हाईकोर्ट : बीपीसीएल कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक, हिरासत में मौत मामले का भी ब्यौरा पेश करने को कहा

Death in custody case: instructions to present details in court
हाईकोर्ट : बीपीसीएल कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक, हिरासत में मौत मामले का भी ब्यौरा पेश करने को कहा
हाईकोर्ट : बीपीसीएल कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक, हिरासत में मौत मामले का भी ब्यौरा पेश करने को कहा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के कर्मचारियों को 28 नवंबर की प्रस्तावित हड़ताल पर रोक लगा दी है। कर्मचारियों ने केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक उपक्रम के निजीकरण से जुड़ी नीति के विरोध में हड़ताल करने का निर्णय किया था और इस संबंध में बीपीसीएल को नोटिस जारी की थी। जिसके खिलाफ बीपीसीएल प्रबंधन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने सुनवाई हुई। इस दौरान बीपीसीएल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि बीपीसीएल एक लोकोपयोगी संस्थान है। यहां के लोग हड़ताल पर नहीं जा सकते। इसके अलावा इस मामले में बीपीसीएल ने कर्मचारियों के साथ सुलह को लेकर क्षेत्रिय श्रम आयुक्त के पास भी आवेदन किया है। जिस पर सुनवाई जारी है। वहीं कर्मचारियों के यूनियन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता संजय सिंघवी ने कहा कि विरोध करना हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। यूनियन ने हड़ताल से पहले बीपीसीएल को नोटिस दी है। इसलिए उनकी हड़ताल को अवैध नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा इस मामले  में कोई औद्योगिक विवाद नहीं जुड़ा है। इसलिए सुलह का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि बीपीसीएल एक लोकोपयोगी संस्थान है। जो भारतीय नौ सेना व एविएशन जगत को ईधन की आपूर्ति करता है। प्रथम दृष्टया बीपीसीएल सार्वजनिक संस्थान है। जहां हड़ताल की इजाजत नहीं है। इसलिए कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोका जाता है। 
 

हिरासत में मौत मामला-ब्यौरा कोर्ट पेश करने का निर्देश

बांबे हाईकोर्ट ने वडाला पुलिस की हिरासत में हुई युवक विजय सिंह की मौत के मामले को लेकर की गई जांच का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यह निर्देश पेशे से वकील राजेश खोब्रागडे की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिका में इस मामले की जांच सीबीआई को सौपने व आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में इस प्रकरण से जुड़े सीसीटीवी कैमरे के फुटेज व मेडिकल पेपर जब्त करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि विजय सिंह की पुलिसकर्मियों द्वारा बेरहमी से की गई पिटाई के चलते मौत हुई। पुलिस ने विजय सिंह को हिरासत के दौरान पानी तक नहीं दिया था। इस मामले में पुलिस ने एक प्रेमी जोड़े के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की दिशा में कदम नहीं उठाए गए हैं। 
मंगलवार को यह याचिका न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिजीत नाईक ने कहा कि अब तक इस मामले को लेकर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई है। आरोपी पुलिसकर्मियों को सिर्फ निलंबित किया गया है। पुलिस सिर्फ दुर्घटनावश मौत (एडीआर) दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौप दी जाए और अब तक की जांच का ब्यौरा कोर्ट में मंगाया जाए। इस पर सरकारी वकील अरफान सेठ ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। अभी तक पुलिस को मृतक (विजय सिंह) की मेडिकल रिपोर्ट नहीं मिली है। यह रिपोर्ट मिलने के बाद पुलिस आगे कदम बढाएगी। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है। 

पशुओं के खिलाफ क्रूरता रोकने आयुक्तों को निर्देश दे परिवहन विभाग

बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि वाहनों में ढुलाई के दौरान प्राणियों को क्रूरता से बचाने के लिए परिवहन विभाग द्वारा राज्य स्तरीय बैठक लेने के बाद सभी विभागीय आयुक्तों को निर्देश जारी किया जाए। हाईकोर्ट ने यह बात विनियोग परिवार ट्रस्ट की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में मांग की गई है कि मोटर वेहिकल कानून की धारा 125 ई  में किए गए प्रावधानों को गाय, भैस, घोडा, घोडी, भेड, बकरी, सुअर व मुर्गियों की ढुलाई के दौरान सख्ती से लागू किया जाए। इस धारा के तहत वाहन में जानवरों के लिए पर्याप्त जगह के लिए अलग-अलग खंड बनाने के लिए कहा गया है। जिससे प्राणियों को वाहनों में ठुस-ठुस कर न भरा जाए और उन्हें ढुलाई के दौरान होनेवाली यातना से बचाया जा सके। याचिका के मुताबिक परिवहन विभाग इस धारा के तहत वाहनों को विशेष लाइसेंस जारी करता है लेकिन इस लाइसेंस में उल्लेख की जानी वाली शर्तों का कड़ाई से पालन नहीं होता। मंगलवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सहायक सरकारी वकील  प्राजक्त शिंदे ने कहा कि मोटर वेहिकल कानून की धारा 125 ई को लागू करने को लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी। इसके आधार पर  9 अगस्त 2019 को एक परिपत्र जारी किया गया है। आगे भी परिवहन विभाग की बैठक होगी। इसके अलावा राज्य के सभी विभागीय आयुक्तों को भी जरुरी निर्देश जारी किए जाएंगे। इस दौरान सहायक सरकारी वकील शिंदे ने परिवहन विभाग के एक अधिकारी का हलफनामा भी खंडपीठ के सामने पेश किया। हलफनामे में कहा गया है कि राज्य भर में  नियमों के उल्लंघन के मामले में 33 वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। कुछ मामले में कार्रवाई के लिए पुलिस को सूचना दी गई है। हलफनामे में कहा गया है कि परिवहन विभाग सिर्फ त्यौहारों के दौरान ही नहीं आम दिनों में भी प्राणियों की ढुलाई नियमों के तहत करना सुनिश्चित करेगा। इसके लिए पुलिस व पशुपालन विभाग के अधिकारियों की भी मदद ली जाएगी। इस पर खंडपीठ ने कहा कि अगली बैठक में पुलिस अधिकारी व मनपा के अधिकारियों को भी शामिल किया जाए और एक राज्य स्तरिय बैठक में चर्चा के बाद लिए जानेवाले निर्णय के आधार पर सभी विभागीय आयुक्तों को निर्देश दिए जाए। खंडपीठ ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करनेवाले वाहनों के खिलाफ की गई कार्रवाई को वेबसाइट पर जारी किया जाए। ताकि यह समझ में आए कि परिवहन विभाग इस मामले को लेकर गंभीर है। 
 

Created On :   26 Nov 2019 7:27 PM IST

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