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डेल्टा वैरिएंट - न जाँच, न सतर्कता खतरे से अभी बेफिक्र है स्वास्थ्य विभाग
केंद्र सरकार ने घोषित किया है "वैरिएंट ऑफ कंसर्न , जानकार कह रहे कि जब जीनोम सीक्वेंसिंग ही नहीं, तो कैसे पता चलेगा वैरिएंट
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मध्य प्रदेश के उज्जैन, अशोक नगर समेत कुछ एक अन्य शहरों में कोरोना वायरस के डेल्टा+ वैरिएंट मिलने के बाद केंद्र सरकार ने अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं, लेकिन जबलपुर जिले का स्वास्थ्य विभाग कोरोना के घटते मामलों के बाद अपनी पीठ थपथपाने में लगा है। कोरोना संक्रमण के मामले भले ही घटकर शून्य तक आ गए हों, लेकिन जिम्मेदार इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि कोरोना खत्म नहीं हुआ है। इसके बाद भी पूरे कोरोना काल में जिले में कौन-कौन से वैरिएंट्स ने तबाही मचाई, इसकी जाँच आज तक नहीं की गई। खास तौर पर जिस तरह का मंजर दूसरी लहर में सामने आया, तब भी किसी तरह की जहमत नहीं उठाई गई। पिछले साल यूके वैरिएंट की सक्रियता को देखते हुए दिसंबर में ब्रिटेन से लौटी एक महिला के अलावा एक पुलिस कर्मी का सैंपल जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था। इधर स्वास्थ्य विभाग कहना है कि जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए कुछ क्राइटेरिया निर्धारित किए गए हैं, जब भोपाल से निर्देश मिलेंगे तो जाँच कराई जाएगी।
एक बार जाँच, दो सैंपल भेजे
बता दें कि पिछले साल 27 दिसंबर को यूके से लौटी महिला के संक्रमित मिलने के बाद सुपरस्पेशिएलिटी में उसे भर्ती किया गया था। महिला 12 दिसंबर को यूके से लौटी थी। महिला के साथ कुछ ही महीने में तीन बार कोरोना पॉजिटिव होने वाले विजय नगर थाने के आरक्षक का सैंपल भी जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए एनडीसी दिल्ली भेजा गया था। जनवरी के दूसरे सप्ताह में दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आई थी और अन्य किसी वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई थी।
रैपिड की जगह आरटीपीसीआर जाँच बढ़े
जानकारों का कहना है कि तीसरी लहर से लडऩे के लिए जिले में आरटीपीसीआर जाँचों का दायरा बढऩा चाहिए। जाँच रिपोर्ट में तेजी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कुल जाँचों में 75 से 80 प्रतिशत तक, रैपिड एंटीजन किट से की हैं, जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि आरटीपीसीआर जाँच ही विश्वसनीय है। डेल्टा+ वैरिएंट चिंता का विषय है, ऐसा केंद्र सरकार का कहना है। ऐसे में कोरोना संक्रमण की जाँचों में विश्वसनीय तरीका ही अपना चाहिए।
Created On :   25 Jun 2021 2:38 PM IST