़ी सरकार ने पूर्व की भाजपा सरकार के एक और फैसले को पलट दिया है। सरकार ने राज्य के चंद्रपुर जिले में लागू शराब बिक्री पर पाबंदी को हटा लिया है। गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल ने चंद्रपुर में शराब पाबंदी हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इससे चंद्रपुर में अब शराब की बिक्री शुरू हो सकेगी। सरकार का कहना है कि 1 अप्रैल 2015 से चंद्रपुर में शराब पर पाबंदी लागू होने के बाद से जिले में अवैध शराब की बिक्री बढ़ गई थी और जिले में अपराध भी बढ़ गए थे। इस आधार पर यह फैसला लिया गया है। सरकार ने 1 अप्रैल 2015 से चंद्रपुर में शराब बेचने और शराब पीने का परमिट रद्द कर शराब पर पाबंदी लागू की थी। लेकिन शराब पाबंदी के संबंध में जुलाई 2018 में विधानसभा में हुई चर्चा के दौरान राज्य के तत्कालीन राज्य उत्पादन शुल्क मंत्री ने समिति गठित करने का आश्वासन दिया था। इसके अनुसार सेवानिवृत्त पूर्व प्रधान सचिव रमानाथ झा की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। झा समिति ने 9 मार्च 2021 को सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी।
शराब पाबंदी हटाने के प्रमुख कारण
झा समिति के निष्कर्ष के अनुसार चंद्रपुर में शराब पाबंदी को लागू करने का फैसला बड़े पैमाने पर असफल रहा। इससे जिले में अवैध हात भट्टी शराब, नकली शराब काले बाजार में उपलब्ध हो रही है। यह शराब काफी घातक है। पाबंदी से शराब का कालाबाजार भी बढ़ा है। सरकार को वैध शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व का भी नुकसान हुआ है। जबकि शराब बंदी से अपराध क्षेत्र के निजी व्यक्तियों को काफी आर्थिक फायदा हुआ। अवैध शराब के व्यापार में महिलाएं औरर बच्चों की भागीदारी से परिस्थिति चिंता जनक है। जिले में कई संगठन और नागरिक शराब पाबंदी को हाटने के पक्ष में नजर आए।
शराब बंदी के कारण अपराध बढ़े
सरकार की माने तो शराब पर रोक के कारण चंद्रपुर में असमाजिक प्रवृत्ति और अपराध में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। शराब पाबंदी से पहले 2010 से 2014 के बीच 16 हजार 132 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि शराब पाबंदी के बाद 2015 से 2019 के बीच 40 हजार 381 मामले पंजीकृत हुए। शराब बंदी से पहले महिला अपराध के 1729 प्रकरण थे। जबकि शराब पर रोक लगने के बाद महिला अपराध के प्रकरण बढ़कर 4042 हो गए। अवैध शराब के लिए बच्चों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया।
शराब बंदी से राजस्व घाटा
चंद्रपुर में शराब पाबंदी के कारण पिछले पांच सालों में 1606 करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान हुआ है। जबकि 964 करोड़ रुपए बिक्री कर डुबा है। इससे सरकार को कुल 2570 करोड़ रुपए का राजस्व नहीं मिल सका।
नागरिकों की ओर से मांग
चंद्रपुर में शराब पर रोक हटाने के लिए लगभग 2 लाख 69 हजार 824 ज्ञापन जिलाधिकारी ने समिक्षा समिति के पास भेजे थे। इसमें से 2 लाख 43 हजार 627 ज्ञापन शराब पाबंदी हटाने के लिए थे। जबकि 25 हजार 876 ज्ञापन शराब पर रोक बरकरार रखने की मांग को लेकर था।
चंद्रपुर में अवैध शराब की हो रही थी बिक्री- वडेट्टीवार
चंद्रपुर से शराब पाबंदी समाप्त करने के लिए जुटे प्रदेश के मदद व पुनर्वसन मंत्री तथा चंद्रपुर पालक मंत्री के विजय वडेट्टीवार ने कहा कि जिले में शराब पाबंदी के बाद से लगातार अवैध शराब की बिक्री हो रही थी। सरकार के लिए राजस्व प्राप्ति नहीं बल्कि जनता का जीवन महत्वपूर्ण है। नागपुर में वडेट्टीवार ने कहा कि चंद्रपुर में अवैध शराब के व्यवसाय में छोटे बच्चे और महिलाएं बड़े पैमाने पर लिप्त हो गए थे। शराब पर रोक के बाद चंद्रपुर में बड़े स्तर पर ड्रग्स की बिक्री शुरू हो गई थी। पुलिस की कोशिशों के बावजूद अवैध शराब ब्रिकी जारी थी।
चंद्रपुर में शराब पाबंदी हटाने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण- फडणवीस
विधान सभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने चंद्रपुर में शराब पाबंदी हटाने के राज्यमंत्रिमंडल के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का दूरगामी परिणाम होंगे। फडणवीस ने कहा कि कोरोना महामारी के संकट में राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान छोड़कर इस तरह का फैसला लिया जा रहा है। इससे महाविकास आघाड़ी सरकार की प्राथमिकताओं को समझा जा सकता है।
Created On :   27 May 2021 8:43 PM IST