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ओवर सीज मेडिक्लेम पॉलिसी लेकर विदेश गए बीमित की मौत, सालों बाद भी नहीं मिला क्लेम
डिजिटल डेस्क जबलपुर। बीमा कंपनियाँ अनेक योजनाएँ चलाकर आम लोगों को लाभ देने का वादा तो करती हैं पर जमीनी हकीकत में पॉलिसी लेने के बाद बीमित को जरूरत पडऩे पर दर-दर भटकने मजबूर होना पड़ जाता है और उसके बाद भी बीमा कंपनियों में किसी तरह की सुनवाई नहीं होती। ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिन्होंने पॉलिसी ली और लगातार प्रीमियम भी भरते आ रहे हैं। सालों से संचालित करते आ रहे लेकिन पॉलिसी धारकों को जब कैशलेस की जरूरत पड़ी तो बीमा कंपनियों ने मना कर दिया और उसके बाद जब बिल लगाया गया तो पुरानी बीमारी छिपाकर इंश्योरेंस कराने की बात करते हुए नो क्लेम का लैटर भेज दिया। पॉलिसी धारकों का आरोप है कि बीमा कंपनियाँ हमारे धोखा कर रही हैं और जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह मौन धारण किए हुए हैं, जबकि कार्रवाई करने का स्थानीय स्तर पर अधिकारियों को पूरा अधिकार है।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ (मोनो लगाएँ टेलीफोन का)-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
केस.1
शुगर व हाईपर टेंशन का हवाला देकर बीमा क्लेम कर दिया रिजेक्ट-
सराफा वार्ड निवासी राजमति जैन ने अपनी शिकायत में बताया कि पति प्रकाशचंद्र जैन मलेशिया गए थे। मलेशिया जाने के पहले उन्होंने ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से ओवर सीज मेडिक्लेम कराया था। 11 दिन की उक्त पॉलिसी लेकर वे मलेशिया की राजधानी क्वालालम्पुर गए थे। वहाँ पर अचानक बीमार होने के कारण अस्पताल में उन्हें भर्ती होना पड़ा था। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। वहाँ पर डॉलर में रकम देनी पड़ी थी। प्रकाशचंद्र के परिजनों ने सारे विधान करने के बाद बीमा कंपनी में क्लेम किया था। पीडि़तों का आरोप है कि बीमा कंपनी ने मलेशिया में कैशलेस नहीं किया था। उक्त पॉलिसी 8 लाख रुपए की थी और बीमा कंपनी ने यह कहते हुए पॉलिसी रिजेक्ट कर दी कि शुगर व हाईपर टेंशन की बीमारी छिपाकर बीमा कराया गया था। नॉमिनी पीडि़ता लगातार प्रयास करती आ रही है पर ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी किसी तरह का साथ नहीं दे रही है।
केस.2
पत्नी की मौत के बाद भी नहीं मिला कैंसर कवर पॉलिसी का लाभ-
संजीवनी नगर गढ़ा निवासी जितेन्द्र ब्यौहार ने बताया कि कैंसर कवर पॉलिसी (एलआईसी से) ली थी। उसमें पति-पत्नी दोनों कवर थे। पॉलिसी लेते वक्त सारे लाभ देने का वादा किया गया था। अचानक दो माह बाद पत्नी को मार्च 2019 में कैंसर की शिकायत हो गई। लक्ष्मी नारायण अस्पताल में इलाज के दौरान दिसम्बर में पत्नी सीमा ब्यौहार की मौत हो गई। इलाज में 6 लाख रुपए खर्च हुए। कैशलेस नहीं होने के कारण बीमा कंपनी में बिल लगाए गए तो बीमा कंपनी ने नियमों का हवाला देते हुए नो क्लेम कर दिया। यहाँ तक की पॉलिसी धारक की मृत्यु होने पर भी किसी तरह का लाभ देने से इनकार कर दिया। जितेन्द्र ने कई बार बीमा कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया और सारे तथ्य रखे पर पत्नी की मौत के बाद नियमों की कॉपी घर के पते पर भेज दी गई। पीडि़त का आरोप है कि बीमा कंपनी ने मौत के बाद नियमों का हवाला देकर हमारे साथ धोखा किया है।
नियमों का हवाला देकर बच रहे अधिकारी-
पॉलिसी धारकों का क्लेम रिजेक्ट किए जाने के संबंध में जब अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि थर्ड पार्टी क्लेम सेटल करती है और वे ही सारे नियमों के अनुसार भुगतान करती है। हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। पीडि़त आवेदन देंगे तो हम आगे भेज देंगे।
Created On :   27 Jun 2021 10:33 PM IST