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डॉ आंबेडकर के भाषण-लेखों को प्रकाशन परियोजना में देरी सरकार के खराब कामकाज की निशानी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने डाक्टर बाबा साहब आंबेडकर के भाषण व लेखों को प्रकाशित करने से जुड़े प्रोजेक्ट के काम की धीमी रफ्तार से जुड़े मामले का स्वयं संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति एसएम मोडक की खंडपीठ ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में देरी करना सरकार के खराब कामकाज को दर्शाता है। खंडपीठ ने इस संबंध में अखबारों में छपी खबर का संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया है। खबर के मुताबिक राज्य सरकार बाबा साहब आंबेडकर के साहित्य (21 खंड) की पर्याप्त प्रतियां नहीं प्रकाशित कर पायी है। जबकि सरकार ने आंबेडकर के साहित्य की नौ लाख प्रतियां प्रकाशित करने की योजना बनाई थी। जिसमें आंबेडकर के भाषण व लेखों का समावेश होगा। सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए पांच करोड़ रुपए का कागज भी खरीदा है। लेकिन पिछले चार सालों में आंबेडकर साहित्य की सिर्फ 33 हजार प्रतियां ही छप पायी हैं और शेष कागज धूल खा रहा है। अब तक सिर्फ 3675 प्रतियां वितरण के लिए उपलब्ध कराई गई हैं। राज्य सरकार के प्रेस के पास आधुनिक मशीनें भी नहीं हैं।
खंडपीठ ने कहा कि इस विषय पर अखबारों में छपी खबरें सरकार के खराब कामकाज को दर्शाती हैं। खंडपीठ ने कहा कि डा आंबेडकर के साहित्य का प्रकाशन वर्तमान व भावी दोनों पीढी के लिए जरुरी है। इस साहित्य का शोध करनेवाले, विधि क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों के अलावा आम जनता के बीच मांग है। इसलिए साहित्य का प्रकाशित किया जाना अपेक्षित है। इसलिए इस मामले को जनहित याचिका में परिवर्तित किया जाता है और कोर्ट रजिस्ट्री को इस याचिका को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता के सामने रखने का निर्देश दिया जाता है।
Created On :   2 Dec 2021 9:54 PM IST