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नागपुर में बढ़ा साइबर क्राइम, डुप्लीकेट वेबसाइट बनाकर ठगी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वर्तमान में अधिकांश युवा से लेकर हर उम्र के लोग ऑनलाइन खरीदी व लेन-देन कर रहे हैं। इसी का फायदा उठाते हुए साइबर अपराधियों की नई-नई गैंग भी सक्रिय हो रही है। यहां तक कि देश की कई कंपनियों की डुप्लीकेट साइट बनाकर ठगी करने का नया तरीका सामने आ रहा है। ऐसे में यदि आप इसका शिकार बने तो आपको न्याय मिलेगा, यह लगभग असंभव जैसा है। क्योंकि इन अपराधों के लिए पुलिस विभाग के पास न तो एक्सपर्ट स्टॉफ है और न ही इन्हें सुलझाने में किसी की रुचि। क्योंकि ठगी करने वालों का कार्यक्षेत्र देश-विदेश तक फैला है। ऐसे में इनका शिकार हुआ व्यक्ति जैसे ही शहर के थानों में जाता है, उसे साइबर अपराध का मामला बताकर स्टॉफ हाथ खड़े कर देता है। इसके बाद उसे विभाग की साइबर सेल में जाने को कहा जाता है। यहां का स्टॉफ भी पहले मामला दर्ज नहीं करना पड़े, इसलिए आपको हजार बहाने बनकर आपको ही गलत ठहराएगा। ऐसे में आप ही अपनी गलती मानकर निराश होकर चले जाएंगे। यदि तब भी नहीं गए तो आप आवेदन देकर भूल जाइए। यही कारण है कि एक तो मामले ही कम दर्ज हैं, और जो कागजों में दर्ज हैं, उसमें से 10 प्रतिशत भी ठीक से सुलझाए नहीं गए।
ऐसे हो रही है नई तरह से ठगी
अधिकांश ठगी शुरुआत में बैंक के नाम से आपको फोन कर की जाती थी, जिसमें आपके एटीएम की जानकारी और इसके बाद ओपीटी की जानकारी लेकर की जाती है। जब इस मामले में लोग धीरे-धीरे जागरूक हुए तो अपराधियों ने देश-विदेश की ऑनलाइन की नामी कंपनियों के नाम से फर्जी वेबसाइट बनाना शुरू कर दी। ऐसी फर्जी कंपनियां किसी तरह से आपके निजी जानकारियों लेकर आपको डुप्लीकेट कंपनियों के नाम पर नए-नए ऑफर भेजती हैं। ऑफर इतने शानदार और लालच देने वाले होते हैं कि एक बार आप इनके चक्कर में आए तो फंसते ही चले जाते हैं। जैसे ही ऑफर पर क्लिक करते हैं, आपसे लगातार एजेंटों से बात शुरू हो जाती है। वह आपको भुगतान करने के जाल में फंसाते जाते हैं। एक बार कुछ रकम भुगतान होने के बाद आप भी आसानी से इनके जाल में फंसते चले जाते हैं।
सब कुछ असली जैसा
नागरिकों को ऑनलाइन खरीदारी करते समय कई बार यह पता नहीं चल पाता है कि वह असली वेबसाइट से खरीदारी कर रहा है या नकली। कई नामचीन कंपनियों के नाम पर फर्जी वेबसाइट तैयार कर धोखाधड़ी हो रही है। साइबर पुलिस सेल विभाग के पुलिस निरीक्षक विजय करे और एपीआई विशाल माने ने बताया कि देश में एक ही नाम की कई फर्जी वेबसाइट शुरू कर दी गई है। किसी भी वेबसाइट में संबंधित वेबसाइटों के नाम के साथ gov.in, org.in, gov.com और org.com जोड़ दिया जाता है। इंटरनेट पर कई फर्जी वेबसाइट का पता एक है, लेकिन किसी में gov.in, org.in, gov.com और org.com लिखा होता है। किसी में संपर्क नंबर दिया जाता है तो किसी में नहीं दिया जाता है। ऑनलाइन खरीदारी करते समय नागरिकों को यह पता ही नहीं चल पाता है कि वह असली वेबसाइट से खरीदारी कर रहा है या नकली वेबसाइट से खरीदारी की। उसे असली नकली का फर्क तब पता चलता है, जब उसके खाते से रुपए गायब होने लगते हैं और उसे ऑनलाइन बुकिंग किया हुआ माल भी नहीं मिल पाता है।
नागरिकों को जागरूक होना पड़ेगा
साइबर अपराध कभी नहीं रुक सकता है। यह तभी रुक सकता है जब नागरिक खुद जागरूक होंगे। वह किसी अपरिचित व्यक्ति से कोई लेन-देन न करें, बैंक अधिकारी बनकर फोन करने वाले को अपनी बैंक संबंधी कोई जानकारी न दें, ओटीपी नंबर या मोबाइल नंबर न दें। साइबर अपराध की रोकथाम का यह बड़ा उपाय है, जब तक इस पर नागरिक अमल नहीं करेंगे तब तक वह साइबर अपराध की ठगी के शिकायत होते रहेंगे।
- विजय करे, पुलिस निरीक्षक, साइबर पुलिस सेल विभाग नागपुर
Created On :   14 March 2019 12:00 PM IST