महामंडलों में नियुक्तियों पर गतिरोध कायम, स्पर्धा आई आड़े

Deadlock on the appointments in the corporations, competition came in the way
महामंडलों में नियुक्तियों पर गतिरोध कायम, स्पर्धा आई आड़े
नागपुर महामंडलों में नियुक्तियों पर गतिरोध कायम, स्पर्धा आई आड़े

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में विविध विकास महामंडलों में नियुक्तियों का मामला लंबित है। इन नियुक्तियों के लिए समन्वय समिति बनी है, लेकिन गतिरोध कायम है। ऐसे में पद पाने के इच्छुक जनप्रतिनिधियों में बेचैनी है। उधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि महामंडलों की नियुक्ति का मामला जल्द ही हल हो जाएगा। विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में ही कुछ महामंडलों के लिए नियुक्तियां हो जाएंगी। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सामाजिक, भौगोलिक व आर्थिक विकास के लिए अलग-अलग महामंडल बनाए हैं। इन महामंडलों के लिए अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को समायोजित किया जाता है। अध्यक्ष पद राज्यमंत्री दर्जे का होता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से राज्य में महामंडलों की नियुक्तियों का मामला लंबित ही रह गया है। 

समिति की बैठक में हुई चर्चा

महामंडलों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। इस मामले में समन्वय समिति बनाई गई। समिति में महाविकास आघाड़ी के मंत्रियों को शामिल किया गया। शिवसेना से एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, कांग्रेस से बालासाहब थोरात, अशोक चव्हाण व राकांपा से जयंत पाटील समिति सदस्य बने। समिति की बैठक हुई। आरंभिक तौर पर चर्चा हुई कि किस महामंडल में किस दल का अध्यक्ष होगा और महामंडल सदस्य के तौर पर किस दल को प्रतिनिधित्व मिलेगा। बाद में महाविकास आघाड़ी में महामंडल को लेकर समन्वय नहीं हो पाया। स्थिति यहां तक हो गई कि विदर्भ विकास वैधानिक मंडल जैसे महामंडलों के अस्तित्व पर संकट आ गया। इस महामंडल के पुनर्गठन की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया गया। मराठवाड़ा विकास मंडल का मामला में लंबित रह गया। कहीं चुनाव गतिरोध बना, तो कहीं कांग्रेस-राकांपा के बीच महामंडल को लेकर स्पर्धा आड़े आई। 

2 वर्ष तक ध्यान नहीं दिया गया

डेढ़ दशक पहले विलासराव देशमुख के नेतृत्व की सरकार ने महामंडलों की नियुक्तियों में कटौती की थी। उसके बाद से नियुक्तियां प्रभावित ही रहीं। कांग्रेस व राकांपा के गठबंधन की तत्कालीन सरकार ने महामंडल की नियुक्तियों पर अधिक ध्यान नहीं दिया। 2014 में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा गठबंधन की सरकार बनी। तब भी करीब 2 वर्ष तक महामंडल की ओर ध्यान नहीं दिया गया। 2019 में चुनाव के पहले कुछ महामंडलों की नियुक्तियां की गईं, लेकिन महाविकास आघाड़ी के नेतृत्व की सरकार बनने के बाद पुरानी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया।

ये हैं प्रमुख महामंडल

नागपुर गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास मंडल, महात्मा फुले मागासवर्गीय आर्थिक विकास मंडल, महाराष्ट्र अल्पसंख्यक आयोग, कोंकण गृह निर्माण व क्षेत्र विकास मंडल, मौलाना आजाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल, पिंपरी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण, अन्नासाहब पाटील आर्थिक विकास महामंडल, महाराष्ट्र राज्य हथकरघा महामंडल, महाराष्ट्र महिला आर्थिक विकास महामंडल, महाराष्ट्र राज्य लघु उद्योग विकास महामंडल, शहर व औद्योगिक विकास महामंडल सिडको जैसे विविध महामंडल आर्थिक विकास के लिए काम करते रहे हैं। 

राकांपा, शिवसेना में भरमार

विदर्भ में राकांपा व शिवसेना की संगठनात्मक स्थिति मजबूत नहीं है। ऐसे में यहां ये दोनों दल अपने कार्यकर्ताओं को सत्ता में स्थान दिलाकर संगठनात्मक ताकत बढ़ाने का प्रयास करने का संकेत दे रहे हैं। ऐसे में इन दलों में महामंडल में स्थान पाने के इच्छुकों की भरमार है। निर्दलीय जीते विधायकाें के अलावा अन्य कुछ जनप्रतिनिधियों ने अपनी दावेदारी को बल देने के लिए मुंबई दिल्ली के नेताओं से संपर्क बढ़ाया है।

Created On :   6 Dec 2021 4:33 PM IST

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