मामले निपटाने अधिकारियों को प्राधिकृत करने को लेकर शीघ्रता से हो निर्णय

Decision should be taken expeditiously to authorize the officers to settle the cases
मामले निपटाने अधिकारियों को प्राधिकृत करने को लेकर शीघ्रता से हो निर्णय
नेशनल लोक अदालत मामले निपटाने अधिकारियों को प्राधिकृत करने को लेकर शीघ्रता से हो निर्णय

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नेशनल लोक अदालत ने प्राधिकरणों से आग्रह किया है कि वे मामलों के निपटारों के लिए प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति की दिशा में शीघ्रता से कदम उठाए और निर्णय ले। ताकि अदालतों में प्रलंबित मामलों की संख्या घट सके। लोक अदालत कोर्ट के अलावा आपसी सहमति से मामलों को सुलझाने का एक विकल्प है। हाल ही में न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई की अगुवाई में नेशनल लोक अदालत आयोजित की गई थी। इस दौरान न्यायमूर्ति के समक्ष रेलवे क्लेम ट्रिब्यूल संबंधित 112 अपील समझौते के लिए रखी गई । किंतु इस दौरान रेलवे की ओर से पैरवी कर  रहे अधिवक्ता टीजे पंडीयन ने कहा कि कोर्ट में रेलवे के अधिकारी मौजूद है लेकिन उनके पास समझौते के लिए सहमति देने का अधिकार नहीं है। 

इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि मार्च 2022 में भी इसी वजह से 150 अपील का निपटारा नहीं हो सका था। वहीं पीडितों की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि करीब एक हजार अपील प्रलंबित है। जिनका रेलवे की ओर से प्राधिकृत अधिकारी न होने के चलते लोक अदालत में निपटारा नहीं हो पा रहा है। 

इस पर न्यायमूर्ति ने कहा कि लोक अदालत आमआदमी व समाज के कमजोर तपके  खास तौर से ऐसे लोगों के लिए शीघ्रता से न्याय पाने का सस्ता व सरल तरीका है जिन्होंने अप्रिय हादसो में अपने करीबियों व घर के कमानेवालों को खोया है। इसलिए जरुरी है कि संबंधित प्राधिकरण ऐसे अधिकारियों को तुरंत प्राधिकृत करे जो समझौते के तहत मामलों को सुलझाने का अधिकार रखते हो। इससे न सिर्फ कोर्ट में प्रलंबित मामलों की संख्या घटेगी बल्कि पीड़ित शख्स को भी राहत मिलेगी। इसलिए प्राधिकरण इस मामले को गंभीरता से ले। क्योंकि इस तरह के मामलों में विलंब से कानून का उद्देश्य और पीड़ित पक्ष प्रभावित होता है। 


 

Created On :   9 May 2022 9:52 PM IST

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