चेतना शून्य अवस्था में पड़ी बेटी के पिता को मुआवजे के पैसे निकालने की अनुमति

Daughters father lying in a state of consciousness is allowed to withdraw compensation money
चेतना शून्य अवस्था में पड़ी बेटी के पिता को मुआवजे के पैसे निकालने की अनुमति
हाईकोर्ट चेतना शून्य अवस्था में पड़ी बेटी के पिता को मुआवजे के पैसे निकालने की अनुमति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटना के चलते चेतना शून्य अवस्था में पड़ी एक बेटी के पिता को अदालत में जमा किए गए एक करोड़ 15 लाख रुपए निकालने की अनुमति प्रदान की है। याचिकाकर्ता की बेटी जिस गाड़ी से सड़क दुर्घटना का शिकार हुई थी। उसका मालिक पश्चिम रेलवे था। लिहाजा रेलवे ने मुआवजे के रुप में कोर्ट में 1.50 करोड़ रुपए जमा किए थे। इससे पहले मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने रेलवे को सड़क दुर्घटना की पीड़िता निधि जेठमलानी को मुआवजा प्रदान किया था। जिसके खिलाफ रेलवे के वरिष्ठ अभियंता ने हाईकोर्ट में अपील की है। 28 सितंबर 2017 को 17 वर्षीय निधि उस समय मरिन ड्राइव इलाके में सड़क का दुर्घटना का शिकार हो गई थी जब वह सड़क पार कर रही थी। सड़क दुर्घटना की घटना के बाद से निधि चेतना शून्या अवस्था में पड़ी है। जिस गाड़ी से निधि सड़क दुर्घटना का शिकार हुई थी वह गाडी पश्चिम रेलवे की थी। ट्रिब्यूनल के सामने रेलवे ने दलील दी थी कि निधि राहगीरों के लिए बनाए गए स्थान से सड़क पार नहीं  कर रही थी। इसके अलावा सड़क पार करते समय वह मोबाइल का इस्तेमाल कर रही थी। किंतु ट्रिब्यूनल ने निधि के पक्ष में फैसला सुनाया। जिसके खिलाफ रेलवे के अधिकारी ने हाईकोर्ट में अपील की है। पीड़िता के पिता ने दावा किया था कि उन्हें बेटी के इलाज के लिए पैसों की जरुरत है। 

न्यायमूर्ति गौतम पटेल व न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि निधि का भविष्य पूरी तरह से अंधकार में दिख रहा है। फिलहाल हम प्रकरण से जुड़े तथ्यों की पड़ताल नहीं करेंगे। इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करना जरुरी है। क्योंकि पीड़िता वर्तमान में ऐसी अवस्था में है जिसकी आंखे तो खुली है लेकिन चेतना बिल्कुल भी नहीं है। खंडपीठ ने अभी इस मामले से जुड़ी अपील को अभी सुनवाई के लिए प्रलंबित रखा है।

वहीं पीड़िता के पिता की ओऱ से पैरवी कर रहे वकील एस. विद्यार्थी ने कहा कि इस मामले में पिता ने 2.22 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की थी। न्यायाधिकरण ने न्यूनतम मुआवजा दिया है। जिसमें रेलवे की ओर से 1.50 करोड़ रुपए कोर्ट में जमा किया गया है। उन्होंने सुनवाई के दौरान खंडपीठ को मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलूओं से भी अवगत कराया। इसके बाद खंडपीठ ने पीड़िता के पिता को कोर्ट में जमा की गई राशि का एक हिस्सा निकालने की अनुमति प्रदान कर दी। 
 

Created On :   11 Oct 2022 8:55 PM IST

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