मंत्री मलिक व देशमुख को मतदान के लिए जेल से रिहा किए जाने की अनुमति पर होगा फैसला

Decision will be taken on allowing minister Malik and Deshmukh to be released from jail for voting
मंत्री मलिक व देशमुख को मतदान के लिए जेल से रिहा किए जाने की अनुमति पर होगा फैसला
विधानपरिषद चुनाव  मंत्री मलिक व देशमुख को मतदान के लिए जेल से रिहा किए जाने की अनुमति पर होगा फैसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मनी लांड्रिग से जुड़े मामले में आरोपी राज्य के मंत्री नवाब मलिक व विधायक अनिल देशमुख की ओर से आगामी 20 जून को होनेवाले विधानपिरषद के चुनाव के दौरान मतदान करने के लिए जेल से रिहा किए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। न्यायमूर्ति एनजे जमादार ने शुक्रवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के इन दोनों नेताओं की याचिका पर अपना फैसला सुनाने की बात कहीं हैं। इससे पहले मलिक की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि मेरे मुवक्किल(मलिक) कोई जमानत नहीं मांग रहे है वे सिर्फ मतदान के लिए जेल से कुछ समय के लिए रिहाई चाहते है। चूंकि  वे न्यायिक हिरासत में है इसलिए  वे पुलिस दल के साथ मतदान के लिए जाने को तैयार है। इसलिए उन्हें विधानपरिषद के मतदान से वंचित न किया जाए। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल अभी आरोपी हैं उन पर लगे आरोप साबित नहीं हुए है। इस लिहाज वे(मलिक) मदतान करने के लिए अपात्र नहीं हुए है। ऐसे में क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था में मेरे मुवक्किल को मतदान करने से वंचित किया जा सकता है।  इसके अलावा वे फिलहाल अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। इसलिए उन्हें मतदान करने की अनुमति प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि अदालत के पास इस तरह की अनुमति देने का विशेषाधिकार है। वहीं देशमुख की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 62(5) कैदी के मतदान करने पर निर्बंध लगाती है लेकिन कोर्ट के पास इस तरह के निर्बंध को दर किनार करने का विशेषाधिकार है। जबकि ईडी की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने मलिक व देशमुख की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यदि हाईकोर्ट इस मामले में अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करता है तो यह कानून द्वारा लागू किए गए निर्बंध के विपरीत होगा। इसलिए कोर्ट से आग्रह है कि वह इस मामले में अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल न करे। उन्होंने कहा कि मतदान का अधिकार व चुनाव लड़ने का हक दो अलग-अलग अधिकार है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। गौरतलब है कि न्यायिक हिरासत में बंद राकांपा के ये दोनों नेता राज्यसभा चुनाव के दौरान मतदान नहीं कर पाए थे। कोर्ट से इन्हें कोई राहत नहीं मिली थी। 

 

Created On :   16 Jun 2022 9:21 PM IST

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