महात्मा गांधी की जयंती पर दीपोत्सव एक संघर्षमयी गाथा की परिणती हैं महात्मा गांधी महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक - राज्यपाल

Deepotsav on the birth anniversary of Mahatma Gandhi is the culmination of a struggle saga Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी की जयंती पर दीपोत्सव एक संघर्षमयी गाथा की परिणती हैं महात्मा गांधी महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक - राज्यपाल
महात्मा गांधी की जयंती पर दीपोत्सव एक संघर्षमयी गाथा की परिणती हैं महात्मा गांधी महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक - राज्यपाल

डिजिटल डेस्क, जयपुर। 02 अक्टूबर। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि सत्य और अहिंसा के बल पर देश की आजादी में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले भारतभूमि पर अवतरित साधारण से मानव मोहन का असाधारण महात्मा बनना यूं ही नहीं सम्भव होता वरन् यह त्याग, करुणा, दया, अहिंसा जैसे मूल्यों पर आधारित एक संघर्षमयी गाथा की परिणति है। गांधी विचार ही नहीं वरन् व्यवहार भी है। राज्यपाल श्री मिश्र शुक्रवार को यहां राजभवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150 वीं जयंती के अवसर पर दीपोत्सव का उद्घाटन एवं गांधी जी की पुस्तक मंगलप्रभात का संस्कृत अनुवाद की ई-पुस्तिका के लोकार्पण समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेन्स से सम्बोधित कर रहे थे। यह समारोह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा द्वारा आयोजित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि अपने दार्शनिक विचारों यथा सर्वोदय के माध्यम से महात्मा गांधी समाज के सभी वगोर्ं के सभी प्रकार से अर्थात् सामाजिक, राजनैतिक, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक उत्थान की बात करते हैं। सर्वोदय रूपी यह यात्रा पं. दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय के द्वारा इस विश्वास के साथ आगे बढ़ाते हैं कि जब तक भारत में अंतिम व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान अर्थात् उसका उदय नहीं होगा, तब तक भारत एक खुशहाल एवं आदर्श व्यवस्था का देश नहीं हो सकता। श्री मिश्र ने कहा कि गांधी जी ने स्वराज का सपना इसलिए देखा था ताकि एक ऎसा राज्य जहां शासक और शासित वर्ग के बीच किसी प्रकार का कोई भेद न हो, एक ऎसी आदर्श व्यवस्था जिसमें कोई भी व्यक्ति भूखा, नंगा, दुखी, विपन्न न हो। यही रामराज्य भी है, इसीलिए बापू दरिद्र नारायण की भी बात करते हैं। गांधी की आर्थिक द्वष्टि पर विचार करने पर ट्रस्टीशिप के रूप में एक आदर्श संकल्पना का दर्शन होता है जिसमें सत्ता के विकेंद्रीकरण की बात कही गई है। बापू का अटल विश्वास है- ‘सबै भूमि गोपाल की, सब सम्पत्ति रघुबर के आही।‘ समूची वसुधा पर उपलब्ध भूमि पर सबका अधिकार है किसी एक का नहीं। गांधी के सर्वोदय में यह भाव चित्रित होता है। वैश्विक आपदा के इस दौर में महात्मा गांधी का दर्शन एवं महान विचार आज भी सभ्यताओं के संघर्ष में जहाँ दया, करुणा, अहिंसा पर आधारित सभ्यता ही बची हुई है, जिसका उदाहरण समूचे विश्व में देखने को मिल रहा है। महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि लोगों को स्वंय अपना दीप बनना चाहिए। समाज को रोशनी दिखानी चाहिए और महात्मा जी के दिखाये मार्ग पर चलना चाहिए। समारोह को महाराष्टर््र के मंत्री श्री सुनिल केदार, सांसद श्री रामदास तडस, कुलाधिपति श्री कमलेश दत्त त्रिपाठी, कुलपति श्री रजनीश कुमार शुक्ल और प्रतिकुलपति श्री हनुमान प्रसाद शुक्ल ने भी सम्बोधित किया।

Created On :   3 Oct 2020 1:39 PM IST

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