मेडिकल में मां के इलाज के लिए दौड़ती रही बेटी

Daughter running for mothers treatment in medical
मेडिकल में मां के इलाज के लिए दौड़ती रही बेटी
नागपुर मेडिकल में मां के इलाज के लिए दौड़ती रही बेटी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यहां से 70 किलोमीटर की दूरी से एक महिला अपनी मां को लेकर मेडिकल पहुंची। जांच के बाद पता चला कि उसे क्रोनिक किडनी डिसीज है। इसलिए सुपर स्पेशलिटी में इलाज होगा। जब सुपर में गई तो वहां जांच कर मेडिकल में भर्ती करने को कहा गया। मेडिकल में उसे भर्ती नहीं किया गया, बल्कि मेडिसिन कैजुअल्टी के वार्ड क्रमांक 67 में 24 घंटे तक रखा गया। चार दिन से बेटी अपनी मां का उपचार कराने तड़प रही है, लेकिन भर्ती नहीं किया गया। उनके उपचार का खर्च 10 से 15 हजार रुपए है। बीपीएल राशन कार्ड व आधार कार्ड होने के कारण महात्मा फुले जनस्वास्थ्य योजना अंतर्गत उसका उपचार होना चाहिए, लेकिन मेडिकल में किसी को इतनी फुर्सत नहीं कि उस महिला को इस योजना का लाभ दिला सके।

जांच के बाद भी उपचार नहीं, कैजुअल्टी में 24 घंटे रखा, फिर डिस्चार्ज भी कर दिया

यह है मामला : काटोल निवासी सुशीला नामदेव अखंडे (75) की तबीयत खराब हुी तो उसे 9 दिसंबर को स्थानीय ग्रामीण अस्पताल में दिखाया गया। डॉक्टरों ने  भर्ती कर अलग-अलग जांच की। किडनी में विकार होने से उसे नागपुर रेफर करने की सलाह दी गई। सुशीला की बेटी मंगला मां को लेकर 15 दिसंबर को 108 एंबुलेंस से नागपुर पहुंची। यहां कैजुअल्टी में सारी जांच के बाद भी उपचार नहीं किया गया। उसे कैजुअल्टी के आखिरी बेड पर रखा गया। यही नहीं, उपचार किए बिना उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। रात भर वहीं रुकने के बाद अगले दिन 16 दिसंबर को उसे कर्मचारियों ने व्हील चेयर पर वार्ड क्रमांक-3 के पास वेटिंग हॉल में छोड़ दिया। इसी दिन सुबह 10.30 बजे ड्यूटी पर दूसरा स्टाफ आया। उन्होंने महिला के सारे दस्तावेज देखने के बाद बताया कि किडनी का इलाज मेडिकल में नहीं, बल्कि सुपर स्पेशलिटी में होता है। कुछ लोगों से मदद लेकर वह सुपर स्पेशलिटी पहुंची। वहां के डॉक्टरों ने जांच के बाद अनेक टेस्ट करने को कहा। इसके बाद महिला को मेडिकल में भर्ती करने को कहा गया, ताकि कार्यालयीन तालमेल से महिला का इलाज हो सके, लेकिन 17 दिसंबर को भी उसे भर्ती नहीं किया गया। वह कैजुअल्टी में ही रही।

पैसा नहीं, संपर्क के लिए मोबाइल भी नहीं

मां-बेटी दोनों निर्धन हैं। उनके पास खाने को पैसा नहीं, संपर्क के लिए मोबाइल नहीं, गांव में खुद का घर नहीं है। और यहां आकर नई मुसीबतों का सामना करना मां-बेटी के लिए मुश्किल हो गया था। एक युवक ने उन्हें हर संभव मदद की। इस महिला को क्राेनिक किडनी डिसीज होना बताया गया। इसका इलाज करने के लिए 10 से 15 हजार रुपए लगते हैं। उनके पास 15 रुपए भी नहीं है। ऐसे में उनका इलाज होना असंभव हो गया था। तभी वहां सेवा देने वाले कुछ लाेगों ने उनसे राशन और आधार कार्ड के बारे में पूछा तो उनके पास बीपीएल राशन कार्ड और आधार कार्ड मिला। इस आधार पर महात्मा फुले जन स्वास्थ्य योजना अंतर्गत उपचार संभव दिखा। यह प्रक्रिया पूरी की जा रही है। 

Created On :   19 Dec 2021 3:38 PM IST

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