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जब संक्रमित न के बराबर तब होगी डेल्टा प्लस वैरिएंट की खोजबीन
प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद सभी जिलों में होनी है जीनोम सिक्वेंसिंग, नमूने दिल्ली जाएँगे
डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट की जाँच के लिए अब जबलपुर जिले के सैम्पल भी दिल्ली भेजे जाएँगे। प्रदेश के कुछ जिलों में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से पीडि़त मरीज सामने आने के बाद इस तरह की कवायद की जा रही है। हालांकि संक्रमण पूरी तरह से कंट्रोल में है और टेस्टिंग के लिए एक क्राइटेरिया भी तय है। लिहाजा, जंाच के लिए नमूने जुटाना भी आसान नहीं होगा। जानकार कहते है कि यहीं खोजबीन पहले ही शुरु कर दी गई होती तो परिणाम और कारगर साबित होते। प्रदेश सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के प्रदेश के सभी जिलों में जीनोम सिक्वेंसिंग कराने का निर्णय के बाद जबलपुर से भी नमूनों को एनएसडीसी दिल्ली भेजने के प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बता दें प्रदेश में अब तक डेल्टा प्लस के 8 मामले सामने आ चुके हैं। अभी तक प्रदेश में सिर्फ 25 जिलों से ही सैम्पल भेजकर जीनोम सिक्वेंसिंग की जा रही थी। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने डेल्टा प्लस को वैरिएंट ऑफ कंसर्न घोषित किया है। यानी की इसे गंभीर श्रेणी में रखा गया है।
इस तरह करेंगे चयन
* स्वास्थ्य विभाग से मिले निर्देश के बाद मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब से कोरोना संक्रमितों के नमूने भेजे जाएँगे। लैब प्रभारी डॉ. रीति सेठ ने बताया कि निर्धारित क्राइटेरिया में जो भी सैम्पल आएँगे, उन्हें जाँच के लिए भेजा जाएगा। प्रत्येक 15 दिन में 6 नमूने भेजे जाएँगे। यह नमूने पहले भोपाल जाएँगे, फिर वहाँ से प्रदेश से आए अन्य नमूनों के साथ दिल्ली भेजे जाएँगे।
संक्रमित सीमित तो चयन कैसे?
जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए ऐसे 6 मरीजों के नमूने चुने जाने हैं, जो निर्धारित क्राइटेरिया पर खरे उतरते हों। अब मेडिकल कॉलेज वॉयरोलॉजी लैब के विशेषज्ञों के सामने फिलहाल यही चुनौती है। पिछले कुछ दिनों में कोरोना के नए मरीज घटकर दहाई के नीचे आ गए हैं, ऐसे में इनमें से उन मरीजों को चुनना, जिनमें डेल्टा प्लस से जुड़े कोई लक्षण हों, आसान नहीं होगा।
* क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग
जीनोम सिक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा होता है। कोई वायरस कैसा है, किस तरह दिखता है, इसकी जानकारी जीनोम से मिलती है। इसी वायरस के विशाल समूह को जीनोम कहा जाता है। वायरस के बारे में जानने की विधि को जीनोम सिक्वेंसिंग कहते हैं। कोरोना वायरस आरएनए से बना है। जीनोम सिक्वेंसिंग में इस बात की स्टडी की जाती है कि वायरस ने समय के साथ अपने ब्लू प्रिंट में क्या बदलाव किए हैं, जैसे कि यह पहले से ज्यादा आक्रामक हुआ है या कमजोर पड़ा है।
Created On :   29 Jun 2021 2:14 PM IST