सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के चलते हो रही मंत्रिमंडल विस्तार में देरी

Delay in cabinet expansion due to Supreme Court hearing
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के चलते हो रही मंत्रिमंडल विस्तार में देरी
शिंदे गुट ने स्वीकारा  सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के चलते हो रही मंत्रिमंडल विस्तार में देरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रदेश में सत्ताधारी शिवसेना के बागी शिंदे गुट ने आखिरकार स्वीकार किया है कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के चलते राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी हो रही है। इससे स्पष्ट हो गया कि मंत्रिमंडल का विस्तार सोमवार के बाद ही होगा। शुक्रवार को शिवसेना के शिंदे गुट के मुख्य प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च संस्था है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का अनादर नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट का उचित आदर रखना किसी भी सरकार की जिम्मेदारी होती है। शीर्ष अदालत का सम्मान बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल के विस्तार में एक-दो दिनों की देरी भी होगी तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। केसरकर ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भूमिका है कि सर्वोच्च न्यायालय का उचित सम्मान रखा जाना चाहिए। केसरकर ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सोमवार अथवा मंगलवार तक सुप्रीम कोर्ट अंतिम आदेश जारी करेगा। इसके बाद अदालत में मामला चलता रहेगा। अंतिम आदेश आने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा। केसरकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी आदेश में मंत्रिमंडल के विस्तार करने को लेकर पाबंदी नहीं लगाई है। फिर भी सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए जिससे कि कोई गलत संदेश जाए। केसरकर ने कहा कि मैंने शीर्ष नेताओं के कहने के आधार पर बयान दिया था कि मंत्रिमंडल का विस्तार 7 अगस्त तक हो जाएगा। उसके बाद हमारे शीर्ष नेता दिल्ली भी गए थे। भाजपा और शिंदे गुट की सरकार को 20 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। मंत्रिमंडल में कुछ निर्दलीय विधायकों का भी समावेश होगा। ऐसे में फैसला लेने में थोड़ा समय लगता है। केसरकर ने कहा कि यदि शिंदे गुट के विधायकों को विधायकी बचानी होती तो हम लोग दूसरे किसी दल में विलिन हो जाते। लेकिन हमारी लड़ाई पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बचाने की है। इसलिए हमने शिवसेना को नहीं छोड़ा है। 

मुख्यमंत्री की बीमारी का मजाक न उड़ाया जाए- केसरकर 

केसरकर ने कहा कि मुझे प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री एक रात को कामकाज के चक्कर में एक मिनट भी सो नहीं पाए थे। इतने कष्ट के बावजूद मुख्यमंत्री की बीमारी का एक तरीके से मजाक उड़ाना उचित नहीं है। केसरकर ने कहा कि मैंने ऐसे मंत्री भी देखे हैं जो अपने पास आने वाले पत्र को बिना पढ़े अथवा हस्ताक्षर किए निजी सहायक (पीए) को दे देते थे। मुख्यमंत्री से यदि एक हजार लोग पत्र लेकर मिलते हैं तो वह सभी पत्र पर हस्ताक्षर करके उचित निर्देश देते हैं। केसरकर ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे को नक्सलियों से खतरा है। पूर्व की महाविकास आघाड़ी सरकार में शिंदे गडचिरोली के पालक मंत्री के रूप में जो कदम उठाए थे। उसके बाद से उन्हें खतरा पैदा हो गया है। ऐसी स्थिति में भी मुख्यमंत्री जनता के बीच जाते हैं। 
 

Created On :   5 Aug 2022 8:54 PM IST

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