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मलिक के खिलाफसमीर वानखेड़े के पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के क्षेत्रिय निदेशक समीर वानखेडे के पिता ज्ञानदेव की ओर से राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ दायर मानहानि के दावे पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इससे पहले अवकाशकालीन न्यायमूर्ति माधव जामदार ने मंत्री मलिक से फिर दस्तावेजों के सत्यापन को लेकर सवाल किया। कोर्ट ने कहा कि एक आम आदमी व विधायक के दस्तावेज के सत्यापन करने में फर्क होता है। इसलिए जब आप (मलिक) दस्तावेज का सत्यापन करते हैं तो आपसे ज्यादा सावधानी बरतने की अपेक्षा रहती है। इसलिए आपने क्या सावधानी बरती है। इसकी जानकारी हमे दी जाए। क्योंकि दस्तावेजों के सत्यापन करने के मापदंड तय किए गए है। वहीं मलिक ने कोर्ट में हलपनामा दायर कर स्पष्ट किया कि उन्होंने समीर वानखेडे के जन्म प्रमाणपत्र से जुड़े दस्तावेजों का तर्कसंगत तरीके से सत्यापन किया था। इसके लिए मैंने मनपा का रिकार्ड देखा था। इसके अलावा समीर वानखेडे की पहली पत्नी के रिश्तेदारों ने मुझे निकाहनामा भी दिया था। जिसके आधार पर मैंने विवाह को लेकर सोशल मीडिया में ट्विट किया था।
हाईकोर्ट में वानखेडे के पिता ने मलिक के खिलाफ मानहानि का दावा दायर किया है। दावे में कहा गया है कि मलिक ने अपने ऑनलाइन ट्विट के जरिए परिवार की मानहानि की है। दावे में इसके लिए सवा करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की गई है। वानखेडे ने यह भी मांग की है कि मलिक को मेरे परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया में मानहानिपूर्ण टिप्पणी करने से रोका जाए।
इससे पहले वानखेडे के पिता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने कहा कि मंत्री मलिक ने मेरे मुवक्किल के बेटे का जो जन्म प्रमाणपत्र पेश किया है उसमें सुधार किया गया था जिस पर प्रतिवादी (मंत्री मलिक) ने ध्यान नहीं दिया। मेरे मुवक्किल का नाम हमेशा ज्ञानदेव वानखेडे था। यह दर्शाने के लिए उनके पास कई दस्तावेज हैं। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल के पास अपने बेटे का मौलिक जन्मप्रमाणपत्र नहीं है और उसकी फोटोकॉपी भी नहीं है। क्योंकि जन्म प्रमाणपत्र को स्कूल में जमा कर दिया गया था। लेकिन बाद में जन्म प्रमाणपत्र में सुधार किया गया था। इस दौरान वानखेडे के अधिवक्ता ने हलफनामे के जरिए वानखेडे के पिता के 28 दस्तावेज पेश किए जिसमें उनका नाम ज्ञानदेव वानखेडे लिखा है न कि दाऊद वानखेडे। मलिक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अतुल दामले ने पक्ष रखा। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।
Created On :   12 Nov 2021 7:49 PM IST